गोरखपुर (ब्यूरो)। मैं दुनिया के किसी भी मंच पर होता हूं, मेरा परिचय हमेशा गोरखपुर यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स के रूप में दिया जाता है। ये यूनिवर्सिटी ही मेरी पहचान है। उन्होंने एल्युमिनाई मीट का औपचारिक उद्घाटन करते हुए कहा कि यादों में जीवन के सुनहरे पलों को संजोने की ताकत होती है। एल्युमिनाई मीट ऐसी ही यादों को शेयर करने का उपयुक्त मंच होता है। डीडीयू के पहले एल्युमिनाई मीट में ऑनलाइन जुड़कर और स्टूडेंट्स जीवन से जुड़ी अपनी यादों को साझा करने का अवसर पाकर मैं खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं।

मेरे तेवर जरा तेज थे

डीडीयू में पढ़ाई का दौर यादकर रक्षा मंत्री ने कहा कि उन दिनों मेरे तेवर काफी तेज थे, लेकिन कभी उसका बेजा इस्तेमाल नहीं किया। इस क्रम में उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सभा को अकेले बाधित करने का प्रसंग भी बताया। यह भी बताया कि छात्रों की समस्याओं को लेकर बतौर छात्र राजनेता उन्हें कई बार धरना-प्रदर्शन भी करना पड़ा था। डीडीयू की ओर से डिस्टिंगविश एल्युमिनाई सम्मान के चुने जाने पर रक्षामंत्री ने हर्ष जताया और कहा कि इस सम्मान को मैं प्रसाद के रूप में ग्रहण करता हूं। संबोधन के बाद वीसी प्रो। राजेश सिंह ने उन्हें डिस्टिंग्विश एल्युमिनस अवार्ड से सम्मानित किया। साथ ही राजनाथ सिंह के नाम पर विज्ञान संकाय के टॉपर व पूर्व वीसी और भौतिक विज्ञान विभाग के संस्थापक अध्यक्ष प्रो। देवेंद्र शर्मा के नाम से भौतिक विज्ञान के स्नातकोत्तर टापर को गोल्ड मेडल देने की घोषणा की।

कमरा नंबर 16 की यादें की शेयर

डीडीयू में बिताए छह वर्ष की चर्चा करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि दो वर्ष में उन्होंने स्नातकोत्तर की डिग्री ली और उसके बाद चार वर्ष तक शोधछात्र के रूप में पंजीकृत रहे। हालांकि राजनीतिक सक्रियता की वजह से शोध पूरा नहीं हो सका। इसी क्रम में उन्होंने सभी गुरुजनों प्रो। रामअचल सिंह, प्रो। देवेंद्र शर्मा, प्रो। उदयराज राय, प्रो। राधे मोहन मिश्र आदि को भी याद किया। अपने शोध निर्देश प्रो। एलएन त्रिपाठी को भावभीनी श्रद्धांजलि दी। बताया कि बीते वर्ष प्रो। त्रिपाठी दिवंगत हो गए थे। इसी चर्चा में उन्होंने गौतम बुद्ध् हास्टल के कमरा नंबर-16 से बिताए दो वर्ष को स्वर्णिम काल बताया।

सांसद जगदंबिका पाल ने शेयर की यादें

डीडीयू में स्पेशल गेस्ट के रूप में मौजूद डुमरियागंज के सांसद जगदंबिका पाल ने यहां बतौर स्टूडेंट अपने जुडऩे का प्रसंग सुनाया। उन्होंने बताया कि लखनऊ यूनिवर्सिटी में जब उन्हें ब्लैक लिस्ट कर दिया गया तो मजबूरी बस उन्हें डीडीयू में एलएलबी के अध्ययन के लिए प्रवेश लिया। पहले तो लगा कि लखनऊ विश्वविद्यालय का छूटना दुर्भाग्य है, लेकिन गोरखपुर यूनिवर्सिटी में प्रो। उदय राज राय जैसे मनीषी के मार्गदर्शन में पढऩे के बाद लगा कि वह सौभाग्य था। यानी डीडीयू में आने के बाद मेरा दुर्भाग्य सौभाग्य में बदल गया।

एलएलबी करने आया और जुड़ गया: न्यायमूर्ति सलिल राय

एल्युमिनाई मीट में बतौर चीफ गेस्ट के रूप में मंचासीन हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय ने अपने संबोधन में डीडीयू से सीधे तौर पर अपने जुडऩे की यादें शेयर कीं। उन्होंने बताया कि उनके पिता प्रो। उदय राज राय डीडीयू में टीचर थे, इसलिए यहां उनका आना-जाना तो बचपन से रहा, लेकिन अध्ययन के लिए वह यहां स्नातक के बाद आए। बीए के बाद जब उन्हें एलएलबी करना हुआ तो पिता की राय पर उन्होंने डीडीयू में प्रवेश लिया और फिर परिसर से गहरे जुड़ गए।

पूरे देश में सेवा दे रहे डीडीयू के लॉ स्टूडेंट: न्यायमूर्ति उमेश चंद्र शर्मा

स्पेशल गेस्ट के रूप में आए हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति उमेश चंद्र शर्मा ने कहा कि डीडीयू के विधि विभाग ने प्रो। उदय राज राय के मार्गदर्शन में पूरे देश में अपनी छाप छोड़ी है। यहां से विधि की पढ़ाई करने वाले 1000 से अधिक स्टूडेंट पश्चिम बंगाल, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड, दिल्ली और पंजाब में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने डीडीयू के नामचीन टीचर प्रो। रघुवीर सिंह और प्रो। लाल बहादुर वर्मा की चर्चा की और यह भी बताया कि इसी यूनिवर्सिटी में उनकी मुलाकात बैडमिंटन खिलाड़ी सैयद मोदी से हुई थी।

मातृ संस्था और मातृृ भाषा निष्ठा का विषय: प्रो। केएन सिंह

स्पेशल गेस्ट के तौर पर संबोधित करते हुए दक्षिणी बिहार केंद्रीय यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो। केएन सिंह ने अपने संबोधन में डीडीयू को मातृ संस्था बताते हुए मातृ संस्था और मातृभाषा को निष्ठा का विषय कहा। उन्होंने कहा कि संस्थाएं व्यक्ति को जीवनदृष्टि देेेती है, इसके बिना जीवन निरर्थक हो जाता है। प्रो। सिंह ने भी अपने समय के प्रो। जगदीश सिंह, प्रो। रघुवीर सिंह, प्रो। उदयराज राय, प्रो। राम अचल सिंह जैसे शिक्षकों से जुड़े अपने संस्मरणों को साझा किया।