- कूड़ाघाट निवासी दंपत्ति ने घर-रिश्तेदार के विरोध के बाद भी दूसरी संतान के बारे में न सोचा

GORAKHPUR: बिटिया है, फ्यूचर में क्या होगा? बुढ़ापे में कौन देखेगा? कौन संभालेगा? कौन सहारा बनेगा? ऐसे ही न जाने कितने सवाल और विरोध झेलने के बाद भी अपनी बिटिया वृद्धि संग कमल और ज्योतिमा मुस्कराते रहे। घर, फैमिली मेंबर्स और नाते-रिश्तेदारों के तानों के बाद भी बेटे के बारे में नहीं सोचा। बिटिया को भी बेटा भी मान लिया। समाज क्या कहेगा? लोग क्या कहेंगे? इसको सोचे बगैर कूड़ाघाट का यह दंपत्ति अपनी बिटिया की चाहत पूरा करने में लगा है।

2004 में मिली खुशी

कूड़ाघाट के रहने वाले कमल किशोर गुप्ता और ज्योतिमा गुप्ता की बिटिया वृद्धि ने मार्च 2004 में दुनिया में कदम रखा। इसके साथ ही गुप्ता फैमिली को खुशियों की सौगात मिल गई। दिन बीतने के साथ ही बिटिया से उनकी चाहत और बढ़ती गई। धीरे-धीरे 12 साल का वक्त बीत गया और वह क्लास 7 में पहुंच गई, लेकिन आज भी परिवार में बिटिया के लिए वहीं चाहत और मान है। बिटिया के लिए पिता जहां अपनी शॉप भी कुछ देर के लिए छोड़ने से गुरेज नहीं करते वहीं मां भी पूरा समय देती हैं। सभी उसकी पसंद और नापसंद का खास ख्याल रखते हैं। बिटिया को बैडमिंटन खेलने का शौक है। कई बार इसके लिए कमल अपनी दुकान बंद कर देते हैं और बिटिया के साथ बैडमिंटन खेलते हैं।

काफी था फैमिली का प्रेशर

कमल ने बताया कि बेटी होने के बाद एक-दो साल तक तो सबकुछ ठीक रहा। मगर जैसे-जैसे वक्त बीतने लगा, घरवालों और रिश्तेदारों ने बेटे की ख्वाहिश जाहिर की। उनका कहना था कि अभी तो ठीक है, लेकिन बिटिया की शादी के बाद कौन देखेगा? कौन ख्याल रखेगा? मगर उन्होंने सबकी बातें तो सुनी, लेकिन अपनी बिटिया के सामने किसी और के बारे में नहीं सोचा। पति और पत्‍‌नी ने पहले ही डिसाइड कर रखा था कि अगर बिटिया होती है, तो उसके बाद कोई बच्चा नहीं चाहिए, अगर लड़का होता है, तो बिटिया के लिए ट्राई करेंगे, मगर भगवान ने उनकी सुन ली और पहले ही बिटिया दे दी।