- नगर निगम सीमा के अंदर सप्लाई हो रहा दूषित पानी
- दूषित पानी के कारण शहर में डायरिया और पीलिया का पूरे साल बना रहा है माहौल
GORAKHPUR: शहर के पानी ने किसी को नहीं छोड़ा है। इसी दूषित पानी ने गोरखपुर के यूनिवसिर्टी के कुलपति रेवती रमण पांडेय को मौत की नींद सुला दिया। वहीं सदर सांसद योगी आदित्यनाथ को गंदे पानी के कारण हुए पीलिया के चलते मंदिर में नजरबंद होने के लिए मजबूर हो गए थे। जब शहर के इतने बड़े-बड़े लोगों को गंदे पानी नहीं छोड़ रहा तो आम पब्लिक की हैसियत ही क्या। हकीकत यह है कि नगर निगम कामचलाऊ संसाधनों के भरोसे प्रदूषित पानी की सप्लाई कर रहा है।
ड्रिंकिंग वॉटर भी फेल
शहर में पीने का पानी किसी भी एरिया में शुद्ध नहीं बचा है। लोगों तक शुद्ध पानी को पहुंचाने के लिए शासन ने इंडियामार्का हैंडपंप लगाने का प्रावधान किया, लेकिन यह भी फेल साबित हो गया है। एमएमएमयूटी के प्रोफेसर डॉ। गोविंद पांडेय के नेतृत्व में स्कॉलर्स के परीक्षण में भी शहर में दूषित पानी की समस्या सामने आ चुकी है। डॉ। गोविंद पांडेय ने बताया कि हम लोगों ने टीम ने शहर के 70 जगहों से सैंपल लिया था और आर्सेनिक और फ्लोरिडा की जांच की, जांच रिपोर्ट में आर्सेनिक की मात्रा 36 प्रतिशत सैंपल फेल पाए गए, जबकि 27 प्रतिशत फ्लोरिडा के सैंपल एक्सेस पाए गए।
दांतों का बदलने लगा है रंग
गोरखपुर पानी के प्रदूषण का अंदाजा बच्चों के दांतों के बदलते रंग से लगाया जा सकता है। पिछले दो साल से शहर के कई एरिया के बच्चों के दांत अब दूषित पानी के कारण पीले और काले रंग में होने लगे हैं। नौसड़ एरिया के पासवान ढाले के पीछे वाले एरिया में 90 प्रतिशत बच्चों के दांतों का रंग बदल चुका है। वहीं 25 वर्ष के ऊपर के युवकों के भी दांतों के रंगों में बदलाव आने लगे हैं। यही हाल लच्छीपुर, नयागांव और फर्टिलाइजर के पास बसे मोहल्लों का भी है। वहीं नगर निगम के संक्रमण अस्पताल के आंकड़ों पर नजर डाले तो एक साल में लगभग दो से ढ़ाई हजार पब्लिक डायरिया के मरीज इलाज कराने आती है। इनमें 95 प्रतिशत गंदे पानी पीने के कारण बीमार पड़ते हैं।
नालियों के बीच से गुजरे हैं पाइप
शहर में पानी सप्लाई करने के लिए 1125 किमी लंबी पाइप लाइन बिछाई गई है। जलकल के विभाग के ऑपरेटर ने बताया कि जो 1125 किमी पाइप लाइन में लगभग 300 किमी पाइप लाइन शहर के नालियों और नालों के बीच से गुजरी है। जब कभी अचानक यह पाइप लाइन फट जाती है। उस समय अगर पानी सप्लाई नहीं होती है तो नाले का पानी पाइप में चली जाती है और उसके बाद वही गंदा पानी घरों में पहुंचने लगता है।
एक्सपर्ट ओपीनियन
एमएमयूटी के प्रोफेसर व जल संरक्षण पर काम करने वाले डॉ। गोविंद पांडेय का कहना है कि पूरे शहर का पानी प्रदूषित हो चुका है। ऐसे में पानी को लेकर सभी को बचाव करने की जरूरत है। पानी अगर अशुद्ध है, लेकिन मजबूरी है कि उसी पानी को पीने में उपयोग किया जा सकता है तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति को पहले उपाय के रूप में पानी को उबाल कर पीना चाहिए या क्लोरीन की गोली को मिलाकर उपयोग में लाना चाहिए। इसके अलावा जो गहरे जल स्रोत हैं उनके पानी की जांच जरूर करानी चाहिए और अगर पानी प्रदूषित है तो उस जल स्रोत पर आर्सेनिक रिमोबल यूनिट या फ्लोराइड रिमूवल यूनिट को लगाकर पानी का उपयोग करना चाहिए। इसके अलावा किसी भी अन्य तकनीकी को अपना कर पानी को शुद्ध करके उपयोग करना चाहिए। उन्होंने बताया कि पूरे शहर में इस समय 70 प्रतिशत भूमिगत जल का दोहन हो रहा है। ऐसे में अभी पब्लिक जागरूक नहीं हुई और पानी के दोहन को रोका नहीं तो आने वाले समय में और बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा।
पेयजलापूर्ति की व्यवस्था
महानगर की जनसंख्या- 8 लाख (अनुमानित जनसंख्या 13 लाख)
महानगर का कुल एरिया- 147.5 वर्ग किमी
वार्ड की संख्या- 70
बड़े ट्यूबवेल - 101
छोटे ट्यूबवेल - 26
ओवर हेड टैंक- 25
अंडरग्राउंडर टैंक- 1
स्टोरेज कैपसिटी- 19460 किलो लीटर
स्टैंड पोस्ट- 475
पाइप लाइन- 1125 किमी
हैंडपंप की संख्या- 3975
पाइप लाइन पेयजल आपूर्ति एरिया- 68 प्रतिशत
कुल कनेक्शनधारी- 49582
घरेलू- 47291
गैर-घरेलू(होटल, धर्मशाला व अन्य सामाजिक स्थानों पर कनेक्शन)- 2291
पानी सप्लाई की समय- 12 घंटे (सुबह 5 से 10 बजे, दोपहर 12 से 2 बजे और शाम 5 से 10 बजे)