गोरखपुर (ब्यूरो)।इसके लिए एडमिशन के दौरान यूनिवर्सिटी और एफिलिऐटेड कॉलेज के स्टूडेंट्स को मिलने वाले वेटेज को खत्म करने की तैयारी चल रही है। वीसी के निर्देश पर एडमिशन को लेकर गठित कमेटी इस पर विचार कर रही है।
नहीं मिल पाता एडमिशन
वर्तमान में यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स को एडमिशन में 5 परसेंट और एफिलिऐटेड कॉलेजों के स्टूडेंट्स को दो परसेंट वेटेज अंक देने की व्यवस्था है, जो लंबे समय से चली आ रही है। इस वेटेज के सहारे यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स को नए प्रोग्राम में आसानी से एडमिशन मिल जाता है, जबकि दूसरे संस्थान के अप्लीकेंट्स एंट्रेंस एग्जाम में अधिक माक्र्स पाने के बाद भी एडमिशन से वंचित रह जाते हैं। बाहरी स्टूडेंट्स को यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए आकर्षित करने के लिए वीसी ने एक कमेटी का गठन किया। कमेटी ने एडमिशन प्रोसेस की प्राथमिक समीक्षा में पाया कि वेटेज व्यवस्था बाहरी संस्थानों के प्रवेश से सबसे बड़ी बाधा है। इसके चलते यूनिवर्सिटी का दायरा लोकल लेवल पर सिमट कर रह जाता है। ऐसे में वेटेज व्यवस्था को समाप्त करने को लेकर समिति ने विचार करना शुरू कर दिया है।
गल्र्स को मिलने वाला वेटेज भी होगा खत्म
यूनिवर्सिटी की एडमिशन प्रोसेस मेंं सुधार के लिए गठित कमेटी गल्र्स को मिलने वाले वेटेज की भी समीक्षा कर रही है। कई प्रोग्राम्स में एडमिशन के दौरान गल्र्स को दो परसेंट माक्र्स का वेटेज दिया जाता है। यह व्यवस्था भी बाहरी स्टूडेंट्स के एडमिशन में बाधा है। ऐसे में इसे भी समाप्त करने पर विचार चल रहा है। पूरी संभावना है कि यह वेटेज भी अगले सेशन से एडमिशन के दौरान गल्र्स को न मिले।
वेटेज को लेकर हुए विवाद से गया ध्यान
इस साल एलएलएम और एमड प्रोग्राम में एडमिशन में एडमिशन के दौरान वेटेज को लेकर काफी हंगामा हुआ। इसके चलते दोनों प्रोग्राम्स का एंट्रेंस रिजल्ट बदलाव के साथ जारी करना पड़ा। इस हंगामे की वजह से यूनिवर्सिटी प्रशासन का ध्यान वेटेज व्यवस्था पर गया, जो उन्हें बाहरी स्टूडेंट्स के एडमिशन में बड़ी बाधा लगी।
वर्तमान में यूनिवर्सिटी में एडमिशन के दौरान यूनिवर्सिटी, एफिलिऐटेड कॉलेज के स्टूडेंट्स और गल्र्स को वेटेज दिया जाता है। इसके चलते प्रदेश व देश के अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों के स्टूडेंट्स को एंट्रेंस एग्जाम में अधिक माक्र्स पाने के बाद भी एडमिशन नहीं मिल पाता। बाहरी स्टूडेंट्स को एडमिशन के लिए आकर्षित करने के उद्देश्य से वेटेज व्यवस्था को समाप्त करने पर विचार चल रहा है।
प्रो। पूनम टंडन, वीसी, डीडीयूजीयू