गोरखपुर (ब्यूरो) आलम यह है कि वह अपने पेरेंट्स और घर में आने वाले रिश्तेदारों से भी दूरी बना ली है। ऐसे में सुप्रिया के पेरेंट्स भी अपने बेटी को लेकर बेहद परेशान है। यह समस्या सिर्फ सुप्रिया और उसके पेरेंट्स की नहीं बल्कि हजारों की संख्या में ऐसे टीनेजर्स और यंगस्टर्स हैैं। जो आज की डेट में खुद को सोशल मीडिया सेलिब्रेटी बनने की होड़ में पढ़ाई लिखाई छोड़ सोशल मीडिया एडिक्शन के शिकार हो रहे हैैं। दरअसल, जिला प्रोबेशन कार्यालय के अंतर्गत आने वाले कृपालय काउंसलिंग सेंटर में इन दिनों सैकड़ों पेरेंट्स अपने बच्चों के काउंसलिंग के लिए पहुंच रहे हैैं। वहीं कृपालय काउंसलिंग सेंटर के एक्सपर्टस की माने तो पहले जहां 15-20 पेरेंट्स अपने बच्चों सोशल मीडिया एडिक्शन की समस्या को लेकर प्रतिदिन आते थे। वहीं अब इनकी संख्या 50-55 हो गई है। लेकिन इनके काउंसिलिंग से स्वस्थ किया जा सकता है।

सबके सामने बनाते है मजाक

वहीं साइक्लोजिस्ट डॉ। श्वेता जॉनसन बताती हैैं कि सोशल मीडिया एडिक्शन न केवल उनके बिहेवियर बल्कि साथ में उनकी पढ़ाई पर भी डाल रहा है। स्कूल-कॉलेज में भी पढ़ाई के समय उनके दिमाग में यहीं चलता रहता है की फॉलोवर्स कैसे बढ़ाएं और ज़्यादा से ज्यादा लाइक कैसे प्राप्त करें। वहीं यह भी देखा गया है कि जिनके अधिक फॉलोवर्स हैं वो कम फॉलोवर्स वाले छात्रों का सबके सामने मजाक बनाते हैं।

अकेले में बिता रहे ज्यादा समय

वहीं डीडीयूजीयू साइक्लोजिस्ट डिपार्टमेंट की प्रो। अनुभूति दुबे बताती है कि सोशल मीडिया एनालिसिस की एक रिपोर्ट के अनुसार यंगस्टर्स सोशल मीडिया पर डेली 5-6 घंटे बिताते है। मोबाइल और लैपटॉप जैसे डिजिटल इक्विपमेंट उनके प्रोडक्शन कैपेबिलिटी पर प्रभाव डालता है, सोशल मीडिया पर वह कई घंटे रील देखते हैं। दूसरों के अकाउंट से तुलना करते हैं, इसके कारण वे परिवार से दूर होते जा रहे हैं। वह अपना ज्यादा समय एकांत में रहते हैं।

फेक ग्रुप से भी जुड़ रहे

साइबर एक्सपर्ट का कहना है कि फालोवर्स, लाइक और कमेंट के चक्कर में टीनेजर ऐसी वेबसाइट, सोशल मीडिया ग्रुप व पेजेज से जुड़ जाते हैं, जोकि फेक और स्पैम ग्रुप होते हैं। फॉलोवर्स और लाइक्स के लिए उनसे पैसों की भी डिमांड की जाती है और इससे उनके अकाउंट को हैक होने का ख़तरा भी बढ़ जाता है। कई मामले में इसके जरिए धमकी भी दी जाती है।

विजय लक्ष्मी सिंह उनकी फ्रेंड के बेटे की उम्र सिर्फ 10 साल है। कोरोना के समय उसे मोबाइल गेम्स और सोशल मीडिया की लत लग गई और इसकी वजह से वह वर्चुअल ऑटिजम का शिकार हो गया, उसका इलाज काफी दिनों इलाज चला।

सुषमा सिंह ने बताया कि उनके रिश्तेदारी की 16 वर्षीय बेटी रोजाना सोशल मीडिया पे रील पोस्ट करती थी। इसकी वजह से देर रात तक रिल्स बनाने के चक्कर में वह जगती थी जिससे उसका स्लीप टाइम प्रभावित हो गया और वह इसोमनिया की शिकार हो गई।

सोशल मीडिया का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल व्यक्ति को पूरी तरह से प्रभावित कर सकता है। लत ऐसी होती है यंगस्टर्स कामेंट और शेयर से बहुत अधिक प्रभावित होकर कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। सोशल मीडिया से अत्याधिक प्रयोग से खुद भी बचना चाहिए और अपनों को इसके कम इस्तेमाल के लिए प्रेरित करना चाहिए।

डॉ। श्वेता जॉनसन, मनोविज्ञान विभाग, सेंट एंड्रयूज

काउंसिलिंग सेंटर में इन दिनों टीनेजर्स और उनके पेरेंट्स अपने बच्चों के काउंसिलिंग के लिए आ रहे हैैं। उनके बच्चे सोशल मीडिया पर ज्यादा समय देने के कारण पेरेंट्स काफी परेशान हैैं। ऐसे बच्चों की काउंसलिंग की जाती है। ताकि वह फिर से अपने नार्मल लाइफ में आ सके।

फॉदर पॉली, डायरेक्टर, कृपालय काउंसिलिंग सेंटर