- अपग्रेडेशन की राह पर, शहरवासियों को मिलेगी सिनेप्लेक्स की जगह 3 नए से मल्टीप्लेक्स की मिलेगी सौगात
- सुविधा के आभाव और संसाधनों की कमी से 7 ने तोड़ा दम
- वहीं पहले 26 में से अब महज 17 थियेटर्स ही बचे
GORAKHPUR: भागती-दौड़ती इस जिंदगी की रफ्तार लगातार तेज होती जा रही है। इस रफ्तार के साथ जिसने बराबरी कर ली, वह तो सफल हो गया, लेकिन जो चूक गया, उसका खात्मा तय है। कुछ ऐसा ही हाल रहा सिटी के सिनेमाघरों का, जो रफ्तार के मुताबिक खुद को ढाल न सके और इस फास्ट एंड फ्यूरियस लाइफ में उन्होंने दम तोड़ दिया। हालत यह है कि अब एंटरटेनमेंट टैक्स डिपार्टमेंट के आंकड़ों में अब महज 17 थियेटर्स ही बचे हुए हैं, जो जमाने के साथ आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इसमें से भी ज्यादातर के हाल बेहाल हैं और वह भी दुनिया की इस रफ्तार के साथ कदमताल करने में नाकाम साबित हो रहे हैं।
चार ने खुद को बदलने की ठानी
एक तरफ जहां संसाधनों के आभाव और पब्लिक इंटरेस्ट पर खरा न उतर पाने की वजह से बड़ी तादाद में थियेटर्स बंद हो गए। वहीं दूसरी ओर कुछ थियेटर्स खुद को जिंदा रखने के लिए जद्दोजहद करने में लगे हुए हैं। वहीं सिटी के चार थियेटयर्स ऐसे हैं, जिन्होंने खुद को पूरी तरह से बदल लेने की ठान ली है। इनकी तस्वीर अब बदलते जमाने के थियेटर्स जैसी ही होगी। इन थियेटर्स में जहां लोगों को बेहतर डिजिटल साउंड का मजा मिलेगा, वहीं बेहतर स्क्रीन उन्हें कहीं बाहर जाने से रोकने के लिए काफी है।
मिलेगी तीन मल्टीप्लेक्स की सौगात
सिटी में पहले करीब दो दर्जन से ज्यादा थियेटर्स हुआ करते थे। मगर लगातार बढ़ रहे टैक्स के बोझ और कम हो रहे पब्लिक इंटरेस्ट की मार इन्हें झेलनी पड़ी। अब सिटी में 17 थियेटर्स हैं। मगर जल्द ही गोरखपुराइट्स को तीन और नए मल्टीप्लेक्स की सौगात मिलेगी, जहां वह न सिर्फ अपनी फैमिली के साथ वीकएंड स्पेंड कर सकेंगे, बल्कि कई सालों से चली आ रही मल्टीप्लेक्स की कमी और टिकट की शॉर्टेज को भी भूल जाएंगे।
यह थियेटर्स हो रहे हैं अपग्रेड
श्री
इंद्रलोक
वीनस
मेनका
यह हुए बंद
तरंग
झंकार
कृष्णा
छाया
मानस
इन्होंने कराया मॉडिफिकेशन
विजय
माया
जुबिली
राज
अब शहर में 17 थियेटर्स बचे हुए हैं। 15 साल पहले इनकी तादाद 26 के आसपास थी। इसमें से चार थियेटर्स मॉडिफाई हो रहे हैं और उनकी जगह मल्टीप्लेक्स बन रहा है। वहीं कई पूरी तरह से बंद हो गए हैं।
- निहाल अहमद, वरिष्ठ सहायक, मनोरंजन कर