- स्कूलों में टीचर्स के एबसेंट होने पर उठाया कदम
- टाइम टेबल से शुरु हुई पढ़ाई, माहवार तय हुए सब्जेक्ट
GORAKHPUR : स्कूलों में बंक मारना गुरुजी लोगों के लिए मुश्किल होगा। प्राइमरी और जूनियर हाईस्कूल में पढ़ाई के लिए टाइम टेबल तय हो गया है। शेड्यूल के अनुसार विषयवार पढ़ाई से जहां कोर्स पूरा कराने में मदद मिलेगी। वहीं बेसिक शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने में मदद मिलेगी। टीचर्स ने टाइम टेबल के अनुसार पढ़ाना शुरू कर दिया है। नई प्रक्रिया से उनकी परेशानी बढ़ गई है जो बंक मारकर स्कूलों से गायब रहते थे।
टीचर-संसाधान बढ़े, फिर भी नहीं सुधरी हालत
बेसिक शिक्षा की दशा सुधारने के लिए लगातार काम हो रहे हैं। टीचर्स की कमी दूर करने के लिए स्कूलों में अध्यापकों की भर्ती की गई। स्कूलों को संसाधनों से लैस किया गया। बावजूद इससे शिक्षा का स्तर नहीं सुधरा। प्राइमरी स्कूलों में भाषा, अंकगणित और जूनियर हाईस्कूलों में विज्ञान, गणित और अंग्रेजी के विषयों में बच्चों की स्थिति ठीक नहीं मिली। जांच में अक्सर टीचर्स भी लापता रहते थे। जिले में दो माह के भीतर सौ से अधिक टीचर्स को जांच में एबसेंट पाया गया था।
दो-दो स्कूल लिए गोद, फिर भी रहे पीछे
शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए जिला स्तर के अफसरों ने दो-दो स्कूलों को गोद ले लिया। इसके बाद भी कुछ स्कूलों की हालत नहीं सुधरी। जिले में डीएम रंजन कुमार ने रेतवहिया के प्राइमरी स्कूल को गोद लिया है। यहां के बच्चों को शिक्षक दिवस पर सम्मान मिला, लेकिन अन्य अफसरों के स्कूलों के बच्चे पीछे रह गए। आदर्श विद्यालय की परिकल्पना भी नहीं पूरी हो सकी इसलिए गवर्नमेंट ने सभी परिषदीय स्कूलों में टाइम टेबल बनाकर पढ़ाई कराने का निर्देश जारी किया।
हाय राम! उनका क्या जहां दो मास्टर साहब
नये टाइम टेबल से उन टीचर्स को प्रॉब्लम होने लगी है जो बंक मारकर गायब रहते थे। स्कूलों में जाने के बजाय बीएसए दफ्तर से लेकर राजनैतिक पार्टियों के कार्यक्रम में चक्कर काटते हैं। इसके अलावा उन स्कूलों में प्रॉब्लम खड़ी हो रही है जहां टीचर्स कम हैं। टीचर्स का कहना है कि शिक्षण सामग्री को रुचिपूर्ण बनाते हुए पाठ्यक्रम का विभाजन किया गया है। पढ़ाई के साथ-साथ हर शनिवार को विद्यालय में कक्षावार प्रतियोगिता का आयोजन करने, बाल सभा करने के निर्देश हैं। प्रत्येक कक्षा के प्रथम स्थान पाने वाले तीन छात्रों का प्रोत्साहन किया जाएगा।
ये होगा टाइम टेबल
प्राइमरी स्कूल
माह सब्जेक्ट
सितंबर सुलेख, वाचन, हिंदी इमला
अक्टूबर गिनती, पहाड़े, जोड़ना, घटाना, गुणा, भाग, भिन्न, दशमलव का ज्ञान
नवंबर सुलेख, वाचन, एवं हिंदी इमला
दिसंबर गिनती पहाड़े, जोड़ना, घटाना, गुणाभाग, भिन्न, दशमलव का ज्ञान
जनवरी पर्यावरणीय अध्ययन, एवं सामान्य ज्ञान
फरवरी सामाजिक विषय
जूनियर हाईस्कूल
सितंबर हिंदी, अंग्रेजी
अक्टूबर गणित
नवंबर विज्ञान
दिसंबर हिंदी, अंग्रेजी
जनवरी गणित
फरवरी विज्ञान
समय सारणी के अनुसार पाठ्यक्रम पढ़ाने से ज्यादा लाभ मिलेगा। बच्चे चीजों को ठीक से सीख लेते हैं। टाइम टेबल के अनुसार कार्ययोजना क्या होगी, इससे बच्चों में रुचि पैदा हो रही है।
प्रेम नारायण त्रिपाठी, टीचर, खजनी क्षेत्र
कुछ ही ऐसे टीचर्स हैं जो बंक मारते थे। पाठयक्रम से शिक्षा की ओर ले जाने में फायदा है। अब बच्चे बोझिल नहीं हो रहे हैं। एक दिन पहले पता चल जा रहा है कि क्या पढ़ाना है। इससे टीचर भी घर से तैयारी करके पहुंच रहे हैं।
विनोद कुमार चौरसिया, टीचर, पिपरौली क्षेत्र
पाठ्यक्रम के अनुसार पढ़ाने का निर्देश जारी किया गया है। शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने में यह बड़ा कदम है। पढ़ाई को रुचिकर बनाने में इस टाइम टेबल से मदद मिल रही है।
ओम प्रकाश यादव, बीएसए