गोरखपुर (ब्यूरो)।सरकारी अस्पतालों में आए दिन पेशेंट्स को इलाज न मिलने की कंप्लेन आम हो रही हैं। डेली पेशेंट इन सरकारी अस्पतालों में बेहतर इलाज की आस में दर-दर भटक रहा है। इलाज न मिलने की वजह है कि सभी अस्पतालों में डॉक्टर्स की कमी से जूझ रहे हैं। इतना ही नहीं रूरल एरिया के कई अस्पतालों में फार्मासिस्ट और हेल्थ कर्मी ही ट्रीटमेंट कर रहे हैं।
जिला अस्पताल में 28 पद खाली
हेल्थ डिपार्टमेंट के सीएचसी और पीएचसी अस्पतालों की बात करें तो स्वीकृत पद 269 है जबकि 154 पद पर डॉक्टर कार्यरत हैं। अभी भी 115 डॉक्टर्स के पद खाली चल रहे हैं। जबकि जिला अस्पताल में 54 डॉक्टर्स के पद स्वीकृत है। इसमें से 26 डॉक्टर्स कार्यरत है और 28 पद काफी समय से खाली चल रहे हैं। इसके अलावा जिला महिला अस्पताल में 17 पद स्वीकृत है। इसमें से 9 डॉक्टर्स कार्यरत है और 10 पद रिक्त चल रहे हैं। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकारी अस्पताल के एक-एक डॉक्टर को एक दिन की ओपीडी में चार से पांच सौ पेशेंट देखने पड़ रहे हैं। ओपीडी के समय में डॉक्टर पेशेंट को एक मिनट भी इलाज के लिए नहीं दे पा रहा है। अस्पतालों में सबसे बड़ी किल्लत विशेषज्ञ डॉक्टर्स की है। कुछ अस्पतालों में एक या दो डॉक्टर ही बचे हैं। ज्यादातर अस्पतालों में एमबीबीएस डॉक्टर ही पेशेंट का इलाज कर रहे हैं।
जिला अस्पताल
54 स्वीकृत पद
26 कार्यरत पद
28 रिक्त पद
जिला महिला अस्पताल
17 स्वीकृत पद
09 कार्यरत पद
10 रिक्त पद
100 शैया एमसीएच विंग अस्पताल
18 स्वीकृत पद
06 संविदा पर कार्यरत डॉक्टर
18 रिक्त पद
सीएचसी व पीएचसी
269 स्वीकृत पद
154 कार्यरत डॉक्टर्स
115 डॉक्टर्स के पद रिक्त
सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर्स की कमी से पेशेंट को दिक्कत होती, एक डॉक्टर पर लोड अधिक होने से बेहतर इलाज नहीं हो पा रहा है। इससे प्रॉब्लम होती है।
रंग बिहारी पांडेय, पेशेंट
सीएचसी और पीएचसी में सबसे ज्यादा डॉक्टर कम हैं। रात में इलाज करवा पाना काफी मुश्किल होता है। डॉक्टर नहीं मिलने से शहर में इलाज के लिए जाना पड़ता है।
अंकिता वर्मा, पेशेंट
डॉक्टर्स की कमी को दूर करने के लिए सविंदा पर भर्ती होनी है। भर्ती प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी। जल्द ही डॉक्टर्स की कमी को दूर कर लिया जाएगा।
- डॉ। आशुतोष कुमार दुबे, सीएमओ