- कंगारू मदर केयर टेक्नीक के थ्रू करें न्यू बॉर्न की देखभाल
- मेंटेन रखें रूम का टेंप्रेचर, सेफ्टी प्रिकॉशन लेकर ही निकलें बाहर
- आई नेक्स्ट के ग्रुप डिस्कशन में डॉक्टर्स ने दिए सलाह
GORAKHPUR: टेंप्रेचर फ्लक्चुएशन इस वक्त की सबसे बड़ी प्रॉब्लम है। इस तरह के मौसम में कई बीमारियां लोगों पर धावा बोलती हैं। ऐसे में प्रिकॉशन ही ऐसा हथियार है, जिससे न सिर्फ इन बीमारियों से खुद बचा जा सकता है, बल्कि अवेयरनेस से अपनों को भी बचाया जा सकता है। जाड़े के मौसम में सबसे ज्यादा फर्क न्यू बॉर्न और सीनियर सिटीजन को पड़ता है। इन्हें खास तौर पर सेफ्टी प्रिकॉशन लेने की जरूरत है। मौसम में हो रही इस उठापटक का ह्यूमन लाइफ पर क्या इफेक्ट पड़ेगा और इससे कैसे बचा जा सकता है, इसके लिए आई नेक्स्ट ने फिजिशियन, चेस्ट स्पेशलिस्ट, स्किन स्पेशलिस्ट, पिडियाट्रिक्स डॉक्टर्स का पैनल बनाया और कुछ पेरेंट्स की हिस्सेदारी के साथ सभी मुद्दों पर डीप डिस्कशन किया। डॉक्टर्स के अकॉर्डिग चलकर आप इस समय खुद को बीमारियों से बचा सकते हैं।
कारगर है 'कंगारू मदर केयर'
आई नेक्स्ट के ग्रुप डिस्कशन में एक्सपर्ट्स ने बताया कि न्यू बॉर्न बेबीज के लिए ठंड का मौसम काफी सेंसेटिव होता है। इस दौरान थोड़ी सी लापरवाही उन्हें काफी बीमार बना सकती है। ऐसे में 'कंगारू मदर केयर' यानी मां की आगोश और बॉडी हीट बच्चे के लिए किसी वरदान से कम नहीं होती, वहीं बची-खुची प्रॉब्लम ब्रेस्ट फीडिंग के थ्रू दूर हो जाती है। वहीं मौसम के इस फेज में वाइरस काफी एक्टिव हो जाते हैं, ऐसे में अपर रेस्पीरेटरी ऑर्गन में इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है। सीनियर सिटीजन पर इसका ज्यादा इफेक्ट पड़ता है। वहीं दमा मरीजों ने अगर प्रिकॉशन नहीं लिया तो यह उनके लिए जानलेवा हो सकता है।
बीमार हैं तो करने दें आराम
इस फेज में ऐसा कई बार होता है कि बच्चे बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। अगर आपका बच्चा भी बीमार हो गया है, तो बजाए दवा खिलाकर उसे स्कूल भेजने के दो दिन आराम करने दें, जब वह सही हो जाए, तभी स्कूल भेजें। ऐसा करने से दो फायदे होंगे। पहला यह कि इससे आपके बच्चे का हीलिंग टाइम काफी कम हो जाएगा और स्कूल जाने पर अगर वह पांच दिन में ठीक होता है, तो घर पर दो दिनों में ही ठीक हो सकता है। वहीं दूसरा यह कि इससे स्कूल में होने वाले इंफेक्शन के खतरे को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है और कई अन्य बच्चों को बीमारी से बचाया जा सकता है।
कोट्स
इस वक्त मौसम में फ्लक्चुएशन काफी ज्यादा होता है। ऐसे में फॉग और दबाव ज्यादा होने से पॉल्युटेंट लोवर लेवल पर पहुंच जाता है। इससे रेस्पीरेटरी ऑर्गन में इंफेक्शन के चांसेज हैं। वहीं वुलन कपड़े जो घर में रखे जाते हैं, उन्हें अच्छे से धूप दिखाने के बाद ही इस्तेमाल करें, वरना डर्ट माइट से भी परेशानी हो सकती है।
- डॉ। वीएन अग्रवाल, चेस्ट स्पेशलिस्ट
मौसम चेंज होने के बाद भी मच्छरों का प्रकोप कम नहीं हुआ है। अब भी रोजाना 2-3 केस ऐसे आ रहे हैं, जिनमें डेंगू का रिजल्ट पॉजिटिव मिल रहा है। वहीं ओल्ड एज वाले लोगों को भी प्रॉब्लम हो रही है, इसलिए वह सेफ्टी प्रिकॉशन लेने के बाद ही बाहर निकलें
- डॉ। अखिलेश, फिजिशियन
बच्चों को इंफेक्शन हो सकता है, इसलिए अगर किसी को सर्दी और जुकाम है, तो वह बच्चों के कमरे से दूर रहे तो बेहतर होगा। मां इस केस में एक्सेप्शन है, जो बीमार होने के बाद भी जा सकती है। रेग्युलर ब्रेस्ट फीड कराने के साथ साफ-सफाई का खास ध्यान रखें। न्यू बॉर्न बेबीज अपना टेंप्रेचर रेग्युलेट नहीं कर पाते हैं, इसलिए उन्हें कंगारू मदर केयर की जरूरत है।
- डॉ। भूपेंद्र शर्मा, पिडियाट्रिशियन
इस मौसम में चिकन पॉक्स, मीजल्स, ड्राइनेस और डैंड्रफ जैसी बीमारियां काफी बढ़ जाती है। ऐसे में लोगों को खास सावधानी बरतने की जरूरत है। सभी तेल का इस्तेमाल करने के बजाए शुद्ध सरसों का तेल या नारियल का तेल ही इस्तेमाल करें। म्वाइशचराइजर का भी इस्तेमाल करने में कोई प्रॉब्लम नहीं है।
- डॉ। नवीन वर्मा, स्किन स्पेशलिस्ट
यह बरतें सावधानी?
- किसी को खांसी-जुकाम हो तो वह छोटे बच्चों से दूर रहे।
- रूम ज्यादा गर्म या ठंडा न करें।
- डेंगू का प्रकोप अभी खत्म नहीं हुआ इसलिए मच्छरों से बचाव करें।
- बाहर निकलें तो फुल स्लीव्ज के कपड़े पहनें और हो सके तो पूरी बॉडी ढक कर चलने की कोशिश करें।
- बंद हेलमेट पहनकर निकलें, इससे नाक और मुंह में पॉल्युशन नहीं जाएगा, जिससे बीमारी का खतरा कम होगा।
- पीने के पानी की मात्रा बढ़ा दें।
- अगर बीमार हैं तो ज्यादा से ज्यादा आराम करें।
- दमा के पेशेंट्स हैं तो फौरन ही डॉक्टर को दिखाएं।
- बाइकर्स जैकेट पहनकर ही बाहर निकलें।
- हाइजीन को मेनटेन करें और हाथ-पांव साफ रखें।
- आसपास की सफाई व्यवस्था का भी खास ध्यान दें।
- सीनियर सिटीजन मॉर्निग वॉक को अवॉयड करें।