- केंद्र सरकार की आम बजट से बुनकरों की लगी है उम्मीद

- इंडस्ट्री के रूप में मिले पहचान

GORAKHPUR: गोरखपुर की हथकरघा उद्योग में अपनी एक अलग पहचान है। मुगल से अंग्रेजों के शासन काल तक गोरखपुर के बने कपड़े अपना अलग वजूद रखते थे। आजादी के बाद से सरकार की उपेक्षा का शिकार होने से आज इस क्षेत्र से जुड़े लोगों की हालत बद से बदतर हो गई है। लगातार बंद होते जा रहे हैंडलूमों को चलाने के लिए अब इस पारंपरिक फील्ड से लोगों को इस बजट से उम्मीद जगी है कि शायद सरकार की नजर उनपर पड़े और बदहाली के कगार पर खड़ा गोरखपुर हैंडलूम उद्योग, फिर से अपनी खोई हुई चमक वापस पा सके।

60 हजार परिवार को होगा फायदा

बुनकर उद्योग से जुड़े इमरान अहमद का कहना है कि गोरखपुर जिले में इस उद्योग से 60 हजार परिवार जुड़े हुए हैं। इनके सामने इन दिनों रोजी-रोटी का संकट आने लगा है। यही कारण है कि आज सैकड़ों लोग हैंडलूम उद्योग से अपना मुंह मोड़ रहे हैं। अगर सरकार अपने आम बजट में इसे इंडस्ट्री का दर्जा देकर सब्सिडी बढ़ा देती है और नए मार्केट डेवलप कर देती है तो शायद गोरखपुर जिले के 60 हजार परिवार को एक नई पहचान मिल जाएगी।

इन बातों को शामिल करें सरकार

- पॉवरलूमों को इंडस्ट्री वाली बिजली दी जाए

- सरकार नए-नए मार्केट डेवलप करे

- बुनकर इंडस्ट्री से जुड़े मजदूरों के लिए नई योजनाएं दे सरकार

- सस्ते दामों पर धागे उपलब्ध कराए

- सस्ते लोन की व्यवस्था करे

- सस्ते ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था

सरकार इस बजट में बुनकरों के लिए कुछ ऐसी योजनाएं लाए, जिससे लगातार पलायन की मार झेल रहे इस उद्योग में स्थायित्व आए और लोगों को रूझान इस ओर बढ़े। सरकार को एक बार इसे इंडस्ट्री का दर्जा अगर दे दी तो यह खुद अपनी अलग पहचान बना सकेगा।

अकील अहमद, बुनकर

हैंडलूम में बहुत सारी समस्याएं हैं। आज भी यह घर में चलने वाला उद्योग है, इस उद्योग की उपेक्षा के कारण लोग इसे छोड़ रहे हैं और मजदूर बनने के मजबूर हो गए हैं। सरकार को ऐसे उद्योगों को बढ़ावा देना चाहिए, जिससे वह अपनी जिंदगी सम्मान के साथ जी सकें।

शमीम, बुनकर

आज भी गोरखपुर में बहुत ऐसे परिवार हैं जो इस उद्योग से जुड़े हुए हैं, लेकिन सरकारी सहायता न मिलने के कारण आज परिवार भूखमरी के कगार पर पहुंच गया है। ऐसे परिवार के लिए सरकार अपने बजट में प्रावधान करें, जिससे ऐसे परिवार पलायन करने के लिए मजबूर न हों।

फिरोज अहमद, बुनकर

सरकार अगर हैंडलूम एरिया में इंडस्ट्रियल एरिया वाली बिजली और सस्ते धागे उपलब्ध कराना शुरू कर दे तो शायद एक बार फिर से बुनकरों के चेहरों पर खुशियां आ जाएगी। सरकार को योजना बनाकर खत्म हो रहे इस पारंपरिक उद्योग को बढ़ावा देना चाहिए।

हकीक, बुनकर