गोरखपुर (ब्यूरो)। इसमें भोजपुरी की लोक-संपदा, लोक-गीत, लोक-कलाएं, लोक नाट्य और लोक संस्कृति को संरक्षित करने के लिए शोध किया जाएगा। इस रिसर्च सेंटर में गोरखनाथ, कबीर और पलटू साहब जैसे भोजपुरी के विद्वानों के साहित्यों का मुल्यांकन किया जाएगा। बीएचयू के बाद गोरखपुर यूनिवर्सिटी प्रदेश की दूसरी ऐसी यूनिवर्सिटी होगी जहां भोजपुरी एक्सीलेंस सेंटर की स्थापना की जाएगी।
नया कोर्स हुआ शामिल
हिंदी विभाग ने अपने विजन प्लान में नए कोर्सेज को शामिल किया है। दरअसल, भोजपुरी के बाहुल्य क्षेत्र पूर्वांचल में काफी समय से हायर रिसर्च सेंटर की जरूरत महसूस की जा रही थी। ऐसे में डीडीयू के हिंदी विभाग ने पहल करते हुए भोजपुरी एक्सीलेंस रिसर्च सेंटर की स्थापना का निर्णय लिया है।
टेक्नोलॉजी से जोड़ेंगे
गोरखपुर यूनिवर्सिटी में खुलने वाले भोजपुरी एक्सीलेंस रिसर्च सेंटर को टेक्नोलॉजी से जोडऩे की तैयारी है। इसको आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस के टूल के तौर पर भी डेवलप किया जाएगा ताकि देश-विदेश कहीं भी भोजपुरी को सीखा, समझा और अपनाया जा सके। वहीं, इस प्रयोग से सिनेमा के क्षेत्र में भी इसका व्यापक तौर इस्तेमाल हो सकेगा। हिंदी विभाग के एचओडी प्रो। दीपक प्रकाश त्यागी ने बताया कि पूर्वांचल जैसे भोजपुरी बाहुल्य क्षेत्र में एक्सीलेंस रिसर्च सेंटर की बहुत लंबे समय से प्रतिक्षा की जा रही थी। ऐसे में भाषा के विकास और प्रचार, प्रसार के लिए विभाग ने पहल शुरू की है। जल्द ही एक्सीलेंस रिसर्च सेंटर अस्तित्व में आ जाएगा।
अश्लीलता पर लगाम
एचओडी प्रो। दीपक प्रकाश त्यागी ने बताया कि भोजपुरी पर प्रभावी अंकुश न होने के चलते कुछ गैरजिम्मेदार लोगों ने इसमें खूब अश्लीलता फैलाई। उन्होंने कहा कि भोजपुरी एक्सीलेंस रिसर्च सेंटर बन जाने के बाद यहां अश्लीलता को समाप्त करने के प्रभावी उपायों के बारे में पता लगाया जाएगा। सेंटर में अश्लीलता फैलने के कारणों पर भी शोध किया जाएगा। वहीं, भाषा और संस्कृति के विकास के लिए नए कोर्स भी डिजाइन किए जाएंगे।
इंटरनेशनल लेवल की स्टडी
विदेशों (मारीशस, फिजी, त्रिनिडाड, गुयाना, सुरीनाम) जैसे देश जहां भारत के गिरमिटिया मजदूर रोजगार की तलाश में पहुंचे और भोजपुरी भाषा का प्रचार-प्रसार किया, बाद में इन देशों की सबसे प्रमुख भाषा भोजपुरी बन गई। ऐसे में इन देशों में भी भोजपुरी के शोध की व्यापक संभावनाएं हैं। डीडीयू में बनने वाले इस एक्सीलेंस रिसर्च सेंटर में भोजपुरी के इंटरनेशनल लिटरेचर पर रिसर्च की जाएगी। इससे भोजपुरी बोलने, लिखने और पढऩे वालों को काफी सहूलियत मिलेगी।
न्यू एजुकेशन पॉलिसी
न्यू एजुकेशन पॉलिसी में पंरपरागत लोकगीत, संस्कृति को समृध बनाने की बात कही गई है। एचओडी प्रो। त्यागी ने बताया कि एनईपी के अनुपालन में हिंदी विभाग ने भोजपुरी के संरक्षण और संवर्धन के लिए एक्सीलेंस रिसर्च सेंटर की स्थापना का निर्णय लिया है। इससे छात्रों के साथ ही फैकल्टी को भी रोजगार के नए ऑप्शन मिलेंगे।
भोजपुरी बनेगी भाषा
भोजपुरी एक्सीलेंस रिसर्च सेंटर की स्थापना के बारे में बताते हुए डीडीयू की वीसी प्रो। पूनम टंडन ने बताया कि इससे देश के अंदर रहने वाले लोगों के साथ ही प्रवासियों को भी लाभ मिलेगा। भोजपुरी भाषी वे लोग जो विदेशों में जाकर बस गए हैं, रिसर्च सेंटर में उनके ऊपर भी शोध करने की तैयारी है। वीसी प्रो। टंडन ने बताया कि हमारा प्रयास है कि भोजपुरी को भाषा का दर्जा मिल जाए।
कौशल विकास के कोर्स
हिंदी विभाग में एक्सीलेंस रिसर्च सेंटर के साथ ही भोजपुरी भाषा को समृद्ध करने के लिए कौशल विकास कोर्सेज की शुरूआत की जाएगी। एचओडी प्रो। त्यागी के अनुसार इन कोर्सेज को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य भोजपुरी की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स को बेहतर रोजगार उपलब्ध कराना है।
छात्रों को मिलेगा लाभ
- लेखन क्षमता का होगा विकास
- अध्ययन की बेहतर सुविधा उपलब्ध होगी
- रिसर्च को मिलेगा बढ़ावा
- समृद्ध साहित्य
- फिल्मों में कॅरियर के बढ़ेंगे ऑपशन
- गीत-संगीत का क्षेत्र भी विकसित होगा
- जनसंचार के क्षेत्र में मिलेगा नया मुकाम
- विज्ञापन के क्षेत्र में बदलाव होंगे
- प्ले की प्रथा को भी मिलेगा बढ़ावा
पुर्वांचल जैसे भोजपुरी के समृद्ध क्षेत्र को एक्सीलेंस रिसर्च सेंटर की बहुत लंबे समय से जरूरत थी। इससे भोजपुरी के प्रमोशन और रिसर्च की आवश्यक्ताओं को पूरा किया जा सकेगा। हमारा प्रयास है कि भोजपुरी को संवैधानिक तौर पर भाषा की पहचान दिलाई जा सके।
प्रो। पूनम टंडन, वीसी डीडीयू
भोजपुरी को लेकर डिपार्टमेंट के स्तर पर काम हुआ है लेकिन इसे और आगे बढ़ाने की जरूरत है। एक्सीलेंस रिसर्च सेंटर की स्थापना से इसके स्टूडेंट्स को साहित्य के साथ ही सिनेमा, संगीत और गीत के क्षेत्र में नया मुकाम मिलेगा। डिपार्टमेंट में इसको लेकर खासा उत्साह है।
प्रो। दीपक प्रकाश त्यागी, अध्यक्ष हिंदी विभाग