-एमएमएमयूटी के पहले कॉन्वोकेशन में दीक्षा देने पहुंचे थे राज्यपाल
-चीफ गेस्ट के तौर पर एआईसीटीई के चेयरमैन और शिक्षा राज्य मंत्री भी रहे मौजूद
- इवेंट के दौरान 12 स्टूडेंट्स को दिए गए गोल्ड मेडल, कुल 236 स्टूडेंट्स को मिली डिग्री
GORAKHPUR:
आज का दौर कॉम्प्टीशन का दौर है। इसमें कड़ी मेहनत से ही सफलता मिलेगी। शॉर्टकट कभी-कभी होता है, लेकिन यह कब आपको कट कर देगा आपको पता भी नहीं चलेगा। इसलिए कड़ी मेहनत करें। इसका कोई पर्याय नहीं है। यह बातें राज्यपाल राम नाईक ने रविवार को कही। वह मदन मोहन मालवीय यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के पहले कॉन्वोकेशन में शामिल होने गोरखपुर आए थे। इस दौरान उन्होंने एमटेक के 158 और एमबीए के 58 स्टूडेंट्स को दीक्षा दी थी, जिसमें 12 गोल्ड मेडलिस्ट शामिल हैं।
साल का पहला कॉन्वोकेशन
राज्यपाल ने बताया कि मेरे कार्यकाल का तीसरा साल चल रहा है। इसका यह पहला कॉन्वोकेशन है, वहीं यूनिवर्सिटी का भी यह पहला कॉन्वोकेशन है। मुझे काफी प्रसन्नता है कि यूनिवर्सिटी के पहले कॉन्वोकेशन में मुझे शामिल होने का मौका मिला। कहा कि जितनी शरीर में ताकत है, लगाते रहना चाहिए। साथ ही यह भी ख्याल रखना है कि आपके पास जो बुद्घि आई है, आपका शरीर स्वस्थ है या नहीं है, इसका भी विचार रखिए।
यहां तो सब समान हैं
छात्रों के पाए मेडल पर कहा कि यहां छात्र और छात्राओं में समान प्रमाण दिखाई देता है। यहां छात्रों को 6 और छात्राओं को भी 6 पदक मिले हैं। यहां समानता दिखाई देती है। बाकी के विश्वविद्यालयों में छात्राएं आगे जा रही हैं। आजकल जहां मांग की जाती है कि 33 परसेंट आरक्षण विधानसभा और लोकसभा में महिलाओं को मिलना चाहिए, लेकिन यहां अपनी मेहनत के बल पर छात्राएं 50 परसेंट तक पहुंची है।
यहां मिलेंगी विदेशों जैसी सुविधाएं
चीफ गेस्ट एआईसीटीई चेयरमैन अनिल डी सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि आज देश की यूनिवर्सिटीज भी आगे बढ़ रही हैं, हमारी कोशिश है कि यहां भी विदेशों जैसी सुविधाएं मिलने लगे और लोगों को बाहर न जाना पड़े। इसके लिए एआईसीटीई ने यूनिवर्सिटीज और इंस्टीट््यूशंस को नई फैसिलिटी दी है। इसके तहत वह विदेशों में चल रहे रिनांउड कोर्सेज के एक्सपटर्््स को विदेशों से बुलाकर ट्रेनिंग करा सकते हैं। इसका पूरा खर्च एचआरडी मिनिस्ट्री उठाएगी। साथ ही सक्षम योजना शुरू की गई है, इसमें स्टूडेंट््स खुद कंप्यूटर की हेल्प से स्टडी कर सकते हैं, इससे देश के प्रधानमंत्री की डिजिटल इंडिया स्कीम को भी बढ़ावा मिलेगा।
अच्छी यूनिवर्सिटीज में गिनी जाएगी एमएमएमयूटी
जब चाइना वार हो रहा था, तब यह इंस्टीट्यूशन बना था। तब से यह लगातार प्रगति कर रहा था। पांच दशक में यूनिवर्सिटी ने काफी कुछ किया है। ढाई साल में इस यूनिवर्सिटी ने जिस तरह प्रोग्रेस की है, इससे लगता है कि यह यूनिवर्सिटी भारत की अच्छी यूनिवर्सिटी में गिनी जाएगी, और जल्द यह रैंकिंग सिस्टम में भी शामिल हो जाएगी। जिस तरह बच्चा छोटा होता है, तो उसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं, वैसे ही इस यूनिवर्सिटी के अच्छे लक्षण अभी से ही नजर आने लगे हैं। मैं पूरा कॉन्फिडेंट हूं कि यह यूनिवर्सिटी अच्छा काम जरूर करेगी।
ताजमहल बनाने वालों के पास डिग्री थी क्या
स्पेशल गेस्ट शिक्षा राज्यमंत्री महफूज किदवई ने कहा कि नौकरी देने वालों से कहना चाहता हूं कि युवाओं को नौकरी दो, छोटी ही दो लेकिन दो। तुम कहते हो कि उनके पास एक्सपीरियंस नहीं है। मैं ऐसे लोगों से पूछना चाहता हूं कि वह बताएं कि जिन मजदूरों ने ताजमहल बना दिया क्या उनके पास सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री थी। मैं पूरी दुनिया में घूम आया, यहां के नौजवानों में दुनिया में किसी से कम इंटेलिजेंस नहीं हैं, हमारे युवा जिन मुश्किल परिस्थितियों में काम करते हैं, उन परिस्थितियों में दूसरे देश के युवा काम छोड़कर भाग जाते हैं।
मौके पर एमएमएमयूटी के वीसी प्रो। ओंकार सिंह, डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो। अशोक कुमार, सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो। रजनीकांत पांडेय, इलाहाबाद स्टेट यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो। आरपी यादव, डीएम ओएन सिंह, मेयर डॉ। सत्या पांडेय आदि मौजूद थे।