गोरखपुर (ब्यूरो)।पूरे वल्र्ड में मोटे अनाज का 20 परसेंट उत्पादन भारत से है। देश में मिलेट्स के उत्पादन और उपभोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। गोरखपुर और आसपास के इलाकों में भी मिलेट्स की खेती को बढ़ावा देने के लिए दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर एंड नेचुरल साइंसेज के स्टूडेंट्स इस पर रिसर्च करेंगे और साथ ही गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक करेंगे।
किसानों की होगी ट्रेनिंग
इंस्टीट्यूट के स्टूडेंट्स मिलेट्स के बाई प्रोडक्ट्स पर भी काम करेंगे। वीसी प्रो। राजेश सिंह ने बताया कि एग्री स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए इंक्यूबेशन सेंटर से मिलकर स्टार्टअप शुरू किए जाएंगे। किसानों की आय को बढ़ाने के लिए उन्हें मिलेट्स की खेती करने के लिए जागरूक किया जाएगा।
ऑर्गेनिक फार्मिंग को करेंगे प्रमोट
मिलेट्स को पैदा करने के साथ ही स्टूडेंट्स घर-घर जाकर किसानों को ऑर्गेनिक फार्मिंग करने के लिए प्रमोट करेंगे। मिलेट में छोटा अनाज और मोटा अनाज दोनों शामिल होते हैं। इन्हें पहाड़ी, तटीय, वर्षा, सूखा आदि इलाकों में बेहद कम संसाधनों में ही उगाया जा सकता है। किसानों को खेती की लेटेस्ट टेक्निक के बारे में बताने के लिए इंस्टीट्यूट समय-समय पर वर्कशॉप ऑर्गनाइज करेगा, जिसमें प्रगतिशील किसानों को आमंत्रित किया जाएगा।
सेहत के लिए मिलेट्स फायदेमंद
मोटा अनाज सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है, यह सब जानते हैं। पहले गांव में बड़े पैमाने पर इसकी खेती होती थी, लोग इसे खाने में अधिक उपयोग करते थे। समय के साथ चावल व गेहूं जैसे पतले अनाजों का प्रचलन बढ़ा तो खासकर शहर के लोग इससे दूर होते चले गए। छोटे अनाजों में कुटकी, कांगनी, कोदो, सांवा हैं, जो कैल्शियम, आयरन, फाइबर समेत कई न्यूट्रिएंट्स का अच्छा सोर्स हैं। बेहद कम लागत में उगने वाले मिलेट रोग प्रतिरोधी क्षमता को भी बढ़ाते हैं। इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स 2023 का भी उद्देश्य मिलेट की खपत को बढ़ाकर पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इसके लिए 8 मिलेट्स को चिन्हित किया गया है, जिसमें ज्वार, बाजरा, रागी, कोदो, कुटकी, कंगनी, चेना, सांवा आदि शामिल हैं। मिलेट्स में गेहूं-चावल की तुलना में प्रोटीन, वसा, खनिज तत्त्व, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, ऊर्जा कैलोरी, कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, कैरोटीन, फोलिक ऐसिड, जिंक और एमिनो एसिड आदि की भरपूर मात्रा होती है।
मिलेट्स को उगाना भी है आसान
मिलेट में छोटा अनाज और मोटा अनाज दोनों शामिल हैं और इन्हें उगाना भी बेहद आसान है। मिलेट्स को उगाने में ना तो अलग से खाद-उर्वरकों का कुछ खर्च आता है और ना ही कीटनाशकों पर अलग से खर्च करने की जरूरत पड़ती है।
सरकार की योजनाओं से करेंगे अपडेट
किसानों को जागरुक करने के लिए डीडीयूजीयू के स्टूडेंट्स की चौपाल की शुरुआत हो चुकी है। इंस्टीट्यूट की ओर से पिपराइच क्षेत्र के रुद्रपुर ग्राम पंचायत में बीते दिनों एक चौपाल लगाई गई थी। इसमें जानकारी के साथ ही ऑर्गेनिक खेती के गुर भी सिखाए गए। इसमें केंद्र और राज्य सरकार की ओर से किसानों के हित में चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों से उन्हें अपडेट करेंगे।
यह इंटरनेशन ईयर ऑफ मिलेट्स है, यूनिवर्सिटी में मिलेट्स के बाई प्रोडक्ट्स बनाए जाएंगे। आसपास के किसानों को मिलेट्स की खेती करने के लिए स्टूडेंट्स गांव-गांव जाकर उन्हें ट्रेनिंग देंगे। इंक्यूबेशन सेंटर के साथ मिलकर एग्री स्टार्टअप लाने की भी तैयारी चल रही है।
प्रो। राजेश ङ्क्षसह, वीसी, डीडीयूजीयू
यह मिलता है मिलेट्स में
एक किलो अन्न कैलोरी कैल्शियम लौह तत्व
बाजरा 361 ग्राम 42 ग्राम 8 ग्राम
ज्वार 349 ग्राम 25 ग्राम 4.1 ग्राम
मक्का 342 ग्राम 10 ग्राम 2.3 ग्राम
रागी 328 ग्राम 344 ग्राम 3.9 ग्राम