गोरखपुर (ब्यूरो)। आईसीएमआर ने देशभर के 19 एम्स से डाटा जुटाया। एम्स गोरखपुर में भी ओपीडी में आने वाले पेशेंट्स को आब्जर्वेशन में रखा गसा। देशभर में 90,000 लोगो पर गई रिसर्च में भी सामने आया कि 90 हजार लोगों में से 9.1 परसेंट लोगों की सुनने की शक्ति कम हुई है। साथ ही उनमें टिनिटस जैसे लक्षण भी देखने को मिले।
हेडफोन-ईयरफोन भी वजह
तेज आवाज यानी नॉइज पॉल्युशन एक ऐसा स्लो पॉयजन है, जो लोगों को धीरे-धीरे बहरा बना रहा है। इस समस्या का सबसे ज्यादा शिकार वे लोग हैं, जिन्हें ईयरफोन लगाकर गाने सुनने या बात करने का शौक है। बीते कुछ सालों में ईयरफोन और ईयर बड्स के इस्तेमाल का चलन तेजी से बढ़ा है। इसी तरह युवाओं में हाई वॉल्यूम के साउंड सिस्टम और डीजे में तेज म्यूजिक सुनने का ट्रेंड भी देखने को मिल रहा है। ऐसे में हीयरिंग प्रॉब्लम के मामले भी बढ़े हैं।
कान में सीटियों जैसी आवाजएम्स गोरखपुर के ईएनटी डिपार्टमेंट की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ। रुचिका ने बताया, देशभर में एयरपोर्ट के नजदीक रहने वाले लोगों में बेचैनी, अनिद्रा और हाइपरटेंशन की शिकायत बढ़ जाती है। पेशेंट्स को देखने पर पता चला कि तेज आवाज की वजह से उनके कान बजने लगे हैं और उनके सुनने की क्षमता में कमी आई है। वहीं, कान में दर्द और ब्लॉकेज होने के साथ कुछ लोगों के कानों में सीटियों की आवाज सुनाई देती है।
60 डेसिबल से ज्यादा शोर घातक
डॉ। रुचिका ने बताया, 60 डेसिबल से ज्यादा की ध्वनि घातक है। ऐसे में अगर आपके आसपास शोर, हल्ला हंगामे का लेवल 90-95 डेसिबल है तो सुनने की समस्या हो सकती है। वहीं, ये लेवल 125 डेसिबल पहुंचता है तो कानों में दर्द होने लगता है और अगर इसी शोर का लेवल 140 डेसिबल पहुंचता है तो व्यक्ति बहरा हो सकता है।
2 घंटे तक ईयरफोन पर गाना सुनना खतरनाक
24 घंटे में 2 घंटे तक ईयरफोन पर गाना सुनना खतरनाक हो सकता है। युवा जो रोजाना दो घंटे से ज्यादा तेज आवाज में हेडफोन लगाकर गाने सुनते हैं, उनकी सुनने की क्षमता तेजी से कम हुई है।
यह बरतें सावधानी
- नहाते या तैराकी करते समय कानों में रूई लगा लें। ईयर प्लग भी लगा सकते हैं। कान में पानी जाने से कम सुनने की समस्या हो सकती है।
- छोटे बच्चों को गर्दन के ऊपर की तरफ रखकर ही दूध पिलाएं। ऐसा करने से गले के रास्ते कान में दूध जाने का खतरा नहीं रहेगा।
- कहीं अत्यधिक शोर है तो भी कानों में रूई लगा लें।
- हरि सब्जियां और विटामिन बी का सेवन करना चाहिए, जिससे नर्वस सिस्टम स्ट्रांग हो जाए।
ये है शोर का पैरामीटर (डेसिबल में)
कैटेगरी ------ दिन ------ रात
इंडस्ट्रियल ---- 75 ------ 70
कॉमर्शियल ---- 65 ------ 55
रेसीडेंशियल --- 55 ------- 45
साइलेंट जोन --- 50 ------- 40
ये है शोरगुल का सच (डेसिबल में)
एरिया -------- दिन ------ रात
इंद्रा बाल विहार -- 88 ------ 62
झारखंडी ------ 76 ------ 58
जिला अस्पताल -- 72 ------ 58
बरगदवां ------- 80 ------ 64
कलेक्ट्रेट ------- 62 ------ 52
(नोट: पॉल्युशन के आंकड़े दिसंबर के हैं। इंद्रा बाल विहार-झारखंडी कॉमर्शियल, जिला अस्पताल और कलेक्ट्रेट साइलेेंट जोन और बरगदवां इंडस्ट्रियल कैटेगरी में है.)
पैरामीटर के हिसाब से शोर के आंकड़े अक्सर अधिक मिलते हैं। नॉइज पॉल्युशन के लिए अधिक से अधिक पौधरोपण के साथ पब्लिक को अवेयर होना पड़ेगा। सिटी एरिया में प्रेशर हॉर्न पर रोक लगे। साइलेंट जोन में अनावश्यक रूप से जाने वाले वाहनों की एंट्री रोकी जाए।
अनिल कुमार शर्मा, रीजनल ऑफिसर पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड गोरखपुर