- शहर के लोग भी अपना रहे सिंगल गर्ल्स चाइल्ड कॉन्सेप्ट
- मां-बाप के ज्यादा नजदीक रहती है बेटी
GORAKHPUR: बेटों से भली बेटियां होती हैं। मौजूदा जमाने में वह मां-बाप के ज्यादा नजदीक हैं। शादी होने के बाद भी अपने माता-पिता के साथ उनके रिश्ते बने हुए हैं। यह कहना है सिंगल गर्ल्स चाइल्ड का कॉन्सेप्ट अपनाने वाले इंद्रेश शुक्ला और उनकी पत्नी अनीता का, जिनके परिवार के लिए बेटी ही सबकुछ है। वह एक बेटे से ज्यादा बेटी की परवरिश पर ध्यान दे रहे हैं।
चाही बेटी, पूरी हुई मुराद
बेटे की चाहत हर परिवार में होती है। लेकिन नंदापार जैतपुर निवासी इंद्रेश और उनकी पत्नी की इच्छा थी कि उनकी पहली संतान बेटी ही हो। उनकी सोच थी कि सिर्फ एक ही संतान को वे अछ्छी परवरिश देंगे। दूसरे बच्चे के बारे में कतई नहीं सोचेंगे। परिवार के लोगों ने भी उनके फैसले का सम्मान किया। संयोग से दंपति को पहली संतान के रूप में बेटी पैदा हुई। परिवार के लोगों ने उसे सहर्ष अपनाया।
परिपाटी बदलकर बने नजीर
चंडीगढ़ में बिजनेस करने वाले इंद्रेश शुक्ला और उनकी पत्नी अनीता बेटा और बेटी में कोई फर्क नहीं महसूस करते। कक्षा दो में पढ़ने वाली उनकी सात साल की बेटी अग्रिमा के साथ वे बेहद खुश हैं। उन्हें इस बात की खुशी है कि समाज की परिपाटी बदलने और इतने कठिन फैसले को लेकर वह नजीर बन सके। परिवार से जुड़े लोगों ने कई बार उन्हें दूसरी संतान की सलाह दी लेकिन दंपति ने मना कर दिया। उनका साफ कहना है कि हमारे लिए बेटा-बेटी में कोई फर्क नहीं। इंद्रेश का कहना है कि बेटियां कई मायनों में बेटों से बेहतर होती हैं। वह अपने मां-बाप के ज्यादा नजदीक रहती हैं। बेटियां भी उन उम्मीदों पर खरी उतर रहीं हैं जिनकी उम्मीद किसी भी मां-बाप को बेटों से होती है। इसलिए वह लोग बेटी को पाकर बेहद खुश हैं।