गोरखपुर (ब्यूरो)।किसानों की आमदनी दो से ढाई गुना करने में परम्परागत खेती के साथ रेशम कीटपालन एक उत्कृष्ट माध्यम बन सकता है। यह बातें सीएम योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को योगिराज बाबा गंभीरनाथ प्रेक्षागृह में आयोजित रेशम कृषि मेला के इनॉगरेशन करने के बाद उपस्थित किसानों व जनसमूह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर सीएम ने 11.38 करोड़ रुपए की लागत से 18 चाकी कीटपालन भवनों, 36 सामुदायिक भवनों और 9 धागाकरण मशीन शेड का लोकार्पण व शिलान्यास किया। साथ ही लाभार्थियों को रेशम कीटपालन गृह के लिए अनुदान राशि का वितरण किया।
किसान हो सकते हैं आत्मनिर्भर
रेशम निदेशालय उत्तर प्रदेश एवं अनुसंधान प्रसार केंद्र, केंद्रीय रेशम बोर्ड वस्त्र, मंत्रालय भारत सरकार की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में सीएम योगी ने कहा कि देश की कुल कृषि योग्य भूमि यहां 12 प्रतिशत ही है, लेकिन यूपी देश के कुल खाद्यान्न उत्पादन में 20 प्रतिशत का योगदान देता है। उत्तर प्रदेश में 9 क्लाइमेटिक जोन हैं। यहां अलग अलग समय मे अलग अलग फसलें लहलहाती हैं। सीएम ने कहा कि यूपी में तीन हजार टन रेशम की जरूरत है, लेकिन उत्पादन साढ़े तीन सौ टन का ही है। इस लिहाज से देखें तो रेशम उत्पादन करने वालों के लिए यूपी ही इतना बड़ा बाजार है। यहां तो हर व्यक्ति अपने बेटी के विवाह में वाराणसी सिल्क की साड़ी पहनाकर ही उसे विदा करने का प्रयास करता है। यहां मेले के स्टाल पर 45 हजार से लेकर 2.5 लाख तक की बनारसी साडिय़ां हैं। यह रेशम के सम्पन्न मार्केट का उदाहरण है। ऐसे में रेशम उत्पादन से जुड़कर किसान आत्मनिर्भरता के संकल्प को सिद्धि में बदल सकते हैं। उन्होंने कहा कि बनारस का रेशम विश्वविख्यात है। इसके साथ आजमगढ़ के मुबारकपुर, मऊ, गोरखपुर, खलीलाबाद, अंबेडकरनगर, लखनऊ, मेरठ भी क्लस्टर के रूप में हैं। यह सब मार्केट रेशम से जुड़े किसानों के लिए हैं।
यूपी में खपत बहुत ज्यादा
रेशम कृषि मेला में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित प्रदेश सरकार के एमएसएमई, खादी, ग्रामोद्योग रेशम, हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग विभाग के मंत्री राकेश सचान ने कहा कि रेशम की खपत उत्तर प्रदेश में बहुत ज्यादा है। तीन हजार टन रेशम की खपत वाराणसी में होती है जबकि वहां रेशम पैदा नहीं होता है। इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव रेशम विकास विभाग डॉ नवनीत सहगल ने आयोजन के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि किसानों की आय बढ़ाने पर सीएम योगी आदित्यनाथ का विशेष ध्यान है। कार्यक्रम में इस अवसर पर साधना सिंह, डॉ। धर्मेंद्र सिंह, राजेश त्रिपाठी, विपिन सिंह, महेंद्रपाल सिंह, प्रदीप शुक्ल आदि भी मौजूद रहे।