गोरखपुर (ब्यूरो)।वीसी और रजिस्ट्रार के साथ हुई मारपीट पर हर तरफ लोग तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। यूनिवर्र्सिटी में पहली बार ऐसा हुआ है कि कुलपति और रजिस्ट्रार के साथ ऐसी घटना हुई है। इससे पूरा शिक्षा जगत शर्मसार है।
इस तरह का विवाद पहले कभी नहीं
गोरखपुर यूनिवर्सिटी की स्थापना 1957 में हुई थी। लगभग 66 साल की इस यूनिवर्सिटी में पहली बार वाइस चांसलर के साथ हाथापाई हुई। भीड़ ने रजिस्ट्रार की पिटाई कर बुरी तरह से घायल कर दिया। यूनिवर्सिटी में पहले भी प्रदर्शन होते रहे हैं, लेकिन अब ये धीरे-धीरे उग्र हो रहे हैं। 13 जुलाई को चीफ प्रॉक्टर के साथ भी हाथापाई हुई थी।
बात न करने से बढ़ा विवाद
मारपीट की घटना पर कुछ टीचर्स ने बताया कि यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स अपनी मांगों को लेकर हमेशा प्रदर्शन करते हैं। इसमें कुछ गलत नहीं है, लेकिन किसी भी टीचर के साथ मारपीट सही नहीं है। यह बहुत ही निंदनीय है। इसका एक पहलु ये भी है कि प्रदर्शन कर रहे स्टूडेंट्स वीसी से बातचीत का इंतजार कर रहे थे। जब वह निकले तो उन्हें स्टूडेंट्स की मांग सुन लेनी चाहिए थी, लेकन ऐसा नहीं हुआ और बात बिगड़ गई।
यूनिवर्सिटी में पसरा सन्नाटा
शुक्रवार को हुए हंगामे के बाद शनिवार को यूनिवर्सिटी में सन्नाटा पसरा रहा। स्टूडेंट्स की संख्या काफी कम रही। एंट्रेंस एग्जाम देने आए स्टूडेंट्स भी पुलिस बल देख डरे हुुए दिखे। पूरे कैंपस को पुलिस ने छावनी बना दिया। वहीं हॉस्टल में भी पुलिस पहुंचने की सूचना है। एबीवीपी कार्यकर्ताओं की ओर से जारी की गई फोटोग्राफ में चौकी इंचार्ज के साथ ही रजिस्ट्रार भी नजर आ रहे हैं।