गोरखपुर (ब्यूरो)।भारत में पहली बार इसके ऑपरेशन की ऐसी विधि खोजी गई है, जिसमें 95 परसेंट लोगों की प्रॉब्लम हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी। डॉक्टर्स के अनुसार इसके पहले इस तरह का रिसर्च 2002 में इजिष्ट मिस्र में किया गया था, जिसमें 97 परसेंट सफलता मिली है। इसके बाद यह स्टडी गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुई है।

ऑपरेशन ही विकल्प

आंसू की नली बंद हो जाने से पेशेंट की आंख से हमेशा पानी गिरता रहता है। कई बार यह पीड़ादायक भी हो जाता है। इस बीमारी का ऑपरेशन ही विकल्प है। इसमें पुरानी विधि के अनुसार आंख की नली को नाक की हड्डी में रास्ता बनाकर जोड़ दिया जाता है, ताकि आंसू नाक व गले से होते हुए पेट में चला जाए। इस विधि से ऑपरेशन में 50 परसेंट पेशेंट्स में यह बीमारी दोबारा हो जाती है।

78 पेशेंट्स पर रिसर्च

इस बार स्टडी में 78 पेशेंट्स को शामिल किया गया। इनकी उम्र 16 से 65 वर्ष के बीच है। 39-39 पेशेंट्स के दो समूह बनाए गए। पहले समूह में ऑपरेशन में माइटोमाइसिन-सी ड्रग का इस्तेमाल किया गया। दूसरे समूह में गर्भनाल की सबसे निचली लेयर का। पेशेंट््स की डेढ़ साल निगरानी की गई। एक साल बाद पहले समूह में नौ पेशेंट्स में यह बीमारी दोबारा हुई। जो 34 परसेंट हैं। दूसरे समूह में मात्र दो पेशेंट्स में दोबारा बीमारी हुई, जो मात्र पांच परसेंट है। 95 परसेंट ऑपरेशन सफल रहे। इस स्टडी को इंडियन जर्नल ऑफ क्लीनिकल एंड एक्सपेरिमेंट आप्थलमोलॉजी, नई दिल्ली में प्रकाशित करने के लिए भेजा गया है।

भारत में पहली बार नासूर के ऑपरेशन की नई तकनीक खोजी गई है। नई विधि से 95 परसेंट पेशेंट्स में यह दोबारा नहीं होगी।

डॉ। रामकुमार जायसवाल, एचओडी आई डिपार्टमेंट बीआरडी मेडिकल कॉलेज

सामान्य ऑपरेशन करके आंसू के लिए जो रास्ता बनाया गया है, वहां फाइब्रोसिस हो जाती है। नली सिकुडऩे लगती है। नई विधि में फाइब्रोसिस की रोकथाम की गई है। इसलिए ज्यादातर ऑपरेशन सफल रहे।

डॉ। विनय सिंह, रिसर्चर