आई इन्वेस्टिगेट

- आरटीओ में अप्लीकेंट्स से कैश लेकर एक साथ जमा कराई जा रही ऑनलाइन फीस

- फाइलों में बिना रसीद लगाए ही प्रिंट होने के लिए जा रहा डीएल

GORAKHPUR: आरटीओ में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने और व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के लिए टेस्ट से लेकर फीस जमा करने तक सबकुछ ऑनलाइन कर दिया गया, लेकिन भ्रष्टाचार खत्म नहीं हो सका है। आई नेक्स्ट ने जब इसकी पड़ताल की तो पता चला कि बाबुओं ने ऑनलाइन में भी सेंधमारी कर दी है। ऑनलाइन फीस की व्यवस्था होने के बाद भी कर्मचारी अप्लीकेंट्स से ऑफलाइन फीस ले रहे हैं। कैश ले रहे हैं। बाद में टेस्ट व लाइसेंस की एक्चुअल फीस ऑनलाइन जमा कर बाकी पैसे पॉकेट में रख ले रहे हैं।

एक आईडी से जमा हो रही फीस

आई नेक्स्ट की पड़ताल में पता चला कि आरटीओ में भ्रष्टाचार का खेल बदस्तूर जारी है। हालांकि यह खेल अब ज्यादातर परमानेंट लाइसेंस में ही हो रहा है। सूत्रों के मुताबिक, अप्लीकेंट से लाइसेंस फाइल के साथ आरटीओ कर्मचारी मनमाना रकम वसूल रहे हैं और बाद में सभी फाइलों की एक साथ ऑनलाइन फीस वे खुद जमा कर दे रहे हैं। पता करने पर मालूम हुआ कि सारे अप्लीकेंट्स की फीस एक-दो आईडी से ही जमा हो रही है, जबकि यदि अप्लीकेंट्स खुद फीस जमा करते या कहीं और भी जमा कराते तो आईडी अलग-अलग शो करती।

ताकि पकड़ में न आए मामला

अधिकारियों की आंखों में धूल झोंकने के लिए भी बाबुओं ने पूरा इंतजाम कर रखा है। आरटीओ ऑफिस में परमानेंट डीएल की फाइलों से ऑनलाइन फीस की रसीद ही गायब कर दी गई है। ये वैसे अप्लीकेंट्स की फाइलें हैं, जिनकी बायोमीट्रिक हो चुकी है और अब सिर्फ लाइसेंस प्रिंट होना बाकी रह गया है। आरटीओ में सोमवार को हुए बायोमीट्रिक की एक भी फाइल में फीस की रसीद नहीं मिली। चूंकि रसीद पर फीस जमा करने वाले सिस्टम की आईडी प्रिंट हो जाती है, इससे बचने के लिए रसीद नहीं लगाई जा रही है।

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तो अफसर भी खेल में हैं शामिल?

परमानेंट डीएल की फाइलों में ऑनलाइन फीस की रसीद नहीं होने के बाद भी डीएल कैसे जारी हो जा रहा है, यह भी एक बड़ा सवाल है। फाइल की बकायदा जांच और उसमें सभी दस्तावेज पाए जाने के बाद ही डीएल जारी हो सकता है। सूत्र बताते हैं कि अफसर की मेहरबानी से परमानेंट लाइसेंस जारी करने के लिए सुविधा शुल्क लेकर एग्जाम देने से मुक्त कर दिया जाता है। साथ ही अप्लीकेंट्स की फाइल पर बिना अपना ऑर्डर दिए ही आरआई की ओर से लाइसेंस जारी कर दिया जाता है।

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ऐसे चलता है खेल

ऑनलाइन फीस कहीं से भी जमा की जा सकती है। लेकिन, पड़ताल में यह बात सामने आई है कि फीस सिर्फ दो जगह से जमा हुई है। जाहिर है, आरटीओ आने वाले अप्लीकेंट की फाइल के साथ यही पर उनसे मनमाना रकम जमा करा लिया जाता है। फिर शाम में आरटीओ के दो बाबुओं को इन फाइलों की फीस जमा कराने का जिम्मा सौंपा जाता है। इनमें से एक बाबू बाहर की दुकान से ऑनलाइन फीस जमा कराता है। वहीं, दूसरा बाबू बची फाइलों के लिए शहर के एक अन्य साइबर कैफे से फीस जमा कराकर रसीद कटवाता है। परमानेंट लाइसेंस की फीस जमा करने की जांच की जाए तो इन्हीं दोनों कम्यूटर शॉप्स से सभी फाइलों की फीस जमा की गई है।

यह है नियम

- लाइसेंस फॉर्म भरने के साथ अप्लीकेंट टेस्ट की 200 रुपए ऑनलाइन फीस जमा करेगा।

- फीस जमा करने के बाद फॉर्म व फीस का प्रिंट आउट डाक्यूमेंट के साथ आरटीओ में जमा करेगा।

- फाइल की प्रक्रिया पूरी होने के बाद आरआई द्वारा अप्लीकेंट का टेस्ट लिया लिया जाएगा।

- अगर अप्लीकेंट टेस्ट में पास होता है तो इसके बाद 100 रुपए लाइसेंस फीस जमा होगी।

- इन सबके बाद अप्लीकेंट का बायोमीट्रिक होगा और फिर लाइसेंस उसके पते पर पोस्ट हो जाएगा।

ये हैं सवाल

- अप्लीकेंट्स की फाइल में बिना रसीद के कैसे हो रही बायोमीट्रिक?

- क्या लाइसेंस जारी करने से पहले अप्लीकेंट की फाइल भी नहीं देखते आरआई?

- क्यों नहीं मिलती किसी भी फाइल में रसीद?

- कुछ ही समय में एक साथ क्यों कटती है टेस्ट और लाइसेंस की रसीद?

- क्या पूरे शहर में हैं सिर्फ दो ही इंटरनेट कैफे?

- यह कैसे संभव है कि अलग-अलग जगहों के रहने वाले दर्जनों अप्लीकेंट्स की एक आईडी से एक ही टाइम पर फीस की रसीद कटी हो?

आरटीओ की कार्यप्रणाली को पारदर्शी बनाने के लिए ऑनलाइन की व्यवस्था की गई है। बावजूद इसके अगर ऐसा है तो यह बेहद गंभीर विषय है। इसके लिए डीएम को पत्र लिखकर मामले की जांच कराई जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

-के रविंद्र नायक, ट्रांसपोर्ट कमिश्नर, यूपी

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बिना फीस जमा किए कंप्यूटर फॉर्म एक्सेप्ट ही नहीं करेगा। फाइलों में फीस की रसीद नहीं होने के बारे में मुझे जानकारी नहीं है। हो सकता है दलालों द्वारा अप्लीकेंट्स से पैसा लेकर एक साथ फीस जमा कराई जा रही हो। अब इस पर ध्यान दिया जाएगा।

-तारकेश्वर मल्ल, आरआई, आरटीओ