गोरखपुर (ब्यूरो)। Gorakhpur Road Safety: तहसील क्षेत्र के गोला, बड़हलगंज, उरुवा, गोपालपुर, जानीपुर, मदरिया आदि चौराहों पर लोगो को आने जाने में सुविधा हो इसके लिए सवारी गाडिय़ों का दिन भर ताता लगा रहता है, जिसके चालक व उनके मालिकों की रोजी-रोटी भी चलती है। हाल ही इस बढ़ते बैटरी सिस्टम के जमाने में लोगो को ई-रिक्शा सवारी गाडिय़ा खुब पसंद आ रही है, चुकी ये गाडिय़ा बैटरी से चार्ज होती है तो इनका किराया भी डीजल/पेट्रोल गाडिय़ों से काफी कम होता है, ये ट्रेंड शहरों में तो कम चला लेकिन गांव की जनता जो की बचत में माहिर होती है अपनी बचत के लिए ई-रिक्शा सवारी गाडिय़ा ही पसंद करती है लेकिन कब उनकी ये पसंद और थोड़ी सी बचत दुर्घटना में तब्दील हो जाती है पता ही नही चलता है, दरअसल अगर केवल गोला तहसील की ही देखे तो लगभग 150 से भी अधिक ई-रिक्शा सवारी गाडिय़ा चल रही है जिनमे से अधिकांश गाडिय़ों के चालक 18 वर्ष से कम उम्र के है, ये मासूम बच्चें बातचीत से लेकर ग्राहकों को कम पैसों का लालच देने तक में माहिर होते है इन्ही चक्करों में ग्राहक इनकी सावरी गाड़ी में बैठ जाते है, लेकिन इन चालकों के पास ना ही कोई अनुभव है गाड़ी चलाने का और ना ही यातायात के नियम कानून पता है इतना ही नहीं बल्कि इन मासूमों को ये तक नही पता की अगर कोई दुर्घटना इनकी गाडिय़ों से हो जाए तो तो क्या करेंगे।


जब दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने इन रिक्शा चालकों से बातचीत करने का प्रयास किया तो इनमे से एक रिक्शा चालक ने खुद ही कहा कि उसकी उम्र 18 वर्ष से कम है और उसके पास कोई लाइसेंस भी नही है इसके बाद जब हमारी टीम ने आश्चर्यचकित होते हुए मासूम से पूछा की ये बताओ तुम्हारे पास ना लाइसेंस, ना तुम्हारी उम्र अभी मानक के अनुसार है अगर कोई दुर्घटना हो जाए तो इसका जिम्मेदार कौन होगा इतना सुनने के बाद उसने अपनी बातो के जाल में टीम को फसाने की कोशिश करते हुए कहा की मैं करूंगा मैं इलाज कराऊंगा लेकिन आय दिन ऐसे मामले आते है की इन मासूमों की छोटी सी गलती की वजह से कई परिवारों और उनके परिजनों को बड़ा नुकसान भुगतना पड़ता है, फिर जब हमारी टीम ने चालक से पूछा की अच्छा ये बताओ तुम ये जोखिम क्यों ले रहे हो किसी के साथ कोई दुर्घटना हो गई तुम्हारी वजह से तो क्या होगा तब वो अपने परिवार की आर्थिक तंगी का हवाला देते हुए कहता है की क्या करू मेरी भी मजबूरी है पैसा कमाने के लिए करना पड़ता है, पैसा कमाने के लिए मां के नाम गाड़ी लोन पे ली है ताकि कुछ कमा सकू इसी से गाड़ी ईएमआई भी भरता हु, हालांकि ये मासूम अपने परिवार की आर्थिक जरूरतों के हिसाब से तो सही कर रहा है, लेकिन ये जो कर रहा है वो यातायात नियमों के विरुद्ध कर रहा है, क्षेत्र में अक्सर ऐसे केसेज दिखाने को मिलते है जहा ई रिक्शा गाडिय़ों से ऐसी दुर्घटनाएं होती है जिसके बाद या तो चालक खुद फरार हो जाता है या अपनी गाड़ी के साथ फरार हो जाता है, यह एक चिंता का विषय है यातायात विभाग के अधिकारियो को इसपे तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी कोई भी दुर्घटना ना हो जिससे की किसी भी परिवार या खुद चालक के परिवार को भी कोई छति ना पहुंचे।


आधे से अधिक के पास नही है लाइसेंस
पूरे गोला तहसील क्षेत्र में ही लगभग 150 से भी अधिक ई-रिक्शा चालक है, जिनमे से आधे से अधिक के पास ना लाइसेंस है, ना ही उनकी उम्र अभी 18 वर्ष पूरी हुई है।
गरीबी व आर्थिक तंगी का देते है हवाला
जब दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने जब इन ई-रिक्शा चालकों से बात करते हुए पूछा की आप ऐसा काम क्यों कर रहे है, जबकि आपके पास लाइसेंस भी नही, ना ही आपको नियम कानून के मायने पता है बल्कि आपकी तो अभी उम्र भी नही हुई है तब ये ई रिक्शा चालक अपने घर में पैसे की तंगी और गरीबी का हवाला देते हुए कहते है की पैसा कमाने के लिए मजबूरी में ऐसा करते है।
नियमों की नही है परवाह
इन नन्हे ई रिक्शा चालकों को ना ही किसी नियम का पता है ना ही किसी कानून का बल्कि इनको तो ये तक नही पता की अगर इनसे कोई दुर्घटना हो जाए तो क्या करेंगे।
खतरे में जिंदगिया
ये मासूम कुछ पैसे कमाने के चक्कर में अपनी गाडिय़ों में सवारियां तो बैठा लेते है सवारियां भी कम पैसों की लालच में बैठ जाती है, लेकिन इन मासूमों के गाड़ी चलाने की वजह से पीछे बैठी सवारियों और खुद चालक की भी जिंदगाई खतरे में रहती है।
लापरवाही से हुई घटनाएं
इस संबंध में थानाध्यक्ष गोला मधुपनाथ मिश्रा का कहना है की ऐसा मामला संज्ञान में नहीं है आएगा तो कार्रवाई की जायेगी।