- सहजनवा में वन विभाग की लापरवाही से हिमालयन ग्रिफन प्रजाति के गिद्ध की मौत
- स्थानीय रेंजर मौके पर नहीं पहुंचे, डीएफओ बोले, कोई अजर-अमर होता है क्या?
SAHJANWA: इलाज के अभाव में एक दुर्लभ पक्षी ने रविवार को सहजनवा में तड़प-तड़पकर जान दे दी। दुर्लभ पक्षी के बेहोशी की हालत में मिलने की सूचना रविवार भोर में ही ग्रामीणों ने वन विभाग को दे दी थी। लेकिन जिम्मेदारों की नींद 10 बजे खुली। इसके बाद भी उसे तत्काल इलाज उपलब्ध कराने के बजाए ऑफिस में रखा गया। ज्यादा हालत बिगड़ने पर उसे दोपहर में इलाज के लिए ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। इस बारे में स्थानीय रेंजर की लापरवाही सामने आई है। वहीं गोरखपुर डीएफओ ने बेहद संवेदनहीनता के साथ कहा, कोई अजर-अमर होता है क्या? लोग मरते नहीं हैं क्या? मृत पक्षी की पहचान हिमालयन ग्रिफन के तौर पर हुई है। यह गिद्ध प्रजाति का है।
बेहोश हालत में मिला
मिली जानकारी के मुताबिक रविवार को सहजनवा के लुचुई में रेलवे यार्ड स्थित जंगल में सुबह पांच बजे एक गिद्ध बेहोशी की हालत में मिला। उसकी सांसें चल रही थी। स्थानीय ग्रामीणों ने इसकी सूचना तत्काल वन विभाग को दी। लेकिन घंटों बीतने के बावजूद विभाग की तरफ से कोई भी वहां नहीं पहुंचा। वह गिद्ध कई घंटे उसी दशा में पड़ा रहा। करीव 10 बजे वन बिभाग के लोग वहां पहुचे और इलाज के बजाए उसे लेकर वन विभाग कार्यालय चले गए। इस बीच गिद्ध की हालत और बिगड़ गई। यह देख विभाग के लोग दोपहर 12 बजे इलाज के लिए पशु अस्पताल ले गए, जहां उसका इलाज हुआ। इसके बाद वनकर्मी उसे वापस वन विभाग कार्यालय ले गए, जहां शाम 4 बजे उसकी मौत हो गई।
किस बात के वन अधिकारी
इस दुर्लभ पक्षी की मौत का सबसे दर्दनाक पहलू अधिकारियों से बातचीत में सामने आया। इस संबन्ध में स्थानीय वन रेंजर डीएन राय ने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा की जब सूचना मिली तो इलाज कराया गया। हालांकि सूचना मिलने और इलाज के बीच करीब सात घंटे का अंतर है। इससे भी बड़ी संवेदनहीनता तो गोरखपुर के डीएफओ ने दिखाई। जब आई नेक्स्ट कार्यालय से फोन करके उनसे पक्षी की मौत पर पूछा गया तो उन्होंने कहा- कोई अजर-अमर होता है? कोई मरता नहीं है क्या? इसके बाद डीएफओ ने कहा कि उस पक्षी की उम्र पूरी हो गई थी। जबकि हकीकत यह है कि मृत पक्षी अपनी किशोरावस्था में था।
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दुर्लभ पक्षी की श्रेणी में आता है हिमालयन ग्रिफन
लापरवाही के चलते पक्षी की मौत होने पर वन्य जीव प्रतिपालक और वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर चंदन प्रतीक ने रोष जाहिर किया। उन्होंने बताया कि मृत पक्षी हिमालयन ग्रिफन है और यह गिद्ध प्रजाति में आता है। इसकी उम्र करीब 40 साल की होती है। उन्होंने कहा कि अभी तक इस प्रजाति के पक्षी को गोरखपुर में कभी नहीं देखा गया था। चंदन प्रतीक के मुताबिक यह हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाते हैं और सर्दियों में जमीनी क्षेत्रों की तरफ चले आते हैं। पूरी दुनिया में इसे दुर्लभ पक्षी के तौर पर आंका गया है।