- लोगों के अकाउंट से उड़ा देते थे पैसे
- विदेश भेजने के नाम पर भी की ठगी
- एसटीएफ की पकड़ में आया गिरोह
GORAKHPUR: ठगी के तौर-तरीके बदल गए हैं। अब शातिर ज्यादा हाइटेक ढंग से लोगों को चूना लगा रहे हैं। शनिवार रात को कैंट एरिया में ऐसे ही शातिरों का एक गैंग पकड़ा गया। यह गैंग गैरकानूनी ढंग से बैंक कस्टमर्स की डिटेल हासिल कर उनके नंबरों की डुप्लीकेट सिम इश्यू करवाता था। इसके बाद उनके अकाउंट्स से पैसे अपने अकाउंट्स में ट्रांसफर कर लेता था। सिर्फ इतना ही नहीं, विदेश भेजने का ख्वाब दिखाकर इन शातिरों ने फर्जी वीजा देकर कई बेरोजगारों पर भी कहर ढाया। पुलिस के मुताबिक गैंग ने अब तक करीब तीन करोड़ की हेराफेरी की है। पकड़े गए लोगों के पास से फर्जी पैनकार्ड, बैंक पासबुक, पासपोर्ट, वीजा, फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट और कैंट थाना की मुहर सहित भारी मात्रा में सामान बरामद हुए हैं।
ऐसे खुला मामला
बड़हलगंज निवासी यशवंत और चंद्रप्रकाश का बैंक अकाउंट एक निजी बैंक में है। 24 जून को यशवंत के अकाउंट से एक लाख 24 हजार रुपए निकाल लिए गए। इसी दौरान सेम एरिया के चंद्रप्रकाश ने भी रुपयों की हेराफेरी का मामला दर्ज कराया। बैंक अधिकारियों और कस्टमर्स की शिकायत पर एसटीएफ ने मामले की जांच शुरू की। सामने आया कि गोरखपुर में एक ऐसा गैंग सक्रिय है जो लोगों के बैंक अकाउंट से लाखों रुपए की ठगी कर चुका है। शनिवार की रात कैंट एरिया में पुलिस ने चारों को अरेस्ट कर लिया।
बड़े कारनामे अंजाम दिए
पूछताछ में पकड़े गए बदमाशों ने बताया कि वह लोग मुंबई में ऑनलाइन मार्केटिंग करने वाली कंपनियों को लाखों रुपए का चूना लगा चुके हैं। मामला पकड़ा जाने पर मुंबई पुलिस ने उनको जेल भेज दिया। पांच माह बाद जेल से छूटे तो गोरखपुर में अपना ठिकाना बना लिया।
कहानी पूरी फिल्मी है
पुलिस का कहना है कि शशिकांत और सचिन साथ पढ़ते थे। बड़हलगंज निवासी उनका दोस्त सुशील यादव झुमिला बाजार स्थित एक निजी बैंक की ब्रांच में सेल्स ऑफिसर था। सुशील ने मई 2016 में काम छोड़ दिया। तभी उसकी मुलाकात सचिन और शशिकांत से हुई। सुशील की मदद से शशिकांत और सचिन ने बैंक के ग्राहकों की डिटेल जुटा ली। उनको एक-एक करके शिकार बनाना शुरू कर दिया। गिरोह के सदस्यों के पास कैंट थाना की मुहर मिली। वह लोग ग्राहक के सिमकार्ड खोने की फर्जी सूचना पर नकली मुहर लगाकर मोबाइल कंपनी से डुप्लीकेट सिम निकाल लेते थे। फिर बैंक अकाउंट के साथ रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर का दुरुपयोग करके ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करने लगे।
विदेश भेजने का भी धंधा
इनके रुपए कमाने पर कोई शक न करे, इसलिए पंजाब की एक नामी कंपनी के नाम पर विदेश भेजने की ब्रांच खोलकर कनाडा जाने के लिए वीजा बांटने लगे। जांच में सामने आया कि कनाडा का वीजा देने के लिए जालसाजों ने प्रति व्यक्ति से 30 हजार रुपए की रकम निर्धारित की। एडवांस के रूप में सबसे चार-चार हजार रुपए वसूल लिए। करीब सौ लोगों का आवेदन आने पर फर्जी वीजा की फोटोकॉपी निकाली। उसको दिखाकर लोगों से 30-30 हजार मांगे। कुछ लोगों ने रुपए दे भी दिए। अन्य लोगों को होटल में बुलाकर वीजा की कापी देने की तैयारी चल रही थी। लेकिन इसके पहले पुलिस ने उनको पकड़ लिया। पुलिस को बताया कि वह लोग होटल में सेमीनार करते जिसमें गैंग के सदस्य सोनू को पंजाब की कंपनी का मैनेजर बनाकर पेश किया जाता। वहीं पर आवेदकों को वीजा की फोटोकॉपी देकर रकम वसूल कर लेते।
पुलिस ने इनको किया गिरफ्तार
-सचिन कुमार पांडेय पुत्र नरेंद्र पांडेय, सेंदुली-बिंदुली, खोराबार
- शशिकांत यादव उर्फ सोनू पुत्र सुरेंद्र यादव, वाणीतरया, समय स्थान, भीटी, गोला
- सोनू वर्मा पुत्र मृत्युंजय वर्मा, सैनिक विहार कॉलोनी, शाहपुर
- सोनू सिंह उर्फ मोनू पुत्र राजमन, सरया महुनिया, बड़हलगंज
- सुशील यादव, बड़हलगंज
ये सामान हुए बरामद
- 30 आवेदकों के पासपोर्ट
- फर्जी तरीके से तैयार 29 कूटरचित वीजा की फोटोकापी
- 13 वीजा लेने वालों का जिला अस्पताल से बना मेडिकल सर्टिफिकेट
- कनाडा की ओएससी कंपनी से जारी फर्जी ज्वाइनिंग लेटर
- दो लैपटॉप और एक पेन ड्राइव, दो बाइक
- विभिन्न बैंक के पासबुक, चेकबुक, 13 मोबाइल फोन और आठ सिम कार्ड
- कैंट थाना के एसओ की मुहर
जालसाजों का ऐसा गैंग पकड़ा गया है जो कई तरीके से गोरखपुर और आसपास इलाके लोगों से करीब तीन करोड़ ठग चुका है। विदेश भेजने के लिए फर्जी एजेंसी खोलकर बदमाश बेरोजगारों को ठगने में लगे थे। अपने परिचित पूर्व बैंक कर्मचारी की मदद से बैंक में जमा ग्राहकों की डिटेल लेकर लाखों रुपए की हेराफेरा की थी। गैंग के पांच लोगों को अरेस्ट किया गया है। अन्य दो की तलाश चल रही है।
-विकास चंद त्रिपाठी, सीओ गोरखपुर यूनिट