GORAKHPUR:
ड्राइविंग सिर्फ अधिकार नहीं, एक जिम्मेदारी भी है। ड्राइवर बनने का हक हमारे पास है। इसके लिए हर किसी की बहुत जिम्मेदारियां भी हैं। हर व्यक्ति को इनका पालन करना चाहिए। लेकिन सड़क पर वाहन लेकर चलने के दौरान लोग अपनी जिम्मेदारियों का ध्यान नहीं रखते। गाड़ी चलाना सीखने वाले ज्यादातर लोग लाइसेंस लेना मुनासिब नहीं समझते। रात में नशे की हालत में गाड़ी चलाना लोगों की शान बन गई है। ऐसे में ट्रैफिक रूल्स, सेफ्टी किट और टूल्स का इस्तेमाल नहीं हो पाता। इस वजह से शहर में होने वाले सड़क हादसों पर लगाम नहीं कस पा रही। तकरीबन रोजाना ऐसे मामले सामने आते हैं, जिनमें नशे की हालत में ड्राइवर वाहन चलाते हैं। लोग ट्रैफिक रूल्स का पालन करते हैं। जिले में रोजाना होने वाली चेकिंग में पुलिस ऐसे वाहन चालकों के खिलाफ कार्रवाई करती है।
तीन साल में हुए हादसे
साल हादसे मृतक
2014 917 311
2015 1034 378
2016 866 276
एक्सीडेंट की प्रमुख वजहें
नशे में ड्राइविंग करना
वाहन चलाते समय मोबाइल यूज करना
निर्धारित गति से अधिक रफ्तार में वाहन चलाना
रेड लाइट की जपिंग, ओवर टेकिंग
शहर की सड़कों पर मवेशियों की धमाचौकड़ी
वाहन चलाते समय ट्रैफिक नियमों की भारी अनदेखी
ज्यादातर युवाओं को गंवानी पड़ी जान
उम्र मौत
00 से 05 - 06
06-09 - 06
10-14 - 07
15-17 - 08
18-24 - 13
25-34 - 16
35-44 - 14
45-54 - 09
55-64 - 06
65 से अधिक -01
इतने प्रतिशत है भागीदारी
70 प्रतिशत : चालकों की लापरवाही
10 प्रतिशत : वाहनों में तकनीकी खराबी
08 प्रतिशत : मौसम औन अन्य
़12 प्रतिशत : सड़क पर गड्ढे, खराब माेड़ अन्य
एक हफ्ते के भीतर हुइर् कार्रवाई
दिनांक चालान जुर्माना
25 जनवरी 59 10,200
24 जनवरी 183 16,200
23 जनवरी 236 24,900
21 जनवरी 372 61950
20 जनवरी 148 12600
19 जनवरी 137 4600
यहां कर सकते हैं शिकायत
-एक्सीडेंट होने की दशा में सबंधित के खिलाफ थाना में एफआईआर कराएं।
-आर्थिक मदद के लिए संबंधित जिलों के डीएम को एप्लीकेशन दिया जाएगा।
-प्रशासनिक स्तर पर कोई मदद न मिलने की दशा में न्यायालय की शरण ली जा सकती है।
-मृत, घायल व्यक्ति के बीमित होने पर संबंधित बीमा कंपनी में आवेदन कर सकते हैं।
इन नंबरों पर दें जानकारी
सिटी पुलिस कंट्रोल रूम : 9454403527
यूपी पुलिस के पीआरवी वैन : 100 नंबर
जैसा कि हम सब जानते हैं कि वर्तमान में सरकार का स्वरूप कल्याणकारी सरकार की है। इसके तहत अनेक नियमों, विनियमों, शासनादेशों में घायल व्यक्ति तत्काल उपचार और अन्य सुविधा देना प्रावधानिक है। सर्वोच्च न्यायालय ने अपनी अनेकों निर्णयों में भी ऐसी परिस्थिति में तत्काल सुविधा देने के संबंध में अनेकों महत्वपूर्ण दिशा निर्देश जारी किए हैं। इस प्रकार ऐसी परिस्थिति में शासन प्रशासनिक नीति व न्यायिक निर्णयों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि घायल व्यक्ति को इलाज व अन्य सुविधा देना ही प्राथमिकता है।
रामकृष्ण त्रिपाठी, एडवोकेट
तेज रफ्तार, नशे की हालत में गाड़ी चलाने पर कार्रवाई की जाती है। चेकिंग के दौरान पुलिस और ट्रैफिक पुलिस ऐसे लोगों का चालान काटती है। किसी के नशे में गाड़ी चलाने, रफ ड्राइविंग करने के संबंध में शिकायत होने पर पुलिस केस दर्ज करती है।
डॉ। श्रीप्रकाश द्विवेदी, एसपी ट्रैफिक