गोरखपुर (ब्यूरो)। तो किसी ने शादी के बाद भी स्पेशल फिल कराने के लिए एक यूनिक वे में प्रपोज किया।

किसी और से ना हो शादी, इसीलिए कर दिया प्रपोज

गोरखपुर के एक कपल की कहानी तो ऐसी है कि प्रपोज करने की वज़ह से ही उनकी शादी तक बात पहुंच गई। बात कर रहे हैं सेंट पॉल स्कूल की टीचर अनामिका ठाकुर और उनके हसबैंड आशुतोष चंदन की। अनामिका की फैमिली में उनकी शादी की बात चल रहीं थीं। ये बात आशुतोष को कहीं से पता चली। चूंकि, आशुतोष उन्हें पहले से मन ही मन काफी पसंद करते थे पर कभी बता नहीं सके। जब उन्हें ये पता चला कि अनामिका की शादी किसी और से फिक्स होने वाली है। वे परेशान हो गए और एक दिन बिना सोचे उन्हें कॉलेज में प्रपोज कर दिया। फिर दोनों की फैमिली में बात हुई और शादी हो गई।

फ्रिज में रख दी डायमंड और किया प्रपोज

ये लव केमिस्ट्री है मोबाइल बिजनेसमैन विकास वर्मा और उनकी वाइफ रोशनी वर्मा की। जिनकी शादी तो अरेंज हुई, पर किसी लव मैरिज से कम नहीं थी। आगे पढऩे की इच्छा की वजह से रोशनी को शादी करने का कुछ खास मन नहीं था। पर शादी के बाद उन्हें उनके हसबैंड उन्हें स्पेशल फिल कराने का कोई मौका नहीं छोड़ते। पहले वेलेंटाइन वीक में प्रपोज डे पर विकास ने रोशनी को एक अलग अंदाज में दोबारा प्रपोज किया। उन्होंने मिठाई का डब्बा फ्रि ज में लाकर रख दिया और रोशनी से कहा कि मुझे मिठाई ला कर दो। रोशनी ने सोचा कि ये कभी मुझे कोई काम कहते नहीं हैं, पर आज क्यों कह रहे हैं। जब मिठाई का डब्बा खोला तो उसमें एक रिंग का बॉक्स देखा। हसबैंड ने उन्हें डायमंड रिंग पहना कर फिर से प्रपोज कर दिया। रोशनी ने बताया कि इससे उन्हें बहुत अच्छा फील हुआ। विकास के सपोर्ट से आज वो भी बिजनेस वुमेन बन चुकी हैं।

जब घुटनों के बल बैठकर किया प्रपोज

अस्सी के दशक की डॉ। विजाहत करीम और डॉ। सुरहिता चटर्जी करीम की भी लव स्टोरी जान लीजिए। इस समय की सीनियर गायनो स्पेशलिस्ट डॉ। सुरहिता चटर्जी करीम और सीनियर सर्जन डॉ। विजाहत करीम उन दिनों बीआरडी मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे। डॉ। करीम बताते हैं कि पढ़ाई के दौरान ही दोनों की मुलाकात हुई और उसीदौरान ही दोनों में प्रेम पनपा। यह प्रेम छह साल तक चलता रहा। बहुत दिन से सोच रहे थे शादी के लिए प्रपोज कर दें, लेकिन हिम्मत नहीं जुटा पाते थे। एक दिन मैंने शादी के लिए घुटनों के बल बैठकर गुलाब के साथ प्रपोज किया और डॉ। सुरहिता ने हां बोल दिया। शादी हो तो कैसे, क्योंकि सुरहिता बंगाली परिवार से थी और मैं विजाहत मुस्लिम परिवार से। लेकिन प्यार के आगे मजहबी दीवारें रोड़ा न बन सकीं। दोनों परिवारों ने भी ज्यादा टोकाटाकी नहीं की और दोनों ने शादी कर ली। शादी के कई दशक बाद भी दोनों सफलतापूर्वक जीवन व्यतीत कर रहे हैं। दोनों पति-पत्नी एक दूसरे के धर्म का सम्मान करते हैं और मानते हैं।