गोरखपुर (ब्यूरो)। गिरोह के सरगना कमरुद्दीन उसके नाती और छह साथियों के पकड़े जाने के बाद बाद कोई आरोपित अभी तक हत्थे नहीं चढ़ा है। जाली नोट का रैकेट चलाने वाला बेटे नमाज का भी अभी तक सुराग नहीं मिला। उसके नेपाल में छिपे होने की चर्चा है।
पहले बी कमरुद्दीन छापता था फर्जी स्टांप
बिहार के गोपालगंज जिले का रहने वाला कमरुद्दीन पहले भी फर्जी स्टांप छापता था। लेकिन, उसकी करतूत आसानी से पकड़ में आ जाती थी। यही वजह रही कि 1986 में दबोच लिया गया। बीएससी की पढा़ई करने वाले नाती साहेबजादे ने केमिकल का इस्तेमाल कर छपाई शुरू की तो धंधा चल पड़ा। कमरुद्दीन के बेटे नमाज ने तो फर्जी स्टांप के साथ नकली नोट भी छापना शुरू कर दिया। कैंट थाने में दर्ज मुकदमे की जांच कर रही एसआइटी ने जब छानबीन की तो पता चला कि वाटर ङ्क्षप्रट करके वह अ²श्य से दिखने वाले सिक्योरिटी फीचर को बनाता था जिसकी अभी जांच चल रही है। कैंट थाने में मुकदमा दर्ज होने के बाद जेल भेजे गए स्टांप विक्रेता रवि दत्त मिश्रा को कोर्ट से जमानत मिल चुकी है। एसएसपी डा। गौरव ग्रोवर ने बताया कि विवेचना में कई महत्वपूर्ण जानकारी मिली है, जिसके आधार पर रैकेट में शामिल अन्य लोगों की तलाश चल रही है।
यह है मामला
गोरखपुर के फर्जी स्टांप का मामला सामने आने के बाद कैंट थाने में केस दर्ज किया गया। इसी की जांच करते हुए पुलिस बिहार तक पहुंची और फिर सिवान जिले के मोफस्सिल थाना क्षेत्र के नई बस्ती निवासी मोहम्मद कमरुद्दीन, उसके नाती साहेबजादे, गोरखपुर के कोतवाली थाना क्षेत्र के समय माता मंदिर के पास रहने वाला रामलखन जायसवाल, कुशीनगर के कसया थाना क्षेत्र के जानकीनगर में रहे वाले ऐश मोहम्मद, पडरौना के सिरसिया में रहने वाले रङ्क्षवद्र दीक्षित, बकुलहा गांव के नंदू उर्फ नंदलाल व देवरिया के भाटपार थाना क्षेत्र स्थित वार्ड नंबर 22 में रहने वाले संतोष गुप्ता को गिरफ्तार कर जेल भेजा था।