गोरखपुर (ब्यूरो)। दरअसल, स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि सेंधा नमक के सेवन से हार्ट की बीमारियां को कंट्रोल किया जा सकता है। जिसे लेकर आजकर ज्यादातर लोग अपने घरों में खाने-नाश्ते में इसका प्रयोग कर रहे हैैं। लेकिन अत्यधिक मात्रा में इसका सेवन भी अब लोगों के लिए मुश्किलें पैदा कर रहा है। एम्स गोरखपुर और बीआरडी मेडिकल में लगातार गले में सूजन, टॉन्सिल्स की प्रॉब्लम और थायराइड के पेशेंट्स बड़ी संख्या में पहुंच रहे है, जिसे लेकर एम्स गोरखपुर और बीआरडी मेडिकल में ईएनटी विभाग एक रिर्सच कर रहा है। इस रिसर्च में चौंकाने वाले फैक्ट सामने आये है। रिसर्च के अनुसार, सेंधा नमक के अधिक इस्तेमाल से लोगों के गले में सूजन और टॉन्सिल्स और थायराइड की प्रॉब्लम सामने सामने आ रही है। रिसर्च में यह भी सामने आया है कि इस तरह अधिकतर पेशेंट हाई या मिडिल क्लास सोसाइटी के ही है।

150 माइक्रोग्राम आयोडीन की जरूरत

डॉक्टर्स के अनुसार, एक व्यक्ति को डेली 150 माइक्रोग्राम आयोडीन युक्त नमक की जरूरत होती है। वहीं, गर्भवतियों को 220 माइक्रोग्राम आयोडीन की जरूरत होती है। पांच ग्राम सफेद नमक में शरीर के लिए जरूरी आयोडीन की प्रर्ति होती है। यदि गर्भावस्था में भी लगातार सेंधा नमक का यूज किया जाएगा तो इसका सीधा असर बच्चे की मानसिक स्थिति पर पड़ेगा।

सेंधा नम को सैंधव नमक या लाहौरी नमक भी कहते हैं। यह नमक सिंध, पश्चिमी पंजाब के सिंधु नदी के साथ लगे हिस्सों और खैबर पख्तून के कोहाट जिले से आता है। भारत में सेंधा नमक की डिमांड बीते कुछ सालों में तेजी से बढ़ी है।

एम्स और बीआरडी मेडिकल कॉलेज में डेली 10 से ज्यादा पेशेंट थायराइड बढऩे की समस्या के साथ पहुंचते हैं। इनमें महिलाओं की संख्या ज्यादा है। आयोडीन ग्रंथि बढऩे से गर्दन में सूजन मिल रही है। डॉक्टर्स का कहना है कि रोग बढऩे के कारण गले में सूजन होने लगती है। इससे कोई समस्या तो नहीं होती लेकिन देखने में यह खराब लगता है। बड़ी संख्या में लोग इसका ऑपरेशन भी करा रहे हैं।


ओपीडी में डेली गले में सूजन के पेशेंट आ रहे हैं। इनमें से ज्यादातर लगातार सेंधा नमक का इस्तेमाल कर रहे हैं। इनमें मध्यम व उच्च वर्ग के लोग शामिल हैं। जांच में सबकुछ ठीक मिलने के बाद ऑपरेशन किया जाता है।
डॉ। रूचिका अग्रवाल, ईएनटी सर्जन, एम्स

मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभाग में थायराइड के मामले ज्यादा आ रहे हैं। इसमें सबसे ज्यादा आसपास जिले के मरीज हैं। आयोडीन ग्रंथि बढऩे से गर्दन का सूजन बढऩे लगता है। इसलिए इसका ऑपरेशन किया जा रहा है। ऑपरेशन के बाद पेशेंट्स पहले की तरह स्वस्थ्य हो रहे हैं।
डॉ। आदित्य पाठक, ईएनटी विभाग बीआरडी मेडिकल कॉलेज