गोरखपुर (ब्यूरो)। इस नेक कार्य में पुलिस के जवानों के अतिरिक्त सोशल ग्रुप के यूथ काफी एक्टिव हैं। हमारे बीच ऐसी महिलाएं और युवतियां हैं, जो लोगों को ब्लड देने के साथ कमजोर लोगों को अस्पताल या आश्रय स्थलों पर पहुंचाती हैं। ऐसी युवतियां भी हैं, जो बच्चों से ट्यूशन फीस के नाम पर दो पन्नी लेती हैं।
रक्तवीर क्लब दे रहा जिंदगी
पुलिस कर्मी शिवांबुज पटेल ने अभी तक 25 बार अपना बी निगेटिव ग्रुप का ब्लड डोनेट किया है। उनका रक्तवीर क्लब लोगों को जिंदगी दे रहा है। पुरुष पुलिसकर्मियों के साथ इस ग्रुप में महिला पुलिसकर्मी भी हैं। ब्लड डोनेशन करने वालों मेें मुकेश सिंह सोलंकी ने 16 बार, सच्चिदानंद मौर्या ने 34 बार, आनंद शर्मा ने 40 बार और जितेंद्र प्रजापति ने 16 बार रक्तदान किया है।
क्लब में 400 युवा
शिवांबुज पटेल ने बताया, हम लोगों ने पहले तीन चार लोगों का एक ग्रुप बनाया था, जिसमे कभी भी किसी को खून की आवश्यकता होती थी, तब हम लोग मदद करते थे। इस समय पुलिसकर्मी से लेकर अन्य सामाजिक व्यक्ति और युवा समेत 400 लोग इस ग्रुप में हैं। रक्तवीरों ने पिछले ढाई साल में 1000 मरीजों को ब्लड देकर उनकी जान बचाई है।
अस्पतालों में रहती चर्चा
ब्लड देने के लिए निरंकारी संस्था, आईजीएल, नागरिक सुरक्षा कोर और गायत्री पीठ जैसे समूह हर साल ब्लड डोनेट करते हैं। आनंद कुमार और सच्चिदानंद जैसे युवा निरंतर ब्लड डोनेट कर रहे हैं। मेडिकल कॉलेज हो या फिर कई अन्य हॉस्पिटल। मदद के लिए इनकी हर जगह चर्चा होती है।
ब्लड डोनेशन के साथ खिलाते खाना
मातृ आंचल सेवा संस्थान चला रहीं पुष्पलता सिंह और उनकी टीम भी ब्लड डोनेशन में आगे है। इसके अतिरिक्त अक्षम, बेसहारा, लावारिस वृद्ध व बच्चों और जानवरों की सेवा के लिए जीवन समर्पित कर दिया है। उनकी टीम में डॉ। विपिन शाही, रसिका चतुर्वेदी, संजय सिंह रघुवंशी, सुकन्या सिंह, सरिता यादव, स्नेहा गुप्ता, सीमा गुप्ता, ज्ञानेन्द्र ओझा, संजना, अर्चना सिंह आदि की अलग-अलग जिम्मेदारी तय है। संस्थान द्वारा गरीबों को मुफ्त कपड़ा, भोजन वितरण भी किया जाता है।
ऐसी भी गुरु दक्षिणा
पादरी बाजार की दो खिलाड़ी अनिता और नंदनी स्लम एरिया के बच्चों को पढ़ाती हैं और फीस के नाम पर उनसे केवल 10 प्लास्टिक लेती हैं। अनिता और नंदनी का कहना है कि सिंगल यूज प्लास्टिक पर्यावरण के लिए हानिकारक है। इसलिए वे यह कार्य कर रही हैं।