गोरखपुर (ब्यूरो)। स्वीकृति के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की वेबसाइट पर जाकर आनलाइन आवेदन कर दिया है। स्वीकृति मिलते ही केंद्र की स्थापना की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। विश्वविद्यालय की योजना इसी सत्र से दूरस्थ शिक्षा शुरू करने की है।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह भी तय कर लिया है कि दूरस्थ शिक्षा की शुरुआत किन पाठ्यक्रम से करनी है। इसके लिए उन्होंने बीबीए-एमबीए और बीसीए-एमसीए पाठ्यक्रमों को चुना है। विश्वविद्यालय का मानना है कि इन पाठ्यक्रमों की लोकप्रियता देश भर में है। प्रबंधन व कंप्यूटर का पाठ्यक्रम पूरा करने वाले विद्यार्थियों को रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़ता है। ऐसे में विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा केंद्र की स्थापना के साथ ही बड़ी संख्या में इन पाठ्यक्रमों के लिए अभ्यर्थी पूरे उत्साह से जुड़ेंगे। बाद में केंद्र से कई अन्य रोजगारपरक पाठ्यक्रम शुरू करने की भी विश्वविद्यालय की योजना है। ऐसे पाठ्यक्रमों की सूची भी तैयार की जा रही हैं, जिन्हें आगे चलकर केंद्र से संचालित करने की योजना है।
केंद्र की स्थापना के लिए बनी दो सदस्यीय टीम
परिसर में दूरस्थ शिक्षा केंद्र की स्थापना के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो। जेपी सैनी ने दो सदस्यीय टीम बना दी है। प्रो। वि_ल एल गोले को समन्वयक बनाया गया है। प्रो। शेखर यादव सह-समन्वयक के तौर पर इसे लेकर अपने लिए निर्धारित जिम्मेदारी निभाएंगे। टीम विश्वविद्यालय की ओर से बनाई गई योजना के क्रियान्वयन में जुट गई है।
दूरस्थ शिक्षा केंद्र समय की मांग है। इसके जरिये उन अभ्यर्थियों को भी परिसर से जुड़कर महत्वपूर्ण पाठ्यक्रमों की डिग्री लेने का अवसर मिल जाएगा, जो किसी कारणवश परिसर में आकर पढ़ाई करने में अक्षम या असमर्थ हैं। हमारी कोशिश है कि इसी सत्र से केंद्र का संचालन शुरू हो जाए। इसके लिए टीम का गठन कर दिया है। टीम केंद्र की शुरुआत की औपचारिकताओं को पूरा करने में लग गई है।