गोरखपुर (ब्यूरो)। माना जाता है कि उन्हीं से योग की शिक्षा ऋषियों को मिली, जिन्होंने इसे देश-विदेश में फैलाया। हालांकि, धीरे-धीरे लोगों ने इसे भुला दिया था, पर पिछले कुछ सालों में योग फिर एक बार ट्रेंड में आया है और आज इसका क्रेज लोगों में काफी ज्यादा देखने को मिल रहा है।
बीते कुछ सालों में बदला योग का ट्रेंड
योग का क्रेज साल 2015 से बढ़ता हुआ दिखाई दिया जब पहली बार अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत हुई थी। हालांकि, पिछले पांच सालों में योग ज्यादा ट्रेंडिंग हो गया है। योग ट्रेनर राहुल सिंह ने बताया कि कोविड के समय लोगों की हेल्थ पर काफी असर पड़ रहा था और बहुत से लोगों की जान भी चली गई। ऐसे में बहुत से लोग ऐसे थे जिन्होंने योग को अपनाया। लोग अपनी इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए योग करने लगे। आज योग को इतना बढ़ावा मिला है कि यूथ में योग के प्रति रुचि बढऩे लगी है।
फैल रही योग के प्रति जागरूकता
योग एक्सपर्ट मनीष तेवतिया का कहना है कि पहले योग ज्यादातर बुजुर्ग ही किया करते थे। तब योग का इतना क्रेज नहीं था। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस शुरू होने से लोगों में जागरूकता फैली और लोग योग करने लगे। योग दिवस पर यूथ को योग करते देख अन्य युवाओं को भी योग करने की प्रेरणा मिली और उन्होंने भी योग करना शुरू कर दिया। आज बहुत से युवा है जो योग में ही करियर बनाना चाहते हैैं और इसकी पढ़ाई के लिए यूनिवर्सिटीज में एडमिशन ले रहे है।
योग के ट्रेंड में आने से बढ़ रहे करियर ऑप्शंस
योग सेंटर चलाने वाले सौमिल शर्मा ने बताया कि योग इतना पॉपुलर हो गया है कि हर किसी को लगता है कि उन्हें योग आता है। कई लोग इसके ऑनलाइन कोर्स करते हैैं पर इससे ज्यादा फायदा नहीं होता। योग के बढ़ते ट्रेंड को देखते हुए कई यूनिवर्सिटीज योग का कोर्स चला रही है। आज कल अस्पताल, स्कूल, कॉर्पोरेट और कई जगह पर योग में करियर बनाया जा सकता है। इसके अलावा खुद का योग सेंटर भी खोल सकते है। पहले इतने ऑप्शंस नहीं थे लेकिन योग के इस तरह बढऩे से बहुत सारे करियर ऑप्शंस खुल गए है। योग में डिग्री और डिप्लोमा कोर्स भी होते है। साथ ही इसमें पीएचडी भी की जा सकती है।
यूथ को आ रहा योग में इंटरेस्ट
आज के समय में लोग सिर्फ डॉक्टर या इंजीनियर नहीं बनना चाहते हैं। कई लोग ऐसे है जो अपने करियर के लिए योग को भी चुन रहे है। योग इंस्ट्रक्टर उमा पांडे ने बताया कि आजकल उनके यहां योग सीखने के लिए यूथ ज्यादा आते हैैं। कई बार युवा अपनी बुरी आदतों को छोडऩे के लिए भी योग का सहारा लेते है। उनके मुताबिक, लोगों में योग के प्रति इसी क्रेज के कारण इतने करियर ऑप्शंस खुल गए है। स्कूल और यूनिवर्सिटीज में योग टीचर्स की जरूरत होती है। योग सेंटर्स भी इसी वजह से इतना चलते है। अस्पतालों में भी योग से मरीजों का इलाज किया जा रहा है।
इनहेलर और योग प्राणायाम
केजीएमयू के रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग के हेड डॉ। सूर्यकांत बताते हैं कि अस्थमा के रोगी इनहेलर यूज करने के साथ-साथ योग व प्राणायाम भी करें। विभिन्न स्वास्थ्य संगठनों द्वारा योग को सबसे अच्छी सह चिकित्सा के रूप में स्वीकार किया गया है। विभाग में हुए अस्थमा पर योग के प्रभाव के विभिन्न शोधों से यह निष्कर्ष निकलता है कि यदि आधुनिक चिकित्सा पद्धति के साथ-साथ योग, प्राणायाम व ध्यान का नियमित रूप से प्रतिदिन 30 मिनट भी अभ्यास किया जाए तो रोगी की गुणवत्ता प्रभावित होती है। इनहेलर की मात्रा कम की जा सकती है, दौरों को नियंत्रित किया जा सकता है और फेफड़ों की कार्य क्षमता बढ़ती है। अस्थमा के रोगियों को प्रतिदिन इनहेलर लेना चाहिए और साथ ही साथ गोमुखासन, पश्चिमोत्तानासन, भुजंगासन, धनुरासन, ताड़ासन, पर्वत आसान, नाड़ी शोधन प्राणायाम, भस्त्रिका प्राणायाम एवं भ्रामरी प्राणायाम करना चाहिए। इसके अलावा, कई अन्य आसन है जो शरीर के विभिन्न हिस्सों को हेल्दी रखने में मददगार है। कोई भी योगासन किसी कुशल योगाचार्य की ही निगरानी में सीखना और करना चाहिए।