- अमन-चैन से दोनों त्योहार को बीताकर गोरखपुरराइट्स ने रच दिया इतिहास
- गंगा-जमुनी तहजीब की चादर पर नहीं लगा कोई दाग
-दोनों समुदाय के लोगों ने किया एक दूसरे का जोरदार स्वागत
GORAKHPUR: त्योहार पर अमन के लिए पुलिस, प्रसाशन और पब्लिक ने आपस में कदमताल करते हुए सौहार्द और भाईचारे का बेहतरीन मिसाल कायम की। दशहरा और मोहर्रम एक साथ पड़ने के बाद पुलिस और प्रशासन ने दोनों समुदायों के बीच ऐसा समन्यवय स्थापित किया कि महानगर के गंगा-जमुनी तहजीब की चादर पर कोई दाग तो दूर छींटा तक नहीं लगा। इस दौरान सिटी में कई स्थानों पर मुस्लिम समुदाय के लोग विसर्जन में मदद करते नजर आए, तो वहीं मोहर्रम जुलुस में हिंदु समुदाय के लोगों ने भी काफी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।
सकुशल निपटा त्योहार
गुरुवार को सिटी में जहां एक तरफ दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन हो रहा था, वहीं दूसरी ओर देर रात सिटी में मोहर्रम के चार दुलदुल जुलुस भी निकले। ऐसे में महानगर के विभिन्न एरियाज में ऐसी अमन की मिसाल देखी गई, जोकि इससे पहले कभी नहीं देखने को मिली। एक ओर प्रतिमाओं के विसर्जन को देखने के लिए पब्लिक का भारी हजूम सड़क पर दिख रहा था, वहीं दुलदुल और मोहर्रम के मेले में भी लोग मजे ले रहे थे। इस दौरान किसी पुलिस और प्रशासन की मुस्तैदी की वजह से तरह का वाद-विवाद तो दूर कोई अफवाह तक नहीं फैली।
न बजा डीजे न पी शराब
प्रतिमाओं के विसर्जन में पहले की अपेक्षा इस साल ज्यादा लड़कियों और महिलाएं देर रात तक मेला का आनंद लेती रही। खास बात यह रही कि न ही किसी प्रतिमा के विसर्जन में डीजे बजता पाया गया और न ही विसर्जन में शराब पीकर हुड़दंग करते नजर आए। सभी प्रतिमाओं का विसर्जन काफी शांतिपूर्ण ढंग से हुआ। इसमें सबसे अच्छी बात यह देखने को मिली की दोनों समुदाय के लोग एक साथ सड़कों पर अपने-अपने त्योहार को मना रहे थे और किसी को किसी तरह का भय भी नहीं था।
इस एकता की मिसाल से यह साबित हो गया कि यहां के लोग अमन पसंद हैं। इससे गोरखपुर ही नहीं बल्कि पूरे देश में यह संदेश जाता है कि गोरखपुर के लोगों ने एक इतिहास रच दिया। क्योंकि इससे पहले अपना शहर संवेदनशील शहरों में घोषित रहा है। इससे इस बात का संदेश मिलता है कि दोनों समुदाय के लोग मिलजुलकर बड़ी से बड़ी चुनौती का भी समाना कर सकते हैं।
अदनान फर्रुख अली शाह, मियां साहब
गोरखपुरवासियों ने गंगा-जमुनी तहजीब का परिचय दिया है। इस सब कुछ में खास बात यह रही कि एक ओर जहां हिंदु समुदाय के लोग ताजियादारों का स्वागत कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर मुसिलम समुदाय के लोगों ने भी सिर्फ प्रतिमाओं का स्वागत ही नहीं किया बल्कि उसमें काफी मदद भी की। इस बात की जितनी तारीफ की जाए वह कम है।
रंजन कुमार, डीएम
सब कुछ सकुशल बीत जाने में सबसे बड़ा योगदान यहां की पब्लिक का रहा। तभी यह सब कुछ संभव हो सका। इस बात के लिए मैं शहर के लोगों को बधाई दूंगा। यह पुलिस और प्रशासन की नहीं बल्कि यहां के लोगों की जीत है। लोगों का ऐसा ही सहयोग मिलता रहे, तो एक दिन गोरखपुर यूपी के नो क्राइम सिटी के नाम से भी जाना जाएगा।
लव कुमार, एसएसपी