गोरखपुर (ब्यूरो)।उनका यह कदम पूरे परिवार को बर्बादी की कगार पर लाकर खड़ा कर देता है, लेकिन ऐसा ही कुछ इधर हाल फिलहाल के दिनों में देखने को मिला है।
मंगेतर से चैटिंग करते हुए युवती ने दे दी जान
गुलरिहा निवासी श्रीकांत यादव की बेटी बिंदिया (23) की 9 फरवरी को शादी थी। घर पर शादी की तैयारी जोरों पर चल रही थी। इसी बीच 28 जनवरी की दोपहर बिंदिया अपने मंगेतर से बात कर रही थी। अचानक न जाने कौन सी बात उसे अच्छी नहीं लगी। बिंदिया ने चैटिंग करते हुए सुसाइड कर ली। बिंदिया ने दुपट्टे से फंदा लगाकर जीवनलीला समाप्त कर ली, जिसे देखकर घर में मातम में हो गया।
मई में शादी, जनवरी में दे दी युवक ने जान
पीपीगंज में 30 जनवरी को सुनसान बाग में रस्सी के फंदे से एक युवक का शव लटकता मिला। युवक की पहचान दुर्गेश पुत्र रमाकांत निवासी लक्ष्मीपुर सरहरी के रूप में हुई। घरवालों ने वहां पहुंचकर युवक की पहचान की। उन्होंने बताया कि बेटे दुर्गेश का तिलक चढ़ चुका था। मई में उसकी शादी होनी थी। दुर्गेश बाहर रहकर काम करता था। शादी की वजह से इस समय वो घर आया था।
लव अफेयर में भी जा रही जान
एनसीआरबी ने साल 2021 का जो आंकड़ा जारी किया है। उसके अनुसार साल 2021 में 5932 सुसाइड के मामले आए हैं। इसमे मुख्य तौर पर लव अफेयर में 4.6 परसेंट जाने हर साल पूरे प्रदेश में जा रही हैं। वहीं नशे के कारण 6.4 परसेंट लोगों ने सुसाइड किया है। वहीं शादी से जुड़े मैटर में भी लोग सुसाइड कर रहे हैं।
साल 2021
सुसाइड केस- 5932
सुसाइड करने की वजह परसेंट
फैमिली प्रॉब्लम 33.2
लव अफेयर 4.6
शादी से जुड़ी प्रॉब्लम 4.8
बीमारी की वजह 18.6
अदर केस 9.2
कारण नहीं पता 9.7
नपुंसकता 0.2
अवैध संबंध 0.4
कैरेक्टर पर दाग लगने पर 0.5
एग्जाम में फेल होने पर 1.0
संपत्ति विवाद 1.1
गरीबी 1.1
सगे संबंधी की मौत 1.2
कॅरियर प्रॉब्लम 1.6
बेरोजगारी 2.2
आर्थिक तंगी 3.9
नशे की लत 6.4
क्या कहते हैं, समाजशास्त्री
- जब इंसान किसी को अपना आइडियल मान बैठता है, तो उससे चोट पहुंचती है तब वो सुसाइड जैसा कदम उठाता है।
- सुसाइड करने के पीछे व्यक्ति का लक्ष्य केवल जान देना ही नहीं बल्कि, कुछ और भी है। इसकी खोज होनी चाहिए। इससे वर्तमान समय में सुसाइड की वजह तलाशी जा सकती है।
- मौसम या भौगोलिक स्थिति नहीं बल्कि सुसाइड का कारण समाजिक होता है।
- शुरू से ही बच्चों की हर इच्छा पूरी करना अचानक नहीं सुनने पर उन्हें आघात पहुंचता है, जिसके बाद वे कुछ भी कर सकते हैं।
- कोई भी व्यक्ति जब समाज या घर से खुद को कुपोषित समझने लगता है, तब भी सुसाइड जैसा कदम उठाता है।
संगीता पाण्डेय, एचओडी, समाजशास्त्र विभाग, डीडीयूजीयू
मोबाइल की वजह से कॉलोनी मोहल्ले में लोग एक दूसरे से बात करने से कतरा रहे है। परिवार भी एक दूसरे को टाइम नहीं दे रहा है। साथ ही एकल परिवार बढ़े हैं। आभाषी दुनिया की तरफ अट्रैक्ट लोग जब किसी प्रॉब्लम को फेस कर रहे हैं तो उन्हें अपनी परेशानी शेयर करने के लिए कोई नहीं मिल रहा है। इस हाल में खुद को अकेला पाकर उनके अंदर निगेटिव विचारधारा घर कर रही है।
प्रो। सुषमा पाण्डेय, पूर्व विभागाध्यक्ष, मनोविज्ञान विभाग, डीडीयूजीयू