गोरखपुर (ब्यूरो)। इसके पहले ही दबोच लिया गया। वहीं, पुलिस की जांच में ये भी पता चला है कि इसके पहले भी पिता अष्टभुजा के साथ मिलकर उसने ग्रामीण फाइनेंस कंपनी खोली थी और 100 करोड़ रुपये से अधिक की जालसाजी की थी। मामला पकड़े जाने के बाद ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने जांच शुरू की तो राजेश पांडेय ने अपना नाम बदलकर रुद्रांश पांडेय कर लिया और पिता का नाम भी बदल दिया था।
तीन बार मां का बदल चुका है नाम
मास्टरमाइंड से पूछताछ में पता चला है कि मां का नाम भी तीन बार बदल चुका है। अब पूरी गुत्थी को सुलझाने में पुलिस टीम लगी है। लेकिन, इतना तो तय है कि चार करोड़ तो बहुत छोटी रकम है, उसने एक बार फिर दो सौ करोड़ से अधिक की ठगी की पृष्ठभूमि तैयार कर ली। हालांकि, उसके रियाज नाम के चालक के भूमिका अभी साफ नहीं हो पाई है कि वह इस गिरोह का सदस्य था, ये सिर्फ 9 हजार रुपये महीने की नौकरी करने के चक्कर में फंसा है। पुलिस उसके खाते का डिटेल खंगाल रही है, ताकि इसकी पुष्टि हो सके। पुलिस एक एक बिंदु की गहराई से जांच कर रही है। रविवार को पुलिस ने मास्टर माइंड रुद्रांश पांडेय को रिमांड पर लिया है, इसके बाद से ही उससे पूछताछ कर पुलिस गुत्थी को सुलझाने में जुटी है। पता चला है कि उसने एक्सिस बैंक सहित दो अन्य बैंकों से भी जालसाजी की है, लेकिन ये जालसाजी की रकम एक करोड़ से कम होने की वजह से बैंक की ओर से कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है, इसी वजह से पुलिस सिर्फ अभी सामने आए प्रकरण की ही जांच कर रही है।
बैंक पहुंची पुलिस
पुलिस की एक टीम सोमवार को आईसीआईसीआई बैंक भी पहुंची थी। पुलिस उन सभी के भूमिका की जांच कर रही है, जिसके टेबल से होकर चार करोड़ से अधिक रुपये के ऋण की फाइल होकर गुजरी थी। पुलिस उस असल गुनाहगार तक पहुंचना चाहती है, जिसने बिना किसी सत्यापन के ही रुद्रांश पांडेय की फर्जी कंपनी को ऋण दे दिया है। किस स्तर से कितनी चूक हुई है, उसे आधार पर दोष तय किया जाएगा। पुलिस ने अपनी जांच तेज कर दी है। उधर, जांच के दायरे में आए सीए ने किसी भी प्रोजेक्ट को तैयार करने से इनकार कर दिया है। अब सीए के नाम और मुहर का गलत इस्तेमाल हुआ है या सीए झूठ बोल रहे हैं, इसकी जांच पुलिस कर रही है।