-मरीज के साथ आए तीमारदारों पैसे के लिए लगाते रहे चक्कर

-सुबह से लेकर शाम तक करना पड़ा परेशानी का सामना

-जिला अस्पताल के काउंटर पर नहीं मिला छुट्टा, हुई परेशानी लौटे मरीज

GORAKHPUR: 500 और 1000 का नोट बंद करने का आदेश आते ही गोरखपुर में हड़कंप मच गया। सरकार के दावे के बाद भी यहां के अस्पतालों में बुधवार से ही नोट नहीं लिए गए। इससे मरीजों के साथ-साथ तीमरदार इधर-उधर भटकते रहे।

सरकारी अस्पताल में छुट्टे पैसे की परेशानी

छुट्टा पैसा न होने की वजह से कतार में लगे तीमारदार व पेशेंट्स को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। दो बजे के बाद कतार में लगे आधे से अधिक लोगों को मायूस होकर वापस लौटना पड़ा। जिला महिला अस्पताल व मेडिकल कॉलेज के यूजर चार्ज काउंटर में भी स्थिति यहीं रही।

निजी हॉस्पिटल्स का सच

नोट पर चोट से पब्लिक सकेत में आ गई है। बुधवार को 11.30 पर आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने सिटी के दर्जनभर निजी हॉस्पिटल्स का जायजा लिया। इस बीच चाहे हॉस्पिटल का भर्ती काउंटर हो या दवा काउंटर सभी जहां 500 व 1000 हजार के नोट नहीं लिए गए। कुछ लोगों ने बताया कि बड़े नोट के कारण इलाज नहीं हो पाया। डॉक्टर व कंपाउंडर ने बहाना बना दिया। मेडिकल स्टोर्स वाले भी नोट नहीं ले रहे हैं।

कोट

बेटे बृजनाथ की हालत काफी गंभीर है। पेशाब में पथरी की शिकायत है। इस नाते सुबह देवरिया से गोरखपुर निजी हॉस्पिटल में एडमिट करवाया, लेकिन बड़े नोट होने की वजह से हॉस्पिटल भी लेने से मना कर दिया। इस वजह से संकट खड़ा हो गया है। खबर के मुताबिक, हॉस्पिटल्स में 500 व 1000 के नोट लेने का प्रावधान है, मगर यह भी मनमानी कर रहे हैं। इस दशा में मरीजों को इलाज अधर में हैं।

गणेश जायसवाल, देवरिया

गले में तकलीफ थी। कैंट स्थित नाक, गला विशेषज्ञ के यहां नंबर लगया था। नंबर आने के बाद काउंटर पर पर्ची का फीस जमा करना था। 500 का नोट दिया, लेकिन कर्मचारी ने नहीं लिया। दवा काउंटर पर पहुंचा तो उसने भी मना कर दिया। डॉक्टर से गुजारिश की, लेकिन किसी ने भी एक ना सुनी। थक हार कर मेडिकल स्टोर पहुंचा तो उसने भी ठेगा दिखा दिया। मजबूरी में बिना इलाज कराए ही घर जा रहा हूं।

महेश प्रसाद, खजनी

बहन के नाक और गले में दिक्कत थी। एक दिन पहले मोबाइल से नंबर लगा दिया। सुबह जब पहुंचा तो मेरे पास एक हजार की नोट थी। जब काउंटर पर दिया तो उसने मना कर दिया। सवाल किया तो नाराज होकर मुझे ही उल्टा सीधा कहने लगा। इसके बारे में जब डॉक्टर से कहा गया तो वह भी कर्मचारी के फेवर में आए गए। आदेश का हवाला देने लगे।

हरि नारायण, कूड़ाघाट

मरीज के नाक से काफी ब्लड आ रहा था, वह गंभीर हालत में थी। फिर भी डॉक्टर ने इलाज नहीं किया। ऐसा इसलिए कि उसके पास छुट्टा नहीं था। 500 व हजार के नोट के अलावा सिर्फ सौ रुपये का एक नोट था और डॉक्टर की पीस ही 500 रुपये थी, लेकिन इसके बावजूद नोट नहीं लिए गए। दवा काउंटर के मालिक तो मरीजों से लड़ने को तैयार हो जा रहे थे। आखिरकार पब्लिक क्या करें। मजबूरी के नाते उन्हें घर लौटना रहे हैं।

अमित कुमार, सिटी

दवा के लिए 500 व हजार का नोट लेकर भलोटिया मार्केट में पहुंचा। लेकिन दवा खरीदने के बाद जब बड़े नोट दिए तो थोक करोबारी ने पैसा लेने से इनकार कर दिया और कहा कि बड़े नोट को छोटा कर ले आईए तभी जाकर दवा मिल पाएगा। इस पर उनसे तिखी बहस भी हुई, मगर क्या किया जाए। व्यवस्था लागू होने के बाद से ही चाहे पब्लिक को या कारोबरी सभी पर प्रभाव पड़ा है। उन्हें नोट को लेकर परेशानी का भी सामना करना पड़ रहा है।

प्रदीप मिश्रा, फुटकर दवा कारोबारी