-लावारिस डेड बॉडी की पहचान कराने में छूट रहे पसीने
-सीसीटीएनएस के जरिए होती डाटा फीडिंग, नहीं मिल रहा सुराग
गुलरिहा एरिया के चिलुआताल में रविवार शाम एक अज्ञात व्यक्ति की डेड बॉडी मिली। करीब 40 साल उम्र के व्यक्ति को पानी में बहते हुए देखकर पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस पहुंची तो डेड बॉडी को बाहर निकालकर छानबीन में जुट गई। 24 घंटे के बाद भी पुलिस को अज्ञात व्यक्ति के बारे में जानकारी नहीं मिल सकी। यह कोई पहला मामला नहीं है, जिसमें पुलिस को मृत व्यक्ति की पहचान कराने के लिए मशक्कत करनी पड़ी हो। इसके पहले भी कई मामले सामने आ चुके हैं। जिले में आए दिन कहीं न कहीं डेड बॉडी मिलती है। मर्डर के बाद फेंकी गई डेड बॉडी की पहचान कराना, उसके हत्यारों को खोज निकालने की चुनौती से पुलिस जूझती रहती है। बेहद कम मामलों में आसानी से पुलिस किसी की पहचान कर पाती है। ज्यादातर मामले फाइलों में दबते चले जाते हैं। इस मामले में जब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने पड़ताल की तो सामने आया कि डेड बॉडी मिलने को सामान्य तरीके से निपटाने की कोशिश में बड़ी चूक हो जाती है। इस वजह से मृत व्यक्ति की पहचान होने, उसे ठिकाने लगाने वालों की तलाश नहीं हो पाती।
मर्डर के बाद बंधे पर फेंक गए डेड बॉडी
गोरखनाथ एरिया में 28 अगस्त की सुबह बंधे पर युवक की डेड बॉडी मिली। बेरहमी से युवक का मर्डर किया गया था। किसी वजनी चीज से उसका सिर कुचला गया था। युवक के पास पहचान लायक कोई वस्तु नहीं मिली। फारेसिंक टीम की मदद से पुलिस ने मौके पर सबूत जुटाए। युवक की पहचान कराने के लिए आसपास के जिलों में भी उसकी फोटो भेज दी गई। लेकिन इस संबंध में अभी तक कोई सूचना पुलिस को नहीं मिल सकी। पुलिस का कहना है कि युवक की पहचान होने पर ही जांच आगे बढ़ सकेगी।
इनकी भी नहीं हो सकी पहचान
31 जुलाई 2020: नौसढ़ के पास राप्ती नदी में एक युवती की डेड बॉडी मिली। उसकी पहचान नहीं हो सकी। पब्लिक ने मर्डर की आशंका जताई थी।
22 जुलाई 2020: गुलरिहा एरिया में रोहिन नदी में एक युवती की डेड बॉडी मिली। वह कई दिनों से नदी में बह रही थी। बदन का अधिकांश हिस्सा गायब होने से उसकी पहचान होने में प्रॉब्लम आई।
18 अक्टूबर 2019: कोतवाली एरिया के न्यू दीवान बाजार में ईंट से सिर कूंचकर फेंकी गई युवक की डेड बॉडी मिली थी। युवक के बारे में पुलिस कोई जानकारी नहीं जुटा सकी।
21 सितंबर 2019: सहजनवां एरिया के कसरौल के पास एक अज्ञात युवती की डेड बॉडी मिली। गला दबाकर उसकी हत्या की गई थी। इस संबंध में पुलिस कोई जानकारी नहीं जुटा पाई।
इसलिए नहीं हो पाती पहचान
-गुमशुदगी सूचना दर्ज करने में लापरवाही होती है। सूचना पर तत्काल एक्शन नहीं होता है।
-तलाश शुरू करने के साथ-साथ संबंधित व्यक्ति की पूरी डिटेल त्रिनेत्र एप पर अपडेट होनी चाहिए।
-डेड बॉडी मिलने पर उसकी पहचान का मैन्युअल तरीका अपनाया जा रहा है। एप की मदद से फोटो की स्कैनिंग कराई जानी चाहिए। इससे पूर्व में गुमशुदा लोगों के संबंध में जानकारी मिल सकेगी।
- डेड बॉडी मिलने के दो से तीन बाद पुलिस पोस्टर चस्पा कराती है। पोस्टर सीमित जगहों पर रह जाते हैं। थानों से डीसीआरबी, एससीआरबी और एनसीआरबी तक सूचना पहुंचने में काफी विलंब होता है।
- मर्डर कर फेंकी गई अज्ञात डेड बॉडी मिलने पर पुलिस काफी देर तक सोच विचार करती है। इसके बाद अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मर्डर और मर्डर कर डेड बॉडी छिपाने का मामला दर्ज होता है।
- घटनास्थल पर पुलिस के पहुंचने के पहले मृत व्यक्ति के मोबाइल, पर्स सहित अन्य सामान गायब हो जाने की दशा में सही जानकारी नहीं मिलती।
- डेड बॉडी होने की सूचना पर कई बार पुलिस टालमटोल करती है। नदी या बहाव वाली जगहों पर किसी महिला या पुरुष का शव होने पर उसके आगे दूसरे क्षेत्र में बह जाने का इंतजार भी पुलिस करने लगती है।
यह किया गया है इंतजाम
-डेड बॉडी मिलने की सूचना पर तत्काल प्रभारी और कांस्टेबल मौके पर पहुंचेंगे।
-घटनास्थल से हर तरह के सबूत जुटाए जाएंगे। पब्लिक के बीच उसकी पहचान कराने की कोशिश होगी।
-पंचायत भरने के दौरान डेड बॉडी के आसपास अन्य किसी तरह के सामान मौजूद होने की संभावना में गहन जांच पड़ताल की जाएगी।
-डेड बॉडी के संबंध में जानकारी के लिए तत्काल फोटो के साथ पहनावा, हुलिया का प्रकाशन किया जाएगा। इसे सीसीटीएनएस के जरिए अविलंब अपलोड कराया जाएगा।
-सोशल मीडिया के जरिए डेड बॉडी की फोटो सर्कुलेट करते हुए पब्लिक से जानकारी मांगी जाएगी। सूचना देने के लिए संबंधित थानेदार सहित अन्य पुलिस अधिकारियों के मोबाइल नंबर दिए जाएंगे।
- त्रिनेत्र एप के जरिए गुमशुदा लोगों के फोटो से मिलान कराया जाएगा। इसके संबंध में पुरानी फाइल खंगाली जाएगी।
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