- बीआरडी मेडिकल कॉलेज में करोड़ों की लागत की 6 एंबुलेंस फांक रहीं धूल
- गैराज में बंद पड़ी रहती हैं एंबुलेंस
GORAKHPUR : इच्छाशक्ति का अभाव और जागरूकता का अभाव बीआरडी मेडिकल कॉलेज के पेशेंट्स को चपत लगा रहा है। कॉलेज के गैराज में खड़ी सरकारी एंबुलेंस सफेद हाथी बनकर रह गई हैं। करोड़ों की लागत से खरीदी गई 6 एंबुलेंस महीने में सिर्फ चार-पांच दिन चलती हैं। जबकि इनका किराया प्राइवेट से भी सस्ता होता है। जानकारों की मानें तो पब्लिक के बीच इन एंबुलेंस का सही तरीके से प्रचार-प्रसार न करने के चलते इनका यूज कम होता है।
सिर्फ चार दिन ही बाहर निकली एंबुलेंस
मंथ एंबुलेंस रन डेट
अगस्त 3, 8, 18, 21
जुलाई 6, 10, 12, 13, 25
गैराज में बंद रहती हैं एंबुलेंस
मेडिकल कॉलेज की ज्यादातर एंबुलेंस गैराज में बंद रहती हैं। इमरजेंसी के ठीक सामने 24 घंटे प्राइवेट एंबुलेंस खड़ी रहती हैं। गंभीर पेशेंट्स को बाहर रेफर किये जाने पर घबराहट में लोग निजी एंबुलेंस हायर करते हैं। सरकारी एंबुलेंस की अपेक्षाकृत लंबी प्रक्रिया पेशेंट्स को निजी एंबुलेंस से ले जाने पर मजबूर करती है।
सरकारी वसूल रहे एक्स्ट्रा चार्ज
सरकार के निर्देश के मुताबिक एंबुलेंस को रेफर पेशेंट से आठ रुपए प्रति किमी के हिसाब से किराया लिया जाना चाहिए। आने-जाने का किराया 16 रुपए प्रति किमी। बनता है। इस हिसाब से तीन सौ किलोमीटर से 4800 रुपए बनते हैं, लेकिन एंबुलेंस रजिस्टर में 300 किमी के लिए 5300 रुपए लिए जाने का ब्यौरा दर्ज मिला। इस संबंध में जब एसआईसी से बात करने की कोशिश की गई तो बताया गया कि वे मीटिंग में व्यस्त हैं।
हम तो हमेशा तैयार रहते हैं, इमरजेंसी के बाहर लगे बोर्ड पर ड्राइवर्स?के मोबाइल नंबर भी लिखे हैं, लेकिन जल्दबाजी में लोग उसपर ध्यान नहीं देते। निजी एंबुलेंस वाले सरकारी से अधिक रुपए भी लेते हैं।
महेंद्र दूबे, सरकारी एंबुलेंस चालक