- नहीं भूलेगा यह मंजर, हर दिल में है सदमा
- दो दिन से भूकंप के झटकों से दहशत में गोरखपुराइट्स
द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र : भूकंप के झटकों से अब धरती नहीं, बल्कि लोगों के दिल कांपने लगे हैं। भूकंप का नाम सुनते ही लोग घर-बार खुला छोड़ बिना कुछ सोचे सड़क की ओर भाग रहे हैं। लगातार दो दिन आए झटकों ने अब लोगों के दिलों में दहशत भर दी है। भूकंप को लेकर आगे क्या होगा, यह उन्हें नहीं मालूम, बस भाग रहे हैं। बच्चे भी मां-बाप और दादा-दादी को भागता देख सिर्फ चिल्ला और रो रहे हैं। दो दिन से गोरखपुर का माहौल ऐसा है, जैसा किसी ने देखना तो दूर सोचा भी नहीं होगा। हर जनरेशन ने इस भूकंप को अलग नजरिए से देखा, मगर दहशत सभी के दिल और दिमाग में है। किसी के आंसू निकल रहे हैं तो किसी का गला भरा है, मगर भूकंप को लेकर चल रही हर सही-गलत जानकारी पर अमल कर रहे हैं। घर से बच्चों को न निकलने देने वाली मां भी गिरते पारे और मच्छरों के बीच खुले पार्क में लेकर पूरी रात बैठी रही। मतलब किस कदर भूकंप से लोग डरे हुए हैं। आई नेक्स्ट ने भी हर जनरेशन से इस डर को महसूस करने की कोशिश की।
हम घर पर खेल रहे थे। तभी अचानक मैं हिलने लगी। मुझे लगा चक्कर आ रहा है फिर देखा तो धरती हिल रही थी। मैं डर गई और चिल्लाते हुए मम्मी के पास भाग गई। मम्मी भी मुझे लेकर घर के बाहर भागने लगी। सभी लोग चिल्ला रहे थे। बाहर गए तो देखा कि बहुत सारे लोग सड़क पर जमा है। सब लोग घबराए थे। बाद में पापा ने बताया कि भूकंप आया था। सब कुछ हिल रहा था। मैं तो डर गई थी। बहुत गंदा है भूकंप।
जान्या जायसवाल, गोरखनाथ
सोच कर लग रहा डर
भूकंप के बारे में सुना बहुत था, मगर सैटर्डे को जब देखा तो होश उड़ गए। शनिवार की दोपहर घर पर बैठी थी। तभी अचानक चेयर हिलने लगी, लगा बेटा कुछ कर रहा होगा। तभी सामने निगाह पड़ी तो बेटा खेल रहा था। अचानक लोग मोहल्ले में चिल्लाने लगे। भूकंप आया। भागो। मुझे कुछ समझ में नहीं आया। आनन-फानन में बेटे को लेकर घर के नीचे की ओर भागी। पहली बार देखा कि धरती कैसे कांप रही है। आसपास की कई बिल्डिंग भी हिल रही थी। दो मिनट बाद जब भूकंप खत्म हुआ तो जान में जान आई। सबसे पहले परिवार के सभी सदस्यों को देखा। तभी कुछ देर बाद फिर एक झटके ने हिला दिया। पूरी रात घर के बाहर खुले मैदान में गुजरी। भूकंप नहीं आया तो दिल को तसल्ली हुई, मगर रविवार की दोपहर एक बार फिर भूकंप ने जोरदार झटका दिया। अब तो दिल में दहशत भर गई है। पता नहीं क्या होगा?
मन्नत खान, हाउसवाइफ तुर्कमानपुर
सब कुछ कांप रहा था
आपदा कैसे आती है। यह शनिवार को देखा। सब कुछ ठीक था। मरीज का चेकअप कर रही थी तभी अचानक सब कुछ हिलने लगा। पहले कुछ समझ नहीं आया। मगर अचानक जब बहुत तेजी से जमीं कांपने का अहसास हुआ तो घबरा गई। जब तक मैं कुछ सोचती, मरीज और स्टाफ सब बाहर की ओर भागने लगे। तब तक मुझे भी समझ आ चुका था कि भूकंप आया है। संडे को आए झटके ने तो होश उड़ा दिया। अब दिल में डर बैठ गया है। यह झटका कब आएगा? क्या होगा? क्या करें? कुछ समझ नहीं आ रहा। ऐसी दहशत कभी नहीं देखी। हर आदमी सिर्फ सदमे में है। ये दो दिन मुझे पूरी लाइफ नहीं भूलेंगे।
डॉ। ज्योति जालान, बेतियाहाता