गोरखपुर (ब्यूरो)।वहीं, इस बार स्कूलों में दस से 15 परसेंट तक बढ़ी फीस और कॉपी-किताब के बढ़े दाम ने गार्जियन का चैलेंज और बढ़ा दिया है।
केस 1
सैलरी खत्म हुई तो कर्ज लिया
गोरखनाथ एरिया के अरविंद कुमार की दो बेटियां हैं। उनकी मासिक सैलरी 25 हजार रुपए है। अरविंद ने बताया, मार्च-अप्रैल में बच्चों की पढ़ाई बहुत टेंशन देती है। इस बार तो फीस भी बढ़ गई, इसलिए मुझे कर्ज लेना पड़ा। उन्होंने बताया कि दोनों बेटियों का 24 हजार रुपए स्कूल में जमा कर एडमिशन करवाया है। इसके अलावा दोनों बेटियों की किताब-कॉपी 11 हजार रुपए में खरीदीं। दोनों बच्चों के ड्रेस और जूता में 6 हजार रुपए खर्च करने पड़े, जिसमे मेरी सैलरी कम पड़ी तो दोस्तों से उधार पैसे लिए हैं।
केस 2
पढ़ाई में निकल गई पूरी सैलरी
सिविल लाइन एरिया के संजीव ने बताया कि हर साल मार्च अप्रैल माह परेशानी लेकर आता है। मैं प्राइवेट जॉब में हूं। मेरी सैलरी 35 हजार रुपए हैं। मेरे दो बच्चे हैं। दोनों के एडमिशन और कॉपी किताब में 42 हजार रुपए का खर्च आ रहा है। बच्चों की किताबें तो 13 हजार रुपए में खरीद दी हैं, लेकिन एडमिशन फीस अभी जमा नहीं कर पाया हूं। स्कूल को एक लेटर दिया है कि मेरी एडमिशन फीस को तीन किस्त में डिवाइड कर दें। बच्चों की डे्रस, कॉपी-किताब और जूते मोजे में मेरी सैलरी लगभग खत्म हो चुकी है।
ये महज दो केस हैं। ऐसी परेशानी से इस समय गोरखपुर में अधिकतर मध्यमवर्गीय परिवार गुजर रहे हैं, जिससे भी मिलो वो बस बच्चों और स्कूल खर्च की बातें कर रहा है। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई गार्जियन को कर्जदार बना रही है।
एडमिशन फीस में उलझे गार्जियन
गार्जियंस का कहना है कि स्कूलों में ट्यूशन फीस के नाम पर प्रति माह 300 से 600 रुपए तक बढ़ा दिए गए हैं। वहीं, स्कूल हर साल एडमिशन फीस भी लेता है। जबकि एडमिशन फीस एक बार ही ली जाती है। गार्जियन का कहना है कि एडमिशन फीस अधिक दर्द दे रही है।
कुछ इस तरह बढ़ी फीस
- सेंट जोसेफ स्कूल में क्लास 1 से 5 तक के बच्चे की पिछले साल 11,000 रुपए एडमिशन फीस थी। इस साल बढ़कर 15 हजार हो गई। हर दो माह में पहले 3500 लगता था, अब 4500 रुपए लग रहे हैं।
- सरस्वती बालिका स्कूल में पिछले साल 6-8 क्लास की बच्ची की 9300 रुपए एडमिशन फीस थी। इस बार बढ़कर 10,800 रुपए हो गई। पहले क्वार्टरली तीन माह पर 3 हजार जमा होता था, अब दो माह में 3 हजार रुपए जमा हो रहा है।
एक सेट स्कूल ड्रेस- 1000 रुपए
बैग- 1500
जूता-मोजा- 600-800
सीबीएसई स्कूल- 125
आईसीएससीई स्कूल- 25
यूपी बोर्ड स्कूल- 489
मार्च, अप्रैल माह गार्जियन के लिए बहुत ही चैलेजिंग होता है। बहुत से गार्जियन की कॉल आ रही है। वे चाह रहे हैं कि उनकी एडमिशन फीस किस्त में डिवाइड हो जाए। कुछ जगहों पर निवेदन करके ऐसा करवाया भी गया है। ताकि गार्जियन का लोड थोड़ा हल्का हो जाए।
अनुराग त्रिपाठी, अध्यक्ष, पेरेंट्स एसोसिएशन
ऐसे कर रहे मैनेज
कालेपुर के प्रमोद कुमार ने बताया, हर माह औसतन 25 परसेंट बच्चों की पढ़ाई पर खर्च होता है। मार्च-अप्रैल माह के लिए पहले से ही सेविंग करके रखते हैं, ताकि बच्चों की कॉपी-किताबें, फीस और उनकी स्कूली एक्टिविटी मेें किसी तरह की परेशानी न हो।
एक ही बार ले सकते हैं एडमिशन फीस
यूपी स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनिमय) अधिनियम 2018 के अनुसार स्कूल एक ही बार एडमिशन फीस ले सकते हैं। चूंकि, इसकी सीमा तय नहीं है। इसलिए कुछ प्राइवेट स्कूल एडमिशन फीस के नाम पर हजारों रुपए वसूल रहे हैं।