गोरखपुर (ब्यूरो)।यही नहीं जंगल में पाए जाने वाले 3670 वाइल्ड एनिमल्स की सुरक्षा के लिए जंगल के चारों तरफ चैनल फेंसिंग होगी, ताकि कोई भी तस्कर वाइल्ड एनिमल्स या फिर मंहगी लकडिय़ों को काट न सके। यह सब कवायद फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की तरफ से शुरू कर दी गई है।

सेफ्टी के लिए चैनल फेंसिंग

बता दें, गोरखपुर में जंगल धूसड़, जंगल कौडिय़ा, रजही, सूबा बाजार, झंगहा आदि जगहों पर तेजी के साथ अराजक तत्वों की आवाजाही होती है। जंगल में पिकनिक स्पॉट के रूप में अराजक तत्व पहुंचकर चोरी या छेडख़ानी की घटना को अंजाम देते हैैं। तस्कर भी लकडिय़ों के बड़े-बड़े बोटा काट ले जाते हैैं। जंगल के लकडिय़ों के तस्करी को रोकने और वाइल्ड एनिमल्स की सेफ्टी के लिए एंट्री व एग्जिट प्वाइंट बनाए जाने की कवायद शुरू कर दी गई है। गोरखपुर के जंगल में सबसे ज्यादा बंदर, वन गाय हैैं। इसके अलावा जंगल में जंगली बिल्ली, लोमड़ी, सियार, लंगूर, सुअर, चीतल, वनरोज, चौसिंघा के बारे में भी एजुकेट किया जाएगा। बताया गया है कि सबसे ज्यादा तिलकोनिया, परतावल, बांसगांव, खजनी, बड़हलगंज, सहजनवां, बांकी, कैंपियरगंज व फरेंदा एरिया के जंगलों में यह सभी वाइल्ड एनिमल्स पाए जाते हैैं।

गोरखपुर वन प्रभाग की टीम

रेंज का नाम - हेड क्वॉर्टर, गोरखपुर, तिलकोनिया, परतावल, बांसगांव, खजनी, बड़हलगंज, सहजनवां, बांकी, कैंपियरगंज व फरेंदा

एक नजर में जंगली जीव

प्रजाति - वैज्ञानिक नाम - वाइल्ड एनिमल

फिशिंग कैट - फेलिस विवेरिना - 20

शूकर हिरन - एक्सिस पारसिनस - 9

चौसिंघा - टेट्रासिरस क्वाड्रिकार्निस - 16

वनरोज - बोसेलाफस ट्रैगोकैमेलस - 1766

सांभर - सर्वस यूनिकूलर - 175

चीतल - एक्सिस - 230

बारासिंघा - सर्वस डूवासेली - 35

काकड़ - म्यूनटिकस मुंटजक - 12

सुअर - सस स्क्रोफा - 919

बंदर - मकाका स्पेसिओसा - 4818

लंगूर - प्रेसबाइटिज एनटेलस - 901

लोमड़ी - वुल्पस - 150

सियार - केनिस औरस - 713

मोर - पावो क्रिसटेटिस - 730

वनगाय - वन गाय - 3670

जंगली बिल्ली - फेलिस चॉस - 45

बिज्जू - रेटल - 86

सेही - हिस्ट्रिक्स इंडिका - 165

गोह - वैरनस बेनग्लासिस - 134

अन्य - 133

लकडिय़ों की कटान रोकने, वाइल्ड एनिमल्स की सेफ्टी के लिए 5-6 मीटर की खुदाई चारों तरफ कराई जा रही है। ताकि कोई भी बड़ी गाड़ी आसानी से निकल न सके। इसके अलावा चैनल फेंसिंग लगाई जा रही है। ताकि वाइल्ड एनिमल्स जंगल में ही रहें।

विकास यादव, डीएफओ, गोरखपुर