गोरखपुर (ब्यूरो)।होलिका दहन को लेकर शहर में होलिका दहन समिति पांडेयहाता सहित विभिन्न समितियों ने तैयारियां पूरी कर ली है। समितियां शुभ मुहूर्त में होलिका दहन करेंगी।

आज शुभ ध्वांक्ष योग

वाराणसी से प्रकाशित ऋषिकेश पंचांग के अनुसार सोमवार को चतुर्दशी तिथि दोपहर तीन बजकर 56 मिनट तक है। इसके बाद पूर्णिमा तिथि है। इस दिन मचा नक्षत्र भी संपूर्ण दिन और रात्रि 11 बजकर 53 मिनट, सुधर्मा योग रात आठ बजकर 55 मिनट और ध्वांक्ष नामक औदायिक योग है। सात मार्च को पूर्णिमा तिथि का मान शाम पांच बजकर 38 मिनट तक है और सूर्यास्त पांच बजकर 49 मिनट पर हो जाएगा। ऐसी स्थिति में सात मार्च को रात्रि के समय पूर्णिमा का अभाव है। शास्त्र के अनुसार, होलिका का पूजन और दहन पूर्णिमाकालिक भद्रा रहित समय में किया जाता है। सात मार्च को रात में पूर्णिमा के अभाव के कारण होलिका का पूजन और दहन छह मार्च की रात में किया जाएगा, लेकिन रंगभरी होली मधुमास में मनाई जाती है। आठ मार्च को मधुमास चैत्र कृष्ण प्रतिपदा होने से मधुमास का उत्सव रंगभरी होली इसी दिन होगी।

96 साल से होलिका दहन की परंपरा का गवाह है पांडेयहाता

शहर में होलिका दहन की शोभायात्रा धूमधाम से निकाली जाती है। महानगर की सबसे घनी आबादी वाला इलाका करीब 96 सालों से इस परंपरा का गवाह बना हुआ है। लोग होलिका दहन जुलूस की परंपरा को न सिर्फ श्रद्धापूर्वक निभा रहे हैं। बल्कि परंपरा को निभाने के लिए अगली पीढ़ी को भी तैयार कर रहे है।

पांडेयहाता से शुरुआत

पांडेयहाता चौराहा से होलिका दहन जुलूस का शुभारंभ होता है। शहर के विभिन्न इलाकों से गुजरते हुए यह जुलूस यहीं पर आकर खत्म हो जाता है। शहर के जिन इलाकों से यह जुलूस निकलता है। उस इलाके में जुलूस के निकलने के बाद ही होलिका जलाई जाती है। होलिका दहन उत्सव समिति की ओर से निकलने वाले इस जुलूस में कई झांकियां तो शामिल रहती हैं। साथ ही इस जुलूस में शामिल होने वाले लोग आपस में होलिका के दिन ही होली भी खेलते हैं।