- 25 हजार पर चौकी, 50 हजार आबादी पर बनने थे थाने

- चार साल से अधिक का समय गुजरा, नहीं हो सकी कार्रवाई

द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र : थाना और चौकियों की तादाद बढ़ाने का अरमान अधूरा रह गया। आबादी बढ़ी, क्राइम का ग्राफ बढ़ा, लेकिन पुलिस सिमटती चली गई। आलम यह है कि क्राइम होने के बाद पुलिस हांफ रही है। गवर्नमेंट भी इसको लेकर गंभीर नहीं नजर आ रही। पुलिस अफसरों का कहना है कि इसका प्रपोजल लंबित चल रहा है। अभी इसको ग्राउंड लेवल पर कोई काम नहीं हो सका है।

25 हजार पर चौकी, 50 हजार बनाने थे थाने

करीब चार साल पहले गवर्नमेंट की तरफ एक फरमान आया। पुलिस की प्रॉब्लम को देखते हुए थानों और चौकियों की तादाद बढ़ाने पर जोर दिया गया। यह तय हुआ कि 50 हजार की आबादी पर पुलिस स्टेशन और 25 हजार की आबादी पर पुलिस चौकियां खोली जाएंगी। सभी जिलों से इसका खाका तैयार करने को कहा गया। कहां-कहां पर कितने थानों और पुलिस चौकियों की तादाद बढ़ानी है। इसका सुझाव बतौर प्रपोजल मांगा गया। सिटी और देहात में आबादी के आधार पर थानों और चौकियों को बनाने की बात हुई। लेकिन अभी तक इस योजना को अमली जामा नहीं पहनाया जा सका। जिले में करीब 44 लाख की आबादी है। इस आधार पर 88 थानों का आराम से कंस्ट्रक्शन हो सकता है। जिले में छह जगहों पर थाना और करीब एक दर्जन चौकियां बनाने पर विचार हुआ, लेकिन भूमि की कमी से इस पर अमल नहीं हो सका।

आबादी के साथ क्राइम रिकार्ड रखता है मायने

नये थानों और चौकियों के निर्माण के लिए क्राइम का ग्राफ देखा जाता है। पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि देहात और शहर में इसका अलग अलग मानक होता है। ऐसे में पूरे जिले का रिकार्ड देखा जाता है। पांच साल के भीतर का रिकार्ड जुटाया जाता है। पांच साल के भीतर जहां पर ज्यादा अपराध होता है। वहां पर थानों और चौकियों के संबंध में विचार किया जाता है। इसके साथ ही थाना क्षेत्र की भौगोलिक स्थितियों, दूरी और आबादी की जरूरत का ख्याल रखा जाता है। जिले में यदि थाना बनाने का प्रस्ताव आए तो सबसे पहले कैंट एरिया में विभाजन होगा। कैंट एरिया सिटी का सबसे पॉश इलाका है। यहां आबादी के साथ-साथ अपराध का ग्राफ भी चढा रहता है।

पुलिस चौकियों और थानों की तादाद बढ़ाने के संबंध में प्रपोजल पेडिंग है। इसको लेकर अभी कोई काम नहीं हुआ। कई जगहों पर भूमि की प्रॉब्लम भी सामने आई।

डॉ। संजीव कुमार, डीआईजी गोरखपुर रेंज