गोरखपुर: शेयर मॉर्केट में नुकसान का असर केवल आर्थिक नहीं होता, बल्कि युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव डालता है। कई युवा जो शेयर मार्केट में पैसा गंवा रहे हैं, वे तनाव और डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं।

मैने शेयर मॉर्केट में पैसा लगाना यूट्यूब से सीखा। मुझे कम समय में पैसा कमाने की चाह थी। बिना स्किल के पैसा लगाना मेरे लिए भारी पड़ा। शुरू में मैं शेयर मॉर्केट में 30 हजार रुपय हार गया। यह फेज मेेरे लिए काफी तनाव भरा था, क्योंकि यह पैसा घर वालों ने मुझे किसी जरूरी काम के लिए दिया था। अब मैैं इस काम में एक्सपर्ट हूं। अब लोगों को मैं युुट्युब पर शेयर मॉर्केट के ïिवषय में पढ़ाता हूं और शेयर मॉर्केट से अच्छा पैसा कमा रहा हूं।
आयुष निषाद

शेयर मॉर्केट के बारे में सबसे पहले सोशल मीडिया से ही जानकारी मिली। बिना स्किल के मैने इसमें इन्वेस्ट करना शुरू किया था। जल्दी पैसा कमाने की चाह में मैं इंट्राडे ट्रेडिंग करने लगा, जिसमें मुझे 40-50 हजार का नुकसान हुआ। वह समय मेरे लिए काफी डरावना था। हलाकि फैमली का स्पोट मिला। अब मैैं लांगटर्म में ही इन्वेस्ट करता हूं, इसमें मुझे ज्यादा फायदा मिलता है।
देवांश गुप्ता

मैंने शेयर मॉर्केट में पैसा लगाना 2019 में शुरू कर दिया था। पहले शेयर के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। कम समय में ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में मैैंने इंट्राडे ट्रेडिंग में पैसा लगाया। शुरू में 50 हजार से ऊपर रुपय गवांए। पैसा हारने के बाद यह अहसास हुआ कि परिवार की बात माननी चाहिए। वह समय मेरे लिए कठिन समय था। अब मैं लोगों को यही सलाह देता हूं कि इंट्राडे ट्रेडिंग में पैसे तभी लगाएं जब वो आप के कमाए पैसे हों।
कान्हा गुप्ता

युवाओं को मैैं यही सलाह देता हूं कि पहले वे शेयर मॉर्केट के विषय में पढ़ें जाने फिर पैसा लगाएं। आज के युवा कम समय में ज्यादा पैसे कमाने के लिए इंट्राडे ट्रेडिंग करते हैैं जो कि शेयर मॉर्केट में सबसे ज्यादा जोखीम भरा होता है। यह काम प्रोफेशनल टे्रडर भी बड़े ही सुझ-बुझ के साथ करते हैैं। युवा जो इस क्षेत्र में नए हैैं उनको मैैं यही कहुंगा कि करना है तो वो लॉंगटर्म इन्वेस्टमेंट कर सकते हैैं। जो कि कम जोखिम भरा है।
आशीष अग्रवाल, शेयर मॉर्केट एक्सपर्ट

शेयर मॉर्केट में पैसा हारने के बाद युïïवा डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैैं। घर वालो से पैसे लेकर शेयर मॉर्के ट में लगा देते हैैं इस तरह वे घर वालो की नजरों में भी गिर जाते हैैं। मैैं युवाओं को यही सलाह देती हूं कि वे पहले शेल्फ डिपेंडेंट हो जाएं फिर यह काम करें
सीमा श्रीवास्तव, सायकोलॉजिस्ट,

भारत मेें शेयर मार्केट


- 2010 के बाद जब स्मार्टफोन का प्रसार बढ़ा, तब मोबाइल ऐप्स के जरिए ट्रेडिंग और निवेश आसान हुआ
- कोविड-19 और लॉकडाउन ने इस प्रवृत्ति को और तेज किया
- आजकल अधिक से अधिक युवा ट्रेडिंग और निवेश को अपने करियर और आय के स्रोत के रूप में देख रहे हैं

शेयर मार्केट?
शेयर मार्केट एक ऐसा बाजार है जहां कंपनियों के शेयर (हिस्सेदारी) खरीदे और बेचे जाते हैं। जब आप किसी कंपनी का शेयर खरीदते हैं तो आप उस कंपनी के मालिक बन जाते हैं, भले ही यह बहुत छोटा हिस्सा हो, इसका मतलब है कि अगर कंपनी को मुनाफा होता है तो आपको भी उसका फायदा मिलेगा और अगर कंपनी को नुकसान होता है तो आपको भी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

इंट्राडे ट्रेडिंग


इंट्राडे ट्रेडिंग का मतलब है कि शेयरों को एक ही दिन के अंदर खरीदना और बेचना। इसमें आप शेयर बाजार खुलने के बाद किसी शेयर को खरीदते हैं और बाजार बंद होने से पहले उसे बेच देते हैं। एक्सपर्ट बताते हैैं कि इंट्राडे ट्रेडिंग प्रोफेशनल लोगों को ही करनी चाहिए, क्योंकि इसमें हारने का रिस्क ज्यादा होता है।

लॉन्गटर्म इन्वेस्टमेंट


शेयर बाजार में किसी कंपनी के शेयर को लंबे समय (आमतौर पर कई सालों तक) के लिए खरीदते हैं और उसे जल्दी बेचने का इरादा नहीं रखते। इसमें निवेशक का लक्ष्य धीरे-धीरे समय के साथ कंपनी के विकास और मुनाफे से फायदा उठाना होता है।
शेयर मॉर्केट एक्सपर्ट आशीष अग्रवाल बताते हैैं कि जिन युवा के पास शेयर मॉर्केट का कम नॉलेज है, वो लॉन्गटर्म इन्वेस्टमेंट कर सकता है यह प्रोफिटेबल होता है।

क्या होती एसआईपी


एसआईपी यानी सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान, एक तरीका है जिससे आप नियमित रूप से थोड़ी-थोड़ी रकम म्यूचुअल फंड्स में निवेश करते हैं। यह शेयर बाजार में निवेश करने का एक आसान और सुरक्षित तरीका माना जाता है, खासकर उन लोगों के लिए जो एक साथ बड़ी रकम नहीं लगा सकते।