-राज्यपाल के जाते ही 'चोरी' हो गया था हैलीपैड
-पीडब्ल्यूडी ने की थी पुलिस से शिकायत
-आनन फानन में गोविवि ने एक दिन में बनवा दिया हैलीपैड -लोक निर्माण मंत्री के आने की सूचना पर खुला खेल
GORAKHPUR : दीनदयाल उपाध्ययाय गोरखपुर यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में शिरकत करने 7 फरवरी को राज्यपाल रामनाईक आते हैं। उनके हैलीकॉप्टर के लिए पीडब्ल्यूडी डिपार्टमेंट को हैलीपैड बनाने का काम दिया जाता है। फ्0 हजार ईटों से हैलीपैड तैयार होता है। पीडब्ल्यूडी ठेकेदार को ख्.भ् लाख रुपए का भुगतान भी हो जाता है। ख्8 फरवरी को पीडब्ल्यूडी मिनिस्टर शिवपाल सिंह आने की सूचना मिलते ही पीडब्ल्यूडी के आला अधिकारी हैलीपैड चेक करने यूनिवर्सिटी पहुंचते है। पूरे यूनिवर्सिटी का चक्कर काटने के बाद भी जब उन्हें हैलीपैड दिखाई नहीं देता तो उनके होश फाख्ता हो जाते हैं।
मामला पहुंच गया थाने
ईटे न मिलने पर पीडब्ल्यूडी के अफसर ख्भ् फरवरी को ईट चोरी की तहरीर देने कैंट थाने पहुंचते हैं। पुलिस शिकायत लेती है और पूरा मामला समझने के बाद एफआईआर में आरोपी यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन को बनाने की बात कहती है। जैसे ही यह बात वीसी के कानों तक पहुंचती है, तत्काल प्रभाव से यूनिविर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन को मामला शांत करने के लिए कहा जाता है।
न चोर, न चोरी और बन गया हैलीपैड
यूनिविर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन जब पीडब्ल्यूडी अफसर से शिकायत वापस लेने की बात कहती है तो उनके सामने एक शर्त रखी जाती है। तत्काल प्रभाव से हैलीपैड बनवाया जाए। चोर कौन है और क्यों की चोरी यह बाद में तलाशा जाएगा। यूनिवर्सिटी तैयार हो जाता है और आनन फानन में ख्7 फरवरी की शाम तक हैलीपैड बनकर तैयार हो गया। अब सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर फ्0 हजार ईटें यूनिवर्सिटी प्रशासन के सामने किसने गायब कर दी।
जेई को जब जानकारी मिली कि यूनिवर्सिटी में बने हेलीपैड की ईंटे गायब हो गई है विवि प्रशासन से बात की गई। पहले तो विवि प्रशासन मामले को लेकर आनाकानी की। इस संबंध में पुलिस को शिकायती पत्र दिया गया।
पुलिसिया कार्रवाई से बचने के लिए विवि प्रशासन ने नई ईंटों से हेलीपैड बना दिया।
राजेश कुमार,
अधिशासी अभियंता, निर्माण खंड भवन, पीडब्ल्यूडी