इससे त्वचा में हायलूरोनिक एसिड की कमी दूर हो रही है और उनके त्वचा की रंगत बढ़ रही है। एम्स के चर्म रोग विभाग ने ऐसे मरीजों का इलाज भी शुरू कर दिया है।
कम होता है प्रोटीन
एम्स के चर्म रोग विभागाध्यक्ष डॉ। सुनील गुप्ता ने बताया कि झुर्रियों के पडऩे का कारण हायलूरोनिक एसिड की कमी है। इस कमी के कारण इलास्टिन नाम का प्रोटीन चेहरे पर कम होने लगता है। यह इलास्टिन त्वचा को लचीला बनाए रखता है और त्वचा को ढीला होने से रोकता है। इसकी वजह से त्वचा पर झुर्रियां पडऩे लगती है। त्वचा बूस्टर इलास्टिन को बढ़ाने में मदद करती है, जिसकी वजह से त्वचा की झुर्रियां धीरे-धीरे कम होने लगती है और त्वचा में निखार आ जाता है। बताया कि इस विधि के इस्तेमाल का तरीका ज्यादा कठिन है।
चेहरे पर करते इंजेक्ट
क्योंकि, चेहरे पर बड़ी बारीक सुई से माइक्रोइंजेक्ट किया जाता है। इसके बाद उसमें हायलूरोनिक एसिड इंजेक्ट करके डाले जाते हैं। इसमें जरा चूक हुई तो कई तरह के खतरे हो सकते हैं। एम्स के मीडिया प्रभारी डॉ। अरुप मोहंती ने बताया कि एम्स आए दिन नए-नए इलाज की तकनीक इजाद कर मरीजों को इसका लाभ दे रहा है। हाल ही में स्किन बूस्टर पर कार्यशाला का भी आयोजन किया गया था। इसमें इस विधि से इलाज के तरीके बताए गए थे।
केस हो गया खराब
डॉ। सुनील गुप्ता ने बताया कि एम्स में अब इस तरह के केस आने लगे हैं। हाल ही में एक मरीज आया था, जिसने स्किन बूस्टर से इलाज कराया था। लेकिन, गलत माइक्रोइंजेक्ट के कारण उसका मामला बिगड़ गया था। अभी उसका इलाज किया जा रहा है। इसके बाद से उसकी त्वचा में काफी सुधार है।
एम्स में खर्च आधा
डॉ। सुनील गुप्ता ने बताया कि इसका खर्च निजी संस्थानों में काफी महंगा है। इसका इलाज लखनऊ सहित, दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों में है। इन शहरों में एक इंजेक्शन की कीमत अलग-अलग कंपनियों की 60 से 80 हजार तक की है। लेकिन, एम्स में इसके आधे खर्च में इलाज शुरू किया गया है।