गोरखपुर (ब्यूरो)।15 सूत्रीय मांगों को लेकर देवरिया, कुशीनगर और गोरखपुर के अशासकीय अनुदानित कॉलेज के टीचर्स ने वीसी प्रो। राजेश सिंह के खिलाफ नारेबाजी की। इसके साथ ही 7 घंटे तक वीसी ऑफिस का घेराव भी किया। टीचर्स ने वीसी के तानाशाही और शिक्षक विरोधी रवैया की निंदा करते हुए आरोप लगाया कि वह कॉलेज के टीचर्स की उपेक्षा करते हंै। एक तरफ कॉलेजों से लेट पेमेंट के साथ पूरी फीस वसूली जाती है, लेकिन टीचर्स के परीक्षा पारिश्रमिक का भुगतान 3 वर्षों से लंबित है।
200 टीचर्स ने दिया धरना
गुआक्टा अध्यक्ष प्रो। केडी तिवारी और महामंत्री प्रो। धीरेंद्र सिंह के नेतृत्व में 200 से अधिक टीचर्स ने धरना दिया। टीचर्स ने रजिस्ट्रार ऑफिस के सामने जमीन पर बैठ शाम 7 बजे तक नारेबाजी कर प्रदर्शन किया। कॉलेज टीचर्स की मांग थी कि ग्रीष्मावकाश को नियमानुसार 2 महीने किया जाए, शिक्षक समस्याओं के निदान के लिए सिटीजन चार्टर लागू किया जाए, सभी प्रकार के देयों का भुगतान यथाशीघ्र किया जाए, नए टीचर्स को बिना अवकाश के शोध करने की सुविधा दी जाए, कॉलेज के प्रोफेसर बने टीचर्स को यूनिवर्सिटी के विभिन्न समितियों में जगह दी जाए, यूजी टीचर्स को शोध निर्देशक बनाया जाए, गेस्ट हाउस की बढ़ी हुई फीस तत्काल वापस ली जाए, जिन कॉलेजों के प्राचार्य को अभी तक निर्देशक नहीं बनाया गया है उन्हें तुरंत बनाया जाए।
शाम को बनी सहमति
दिनभर प्रदर्शन के बाद शाम 7:30 बजे महामंत्री प्रो। धीरेंद्र सिंह के नेतृत्व में सात मेंबर्स की टीम वीसी से मिली। इसमें प्रो। अजय कुमार मिश्र, डॉ। अमृतांशु शुक्ला, डॉ। अनूप श्रीवास्तव, डॉ। राकेश सिंह, डॉ। निरंकार त्रिपाठी, डॉ। लोकेश त्रिपाठी आदि शामिल रहे। इसमें वीसी से बातचीत में 45 दिन के ग्रीष्मावकाश, जल्द सभी फाइलों का निस्तारण, कॉलेज टीचर्स के लिए शोध के लिए अवकाश लोन लेने का सर्कुलर जारी करने, सभी प्रकार के भुगतान जल्द करने पर सहमति बनी। वहीं, एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक पर गुआक्टा के तत्वावधान में कॉलेजों के टीचर्स के द्वारा किए गए प्रदर्शन को यूनिवर्सिटी प्रशासन ने गंभीरता से लेते हुए खेदजनक बताया है।
टीचर्स पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगी यूनिवर्सिटी
गुआक्टा के प्रदर्शन के बाद देर शाम यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से एक विज्ञप्ति जारी कर बताया गया कि कॉलेज के टीचर्स से संबंधित समस्याओं के समाधान के प्रति यूनिवर्सिटी सकारात्मक है। जिस तरह से प्रदर्शनकारी टीचर्स ने अनुशासनहीनता की है और मेन गेट का ताला तोड़कर अंदर प्रवेश कर अभद्रता की है उससे यूनिवर्सिटी की गरिमा आहत हुई है। इसमें प्रॉक्टर डॉ। सत्यपाल सिंह की ओर से बताया गया कि यूनिवर्सिटी प्रशासन प्रदर्शनकारी टीचर्स के ऊपर अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगी। साथ ही संबंधित टीचर्स को यूनिवर्सिटी की विभिन्न समितियों से बाहर किए जाने पर भी विचार किया जा रहा है।
गुआक्टा ने की निंदा
यूनिवर्सिटी के फैसले के बाद गुआक्टा अध्यक्ष प्रो। केडी तिवारी और महामंत्री प्रो। धीरेंद्र सिंह ने भी विज्ञप्ति जारी इसकी घोर निंदा की। उसमें कहा कि बार-बार यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से हो रहे वादाखिलाफी की गुआक्टा भत्र्सना करती हैं। यूनिवर्सिटी का आधा से अधिक खर्च कॉलेजों से प्राप्त धन से चलता है। कॉलेज टीचर्स को विभिन्न समितियों में रखकर यूनिवर्सिटी कोई उपकार नहीं करती है बल्कि यह यूनिवर्सिटी अधिनियम 1973 एवं परिनियम में वर्णित नियमों के आधार पर करना पड़ता है। यूनिवर्सिटी के तानाशाही एवं भ्रष्टाचार की गाथाएं गोरखपुर की गलियों में तैर रही हैं। नैक की ओर से अच्छा ग्रेड प्राप्त कर लेना कोई बड़ी बात नहीं है, बल्कि अपने टीचर्स और स्टूडेंट्स के साथ उचित व्यवहार करना भी सभ्यता एवं संस्कृति है।