-टीचर्स को मिली बच्चों तक खाद्य सुरक्षा भत्ता पहुंचाने की जिम्मेदारी
- अपर मुख्य सचिव ने सौंपी पैरेंट्स और बच्चों का ब्यौरा जुटाने की जिम्मेदारी
- सोमवार से प्रमुखता से शुरू होगा काम, सभी टीचर्स को सहयोग करने का निर्देश
GORAKHPUR: लॉकडाउन की वजह बंद चल रहे सरकारी, अनुदानित, जूनियर और माध्यमिक विद्यालयों के बच्चों को 76 दिन का खाद्य सुरक्षा भत्ता देने की कवायद बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से शुरू कर दी गई है। जिले के 3222 स्कूलों में पढ़ने वाले साढ़े तीन लाख से अधिक बच्चों के पैरेंट्स के बैंक खाते का ब्यौरा टीचर्स की ओर से जुटाया जाएगा। अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार ने सोमवार से सभी टीचर्स को विद्यालय पहुंचकर व्यवस्था में सहयोग करने का निर्देश दिया है।
मार्च से नहीं बन रहा मिड डे मिल
आदेश के मुताबिक मार्च से स्कूल बंद चल रहे हैं ऐसे में वहां मिड डे मिल नहीं बन रहा है। ऐसे में वहां पढ़ने वाले बच्चे कुपोषण का शिकार न हो। ऐसे में उन्हें प्रतिपूर्ति के रूप कोटेदार से खाद्यान्न और परिवर्तन लागत को पैरेंट्स के खातों में हस्तांतरित किया जाएगा। (24 मार्च से 30 जून) 76 दिन के एमडीएम की परिवर्तन लागत के रूप में प्राथमिक विद्यालय के स्टूडेंट को 374 रूपया और उच्च प्राथमिक विद्यालय के स्टूडेंट को 561.02 रूपए प्रति छात्र ऑनलाइन पैरेंट्स के खातों में भेजा जाएगा। वहीं खाद्य सुरक्षा भत्ता के तहत स्टूडेंट्स को 76 दिन का खाद्यान्न भी मुहैया कराया जाएगा। इसके तहत प्राथमिक विद्यालयों के हर स्टूडेंट को 7.60 किलोग्राम और उच्च प्राथमिक विद्यालयों को 11.40 किलोग्राम खाद्यान्न कोटेदार के माध्यम से वितरित कराया जाएगा।
टीचर की तय की गई जिम्मेदारी
बीएसए बीएन सिंह ने बताया कि परिवर्तन लागत के भुगतान के लिए खंड शिक्षा अधिकारी की ओर से प्रेरणा पोर्टल के द्वारा छात्र छात्राओं का विद्यालयवार डाटा प्रधानाध्यापक को मुहैया कराया जाएगा। प्रधानाध्यापक छात्र छात्राओं के नाम, मोबाइल नंबर, अभिभावक का बैंक खाता, आईएफएससी कोड, बैंक का नाम, लाभांवित छात्र छात्राओं का आधार नंबर जुटाएंगे। परिवर्तन लागत की धनराशि एमडीएम निधि के खाते से संबंधित कार्यदायी संस्था डीबीटी के रूप में आरटीजीएस के रूप में करेगी। जिले द्वारा विकसित गूगल स्प्रेडशीट पर समस्त अभिलेखों को अंकित किया जाएगा।