गोरखपुर (ब्यूरो)।इसकी जानकारी उनके पास भी नहीं है। पार्षदों का कहना है कि बोर्ड मीटिंग न होने से विकास कार्यों पर चर्चा नहीं हो पा रही। बजट के अभाव में काम रुके पड़े हैं। इससे वे नाममात्र के पार्षद बनकर रह गए हैं। जबकि प्रदेश के लगभग हर नगर निगम में बोर्ड की बैठक हो चुकी है। साथ ही कार्यकारिणी का गठन भी हो चुका है।
कार्यकारिणी का नहीं हो सका गठन
बोर्ड मीटिंग न होने से कार्यकारिणी का गठन भी नहीं हो सका है। शहर के विकास में कार्यकारिणी का गठन होना भी बहुत जरूरी है। पार्षदों का कहना है कि कार्यकारिणी के गठन के बाद भी बोर्ड बैठक में जनहित के मुद्दों के कार्यों की मंजूरी मिलती है। कार्यकारिणी गठन में देरी से जानबूझकर किया जा रहा है। मेयर डॉ। मंगलेश श्रीवास्तव का कहना है कि जल्द ही बोर्ड बैठक होगी और कार्यकारिणी का गठन किया जाएगा।
कार्यकारिणी की शक्तियां
- कार्ययोजना बनाना
- प्रस्ताव तैयार करना
- प्रस्ताव बोर्ड से पास कराना
- भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना
- क्यों होती है बोर्ड बैठक
- शहर के विकास का खाका खींचा जाता है।
- वार्डों में पाषर्दों के प्रस्ताव पर मुहर
- प्रस्ताव के आधार पर पास होता है बजट
- नए कार्यों पर की जाती है बहस
- समस्याओं पर मंथन कर निदान
- निगम की आय बढ़ाने के लिए चर्चा
पांच जुलाई को होनी थी बैठक
नगर निगम बोर्ड की बैठक पांच जुलाई को होनी थी। पीएम मोदी के आगमन के मद्देनजर तैयारियों को देखते हुए बैठक को रद्द कर दिया गया। बताया गया कि अगली तिथि के निर्धारण होने के बाद जानकारी दी जाएगी। इसके बाद आज तक कोई जानकारी पार्षदों को नहीं दी गई।
शोक सभा के बाद पहली बैठक स्थगित
नगर निगम बोर्ड की पहली बैठक 21 जून को हुई थी, जो परिचय एवं शोक प्रस्ताव के बाद स्थगित हो गई थी। मेयर डॉ। मंगलेश ने दूसरी बैठक 5 जुलाई को बुलाई थी। इसके बाद 24 जुलाई को बैठक कराने का निर्णय लिया गया, जो वापस हो गया।
80 में 42 सीटों पर भाजपा का कब्जा
80 सीटों वाले नगर निगम चुनाव में भाजपा के 42 पार्षदों ने कब्जा जमाया है। भाजपा कार्यकारिणी की 12 सीटों पर अधिकाधिक संख्या में काबिज होना चाहती है। ऐसे में भाजपा के ही एक सदस्य का उपसभापति चुना जाना भी तय है। उपसभापति चुनाव के बाद कार्यकारिणी के सामने बजट पेश होगा एवं प्रस्ताव लाए जाएंगे।
सपा पार्षद सक्रिय
इस बार समाजवादी पार्टी के 17 पार्षद चुने गए हैं। पार्टी बोर्ड में कम से कम दो सदस्यों को रखना चाहती है। वहीं, निर्दल भी जोर लगा रहे हैं। हालांकि वह समाजवादी पार्टी को ही मजबूती दिखाते दिख रहे हैं।
बोर्ड बैठक न होने से सिर्फ दिखावे के लिए पार्षद होकर रह गए हैं। वार्ड में सिर्फ झाड़ू लगवा रहे हैं। विकास के कोई काम नहीं कराया पा रहे। बोर्ड मीटिंग के लिए सिर्फ तारीख पर तारीख दी जा रही है। इससे हर दल के पार्षद नाराज हैं।
अशोक यादव, पार्षद रायगंज
मेयर के पास बोर्ड मीटिंग कराने का समय नहीं है। उन्हें जनता की समस्याओं से कुछ लेना देना नहीं है। बोर्ड मीटिंग न होना इसका पर्याप्त सबूत है। अगर बोर्ड बैठक नहीं होगी तो पार्षद अपने वार्डों के विकास प्रस्ताव कहां देंगे। बोर्ड बैठक न होने से वार्डों में विकास ठप है।
विश्वजीत त्रिपाठी, पार्षद बेतियाहाता
नगर निगम निरंकुश हो चुका है। जनहित के मुद्दे पर गंभीर नहीं है, इसकी वजह से जनसमस्याओं के मुद्दे पर ध्यान नहीं दे रहा है। जब बैठक नहीं होगी तो वार्डों के विकास का खाका कैसे खिंचेगा। वार्ड की जनता बार-बार विकास के बारे में पूछ रही है, उन्हें जवाब देना भारी पड़ रहा है।
विजेंद्र अग्रहरि, पार्षद बसंतपुर
वार्ड में तमाम समस्याएं हैं और बोर्ड मीटिंग के लिए बार-बार तारीख दी जा रही है। मीटिंग न होने से वार्ड का विकास बाधित है। बोर्ड मीटिंग होती तो विकास के लिए प्रस्ताव देता। जनता की नाराजगी बढ़ती जा रही है, रोज उन्हें जवाब देना भारी पड़ रहा है।
श्रवण पटेल, पार्षद महर्षि दधिचि नगर
बोर्ड मीटिंग न होने से वार्ड के विकास के लिए कोई प्रस्ताव नहीं दे पा रही हूं। वार्ड के लोग आए दिन समस्याओं के निराकरण के लिए पूछ रहे हैं लेकिन जवाब नहीं दे पा रही हूं। वार्ड में साफ सफाई के अलावा कोई काम नहीं कराया जा रहा है।
हकीकुन निशा, पार्षद बाबा गंभीरनाथ