- सरकारी विभागों पर बिजली विभाग का 9 करोड़ रुपए है बकाया
- पब्लिक से हो रही वसूली मगर विभागों पर दिखा रहे मेहरबानी
GORAKHPUR : एक जुमला प्रशासनिक दफ्तरों में खूब सुनाई देता है, 'सरकारी काम है तो अटकेगा ही'। ये जुमला हकीकत बना है बिजली विभाग में। जहां सरकारी विभाग ही एक करोड़ रुपए से ज्यादा के बकायदार हैं। जिले के ग्रामीण-शहरी विभागों को मिला लें तो करीब 9 करोड़ रुपये का बिजली बिल बकाया है। इतने रुपयों से पूरे जिले को एक करोड़ यूनिट एक्स्ट्रा बिजली मिल सकती है। इतनी बिजली से पूरे जिले को करीब तीन घंटे बिजली सप्लाई की जा सकती है। एक सरकारी विभाग दूसरे का पैसा दबाकर पब्लिक को परेशान कर रहे हैं। जब बिजली विभाग बिल की वसूली करने जाता है तो बजट का रोना रोकर कुछ दिन की राहत मांग ली जाती है। बकाया रकम बढ़ती रहती है और जिले में बिजली गायब होती रहती है।
सब हैं बकायदार
जिले के सभी विभाग बिजली विभाग के कर्जदार हैं। विभागों में कुछ न कुछ बकाया पड़ा हुआ है। पूर्वाचल विद्युत वितरण निगम के चीफ इंजीनियर डीके सिंह की मानें तो इस बकाया रकम की वसूली पर जिले को मिले वालो वसूली टारगेट का 15 परसेंट पूरा हो जाता। बिजली विभाग पर जब दबाव पड़ता है तो कार्रवाई शुरू होती है। पिछले वर्ष विकास भवन पर 12 लाख रुपए का बकाया होने पर गोलघर एसडीओ ने विकास भवन की बिजली काट दी। अधिकारियों ने एक दिन का समय मांगा, लेकिन जब दूसरे दिन भी बिल जमा नहीं हुआ तो 2 बजे के करीब फिर बिजली काट दी गई। दूसरे दिन विकास भवन ने शाम 4 बजे बिल जमा किया। इसी तरह मेडिकल कॉलेज प्रशासन की बिजली कई बार काटने के बाद मेडिकल कॉलेज ने वर्षो से बकाया 93 लाख रुपए जमा कर दिए। इसी तरह इंजीनियरिंग कॉलेज और पीडब्ल्यूडी ऑफिस का कनेक्शन काटे जाने के बाद ही उन्होंने कुछ बकाया जमा किया।
ग्रामीण अंचल के सरकारी विभागों पर टोटल बकाया- 407.86 लाख रुपए
शहरी अंचल में सरकारी विभागों पर टोटल बकाया- 486.09 लाख रुपए
इनसे वसूलें तो बने बात
विभाग बकाया
पुलिस 140.01
चिकित्सा 114.14
न्याय 104.19
चिकित्सा शिक्षा 93.18
खंड विकास 50.99
मुख्य विकास 46.57
माध्यमिक शिक्षा 37.58
प्रशासन 32.03
राजस्व 26.43
कारागार 24.47
नोट- अमाउंट लाख रुपए में है।
सरकारी विभागों पर बकाया राशि बहुत अधिक हो गई है। इसके लिए सभी विभागों को नोटिस दिया गया है। इस माह के अंत तक यह बिल जमा नहीं करते हैं तो इन विभागों के कनेक्शन काट दिए जाएंगे।
डीके सिंह, चीफ इंजीनियर, गोरखपुर जोन