गोरखपुर: जेई की गैर मौजूदगी में भी जांच की जा रही है। जबकि नियम है कि विजिलेंस टीम बिना जेई जांच नहीं कर सकती है। यही वजह है कि टीम में जेई की तैनाती की जाती है।

चीफ इंजीनियर का कंट्रोल


बिजली निगम की विजिलेंस टीम में उत्तर प्रदेश पुलिस के निरीक्षक, उप निरीक्षक और सिपाहियों की तैनाती की जाती है। यह टीम मुख्य अभियंता के अधीन काम करती है। वर्ष 2019 तक बिजली निगम की विजिलेंस टीम चोरी के मामलों को संबंधित थाने में दर्ज कराती थी। कई बार चोरी की एफआइआर दर्ज कराने को लेकर विजिलेंस व संबंधित थाने में टकराव की स्थिति बन जाती थी।

एंटी थेफ्ट बिजली थाना


इसे देखते हुए हर जिले में एंटी थेफ्ट बिजली थाना खोलने का निर्णय लिया गया। इस थाने में बिजली चोरी के मामलों की ही एफआइआर दर्ज कराई जाती है। यह एफआइआर सामान्य व्यक्ति नहीं बल्कि विजिलेंस की ही टीम दर्ज कराती है। एफआइआर दर्ज होने के बाद एंटी थेफ्ट बिजली थाने की टीम जांच करती है और फाइनल रिपोर्ट लगाकर कोर्ट में भेजती है।

24 घंटे में एफआईआर


विजिलेंस टीम को बिजली चोरी के मामलों में 24 घंटे के अंदर एफआइआर दर्ज करनी होती है। टीम को मौके पर ही चेकिंग रिपोर्ट भी भरनी होती है, साथ ही वीडियोग्राफी करनी होती है लेकिन ज्यादातर मामलों में चेकिंग रिपोर्ट नहीं भरी जा रही है।

चुनाव के बाद तेजी


लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के साथ ही विजिलेंस की कार्रवाई पर रोक लग गई है। 15 जून के बाद विजिलेंस ने जांच शुरू की। महानगर से लगायत ग्रामीण क्षेत्रों में दो टीमें जांच करने में जुटी हैं।

वसूली का आरोप


पिछले दिनों विजिलेंस की टीम ने नरसिंहपुर क्षेत्र में जांच की थी। यहां मीटर में शंट लगाकर बिजली चोरी का मामला सामने आया था। आरोप लगा कि टीम ने रात में मोहद्दीपुर स्थित कार्यालय बुलाकर एक कंज्यूमर से एक लाख और दूसरे से 80 हजार रुपये लिए थे। कंज्यूमर ने शिकायत की बात कही तो किसी तरह मामला मैनेज हो गया।

विजिलेंस टीम बिना जेई जांच नहीं कर सकती है। यदि ऐसा हो रहा है तो गलत है। लोग शिकायत दर्ज कराएं, तत्काल कार्रवाई कराई जाएगी। बिजली निगम के अभियंता भी ध्यान दें कि किसी कंज्यूमर का शोषण न होने पाए।
आशुतोष श्रीवास्तव, चीफ इंजीनियर