होने लगता रिसाव

डेंगू के एडमिट पेशेंट्स के हेमेटोक्रिट ब्लड पर विशेष निगरानी रखी जाती है। हेमेटोक्रिट ब्लड में लाल रक्त कोशिकाओं की मात्रा पुरुषों में 45 परेसेंट और महिलाओं में 40 परेसेंट होनी चाहिए। अगर हेमेटोक्रिट बढ़ा तो कैपिलरी से ब्लड में मौजूद प्लाज्मा का रिसाव होने लगता है। एम्स में जुलाई से अब तक 11 पेशेंट आए हैं। पांच पेशेंट्स पर स्टडी के दौरान शॉक सिंड्रोम के लक्षण मिले हैं।

क्या होता शॉक सिंड्रोम
डॉ। हरिशंकर जोशी के मुताबिक, शॉक सिंड्रोम में डेंगू का पेशेंट बेचैन हो जाता है। इसके बाद तेज बुखार आने पर त्वचा ठंडी हो जाती है। पेशेंट धीरे-धीरे बेहोशी की ओर जाने लगता है। इसी बीच नाड़ी कभी तेज तो कभी धीरे चलने लगती है। बीपी एकदम कम हो जाता और पेशेंट शॉक में चला जाता है।

ये हैं लक्षण
- तेज बुखार के साथ पेट दर्द, उल्टी, भूख न लगना
- पेशाब कम होना
- शरीर के किसी भी हिस्से से रक्तस्राव
- शरीर पर लाल निशान होना गंभीर लक्षण का संकेत हैं।

डेंगू से पडऩे वाले प्रभाव
- बुखार
- लाल चकत्ते
- पीठ दर्द
- सिर दर्द
- आंखों में जलन
- मांसपेशी दर्द
- जोड़ों में दर्द

डेंगू पेशेंट्स में शॉक सिंड्रोम का खतरा बढ़ जाता है। स्टडी के दौरान इस तरह के पेशेंट सामने आए है। पेशेंट बेहोश भी हो जाता है। हालात ज्यादा गंभीर होने पर जान तक जा सकती है। यदि इस तरह के लक्षण दिखे तो तत्काल डॉक्टर्स से संपर्क कर अपना इलाज कराएं।
डॉ। हरिशंकर जोशी, प्रोफेसर, कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग, एम्स गोरखपुर