- शहर के हर रास्ते में गाडि़यों को खुली ही है गाड़ी धुलने की मशीन

- गाडि़यों के धुलने के लिए डेली कमा रहे हजारों

- नगर निगम या प्रशासन को भी नहीं देते टैक्स

GORAKHPUR: शहर में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। कई मोहल्ले ऐसे हैं जहां पानी की किल्लत सामने आने लगी है। हालत यह है कि लोगों को पानी के लिए सड़कों पर उतरना पड़ रहा है। इन सबके बीच एक तरफ जहां लोगों को पानी की प्रॉब्लम से दो-चार हैं, वहीं दूसरी ओर नगर निगम में रोजाना हजारों लीटर पानी गाड़ी को धोकर नालों में बहा दिया जा रहा है। नालियों में बहाए गए इस पानी की बर्बादी कर व्यापारी अंधाधुन पैसा कमा रहे हैं।

डेली दो लाख लीटर बर्बादी

शहर में डेली कम से कम दो हजार गाडि़यों की धुलाई का काम होता है। बेतियाहाता में गाड़ी धुलाई का काम करने वाले एक दुकानदार ने बताया कि हमारे यहां दिन में 10 बड़ी गाडि़यां धुली जाती है, जबकि इतनी ही छोटी गाडि़यां भी हैं। ऐसे में शहर की लगभग 200 दुकानें हैं, ऐसे में अगर 10 गाड़ी प्रत्येक दुकान धुल रही है तो शहर में डेली दो हजार गाडि़यां धुली जा रही हैं। इन गाडि़यों की धुलाई पर रोजाना दो लाख लीटर पानी खर्च हो जा रहा है।

गाडि़यों को भी नुकसान

गाडि़यों को धोने के लिए दुकानदार खुद ही बोरिंग करते हैं। शहर में अधिकतर गाडि़यों को धोने वाली दुकानें शहर के नाले के किनारे लगी हुई है। यह दुकानदार अपने यहां ट्यूबवेल 100 फीट पर लगाते हैं, नाले के किनारे होने के कारण यह पानी पूरी तरह से दूषित रहता है। अलहदादपुर एरिया में गाड़ी धुलने वाले राजेश सिंह का कहना है कि पानी से बदबू आती है। अगर गाड़ी में शैम्पू न लगाई जाए, तो गाड़ी भी बदबू करने लगेगी।

धुलाई में कितना बबार्द होता है पानी

गाड़ी पानी का खर्च किराया

दो पहिया 50 लीटर 40 से 50 रुपए

चार पहिया 100 से 150 लीटर 300 से 400 रुपए

ट्रक 150 लीटर 1000 रुपए

बस 300 से 400 लीटर 1500 से अधिक

ट्रैक्टर-ट्राली 200 लीटर 700 रुपए

गाडि़यों को धोने वाले दुकानदारों पर नगर निगर की तरफ से कार्रवाई नहीं की जाती है। नगर निगम न ही इन पर कोई टैक्स लगाता है। शहर में लगभग एक हजार गाडि़यों को धोने वाली दुकानें हैं।

अष्टभुजा सिंह, जेई, जलकल